कांग्रेस ने आजाद के इस्तीफे को बताया दुखद
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को वरिष्ठ पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे को दुखद बताया है। पार्टी का कहना है कि आजाद महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर लड़ रही कांग्रेस के साथ विपक्ष और जनता की आवाज को बल दे सकते थे लेकिन यह बड़े दुख की बात है वह इसका हिस्सा नहीं बनना चाह रहे।
कांग्रेस नेता अजय माकन और जयराम रमेश ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया। माकन ने कहा कि मीडिया में रिलीज किया गया आजाद का पत्र उन्होंने देखा है। वे पार्टी के कई वरिष्ठ पदों पर रहे हैं लेकिन यह बहुत दुखद बात है कि जब कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में सड़क पर महंगाई, बेरोजगारी और ध्रुवीकरण के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है, उस समय उन्होंने कांग्रेस छोड़कर इस लड़ाई का साथ छोड़ने का फैसला किया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस्तीफे को दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद दुखद बताया। साथ ही उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा का जिक्र किया और कहा कि पार्टी की महंगाई पर हमला बोल रैली की सफलता के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ता ‘भारत यात्री’ होना चाहते हैं और राहुल गांधी के साथ मिलकर 3500 किलोमीटर की लंबी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना चाहते हैं। यह दुखद है कि उन्होंने इस समय पार्टी को छोड़ा है।
गुलाम नबी कांग्रेस से ‘आजाद’, सभी पदों से इस्तीफा
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी संगठन के सभी पदों के साथ प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वह कुछ समय से कांग्रेस हाईकमान से नाराज चल रहे थे।
उन्होंने कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष पद को भी छोड़ दिया था। आजाद जी-23 गुट के मुखिया हैं। आजाद ने कहा है- ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत के सही के लिए लड़ने के लिए एआईसीसी चलाने वाली मंडली के संरक्षण में इच्छाशक्ति और क्षमता दोनों खो दी है।
वास्तव में, भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने से पहले नेतृत्व को पूरे देश में कांग्रेस जोड़ो एक्सरसाइज करना चाहिए था। इसलिए बड़े खेद और अत्यंत भावुक हृदय के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा शताब्दी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है।’
अब वर्ष में चार बार जुड़ेंगे मतदाता सूची में नाम, निर्धारित तिथियों पर 18 वर्ष की आयु पूरा करने वाले बनेंगे मतदाता
अब वर्ष में चार बार जुड़ेंगे मतदाता सूची में नाम, निर्धारित तिथियों पर 18 वर्ष की आयु पूरा करने वाले बनेंगे मतदाता
Chhapra: जिला निर्वाचन पदाधिकारी -सह- जिलाधिकारी राजेश मीणा के निर्देश के आलोक में उप विकास आयुक्त अमित कुमार एवं अपर समाहर्ता डाॅ गगन के द्वारा संयुक्त रूप से मतदाता जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया.
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त के द्वारा बताया गया कि मतदाता सूची में आधार संग्रहण एवं प्रमाणीकरण के लिए स्वैच्छिक आधार पर निर्वाचक से आधार डाटा के संग्रहण के लिए तथा विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण कार्यक्रम – 2023 के तहत युवाओं का मतदाता सूची में पंजीकरण हेतु यह अभियान चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत साल में चार बार यानी 01 जनवरी, 01 अप्रैल, 01 जुलाई एवं 01 अक्टुबर तारीख को जो भी नागरिक 18 वर्ष की आयु पूर्ण करेंगे वे अपना पंजीकरण करा सकते है.
उन्होंने कहा कि इस अभियान में जागरूकता रथ सारण समाहरणालय छपरा से मतदाताओं के बीच प्रचार-प्रसार हेतु सारण जिलान्तर्गत सभी अनुमण्डल, प्रखण्डों में जाकर मतदाताओं को जागरूकता करेगी. ताकि मतदाता निर्वाचन से संबंधित सभी कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें.
इस अवसर पर उप विकास आयुक्त सारण की अमित कुमार, अपर समाहर्ता डाॅ गगन के साथ उप निर्वाचन पदाधिकारी सारण, जिला निर्वाचन शाखा के सभी कर्मियों के साथ समाहरणालय के कर्मीगण एवं अन्य गणमान्य उपस्थित थे.
पाकिस्तान में गिरी थी ब्रह्मोस मिसाइल, वायु सेना के तीन अधिकारी बर्खास्त
-पाकिस्तान में गिरी थी ब्रह्मोस मिसाइल, वायु सेना के तीन अधिकारी बर्खास्त
– मिसाइल की रेंज बढ़ाकर परीक्षण के दौरान तकनीकी गलती से हुआ था हादसा
– रक्षा मंत्री ने राज्यसभा में हथियार प्रणालियों की सुरक्षा को दी थी सर्वोच्च प्राथमिकता
नई दिल्ली:परीक्षण के दौरान भारत की ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान की सीमा में गिरने की घटना पर गठित उच्चस्तरीय कोर्ट ऑफ इंक्वायरी में वायु सेना के तीन अधिकारियों को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है। केंद्र सरकार ने उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करके मंगलवार को उनकी बर्खास्तगी के आदेश दिए हैं। यह हादसा सॉफ्टवेयर अपग्रेड करके मिसाइल की रेंज बढ़ाकर परीक्षण किये जाने के दौरान तकनीकी गलती से हुआ था। इस घटना के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में बयान देकर हथियार प्रणालियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का भरोसा दिया था।
भारत की सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल रेंज बढ़ाकर नए एयर वर्जन का परीक्षण किये जाने के दौरान तकनीकी खामी से 09 मार्च को मार्ग से भटककर पाकिस्तान की सीमा में 160 किमी. दूर गिरी थी। इस घटना पर पाकिस्तान ने 10 मार्च को कहा था कि भारत के सिरसा से लॉन्च की गई एक मिसाइल उनके क्षेत्र में मियां चन्नू इलाके में गिरी है। इससे कुछ निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ है। भारत ने पाकिस्तान के इस दावे पर 24 घंटे तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन अगले दिन भारत ने गलती से मिसाइल लॉन्च होने की बात स्वीकार करके उच्चस्तरीय कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए थे।
वायु सेना के विंग कमांडर आशीष मोघे के अनुसार इस घटना के लिए जिम्मेदारी तय करने सहित हादसे के तथ्यों की जांच करने के लिए गठित कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (कर्नल) ने पाया है कि परीक्षण के दौरान मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पूरी तरह पालन नहीं किया गया जिसकी वजह से आकस्मिक फायरिंग हो गई। दुर्घटनावश हुई घटना की वजह से मिसाइल मार्ग से भटककर पाकिस्तान की सीमा में 160 किमी. दूर गिरी थी। जांच में परीक्षण के दौरान मौजूद रहे वायु सेना के तीन अधिकारियों को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है। केंद्र सरकार ने उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त करके आज उनकी बर्खास्तगी के आदेश दे दिए हैं।
इस पूरे मामले पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 मार्च को राज्यसभा में बयान देकर सदन को भरोसा दिलाया था कि भारत की मिसाइल प्रणाली बहुत विश्वसनीय और सुरक्षित है। इसके अलावा, हमारी सुरक्षा प्रक्रियाएं और प्रोटोकॉल उच्चतम हैं और समय-समय पर इसकी समीक्षा की जाती है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा था कि इस घटना के मद्देनजर संचालन, रखरखाव और निरीक्षण के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं की समीक्षा की जा रही है। हम अपनी हथियार प्रणालियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। यदि कोई कमी पाई जाती है तो उसे तत्काल दूर किया जाएगा।
सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति मुर्मू से की भेंट
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार भेंट की।
राष्ट्रपति सचिवालय ने मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।”
जम्मू-कश्मीर में 6 घंटे के भीतर दो बार आया भूकंप
जम्मू: जम्मू-कश्मीर में 6 घंटे के भीतर दो बार भूकंप आया। पहला भूकंप सोमवार आधीरात बाद 2 बजे के बाद आया जबकि दूसरा बुधवार सुबह करीब 8 बजे आया। इससे अब तक किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
जम्मू-कश्मीर में आधीरात बाद 2ः20 बजे 3.9 तीव्रता का भूकंप का झटका महसूस किया गया।। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप कटरा से 61 किलोमीटर पूर्व में आया। भूकंप की गहराई जमीन से 10 किलोमीटर नीचे थी। रात होने के चलते ज्यादातर लोगों को इस भूकंप के बारे में पता नहीं चला। जिन्हें यह भूकंप का झटका महसूस हुआ वह लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए।
इस भूकंप के झटके के 6 घंटे बाद ही मंगलवार सुबह 8ः03 बजे 2.9 की तीव्रता का भूकंप का झटका महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप उधमपुर से 26 किलोमीटर पूर्व में आया। भूकंप की गहराई जमीन से 5 किलोमीटर नीचे थी। इस भूकंप की तीव्रता पहले भूकंप से काफी कम थी।
राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल का शुभारंभ, विभिन्न पुरस्कारों के लिए कर सकेंगे नामांकन
नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने एक सामान्य राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल (https://awards.gov.in) विकसित किया है ताकि पारदर्शिता और जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों के सभी पुरस्कारों को एक मंच पर लाया जा सके।
गृह मंत्रालय के अनुसार यह पोर्टल प्रत्येक नागरिक या संगठन को भारत सरकार की ओर से विभिन्न पुरस्कारों के लिए व्यक्तियों व संगठनों को नामित करने की सुविधा प्रदान करता है।
वर्तमान में निम्नलिखित पुरस्कारों के लिए नामांकन व सिफारिशें इस पोर्टल पर की जा सकती हैं।
पद्म पुरस्कार- अंतिम तिथि 15/09/2022
वानिकी में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2022- अंतिम तिथि 30/09/2022
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2022- अंतिम तिथि 15/09/2022
राष्ट्रीय जल पुरस्कार 2022- अंतिम तिथि 15/09/2022
वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार – वयोश्रेष्ठ सम्मान 2022- अंतिम तिथि 29/08/2022
व्यक्तिगत उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2021- अंतिम तिथि 28/08/2022
व्यक्तिगत उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2022- अंतिम तिथि 28/08/2022
दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण में कार्यरत संस्थानों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2021- अंतिम तिथि 28/08/2022
दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण में कार्यरत संस्थानों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2022- अंतिम तिथि 28/08/2022
राष्ट्रीय सीएसआर पुरस्कार 2022- अंतिम तिथि 31/08/2022
नारी शक्ति पुरस्कार 2022- अंतिम तिथि 31/10/2022
सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार 2023- अंतिम तिथि 31/08/2022
मद्यपान और मादक द्रव्यों के सेवन की रोकथाम के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2022- अंतिम तिथि 29/08/2022
जीवन रक्षा पदक – अंतिम तिथि 30/09/2022
समय की मांग है भारत जोड़ो अभियान: राहुल गांधी
नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत जोड़ो अभियान समय की मांग की है। राहुल ने सोमवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में भारत जोड़ो यात्रा की बैठक के दौरान सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए कहा कि वह भारत जोड़ो अभियान के लिए निकलेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब रुकने वाली नहीं है। इस यात्रा में अगर लोग नहीं भी आएंगे तो वह अकेले ही यात्रा शुरु कर देंगे।
राहुल ने कहा कि देश को तोड़ने वाली सोच के विरोध में देश को जोड़ने वाली सोच की बात करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान लोगों को बताया जाएगा कि कैसे कुछ लोग देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा में हर उस व्यक्ति का स्वागत है जो देश को अखंड रखने की सोच रखते हैं।
कार्यक्रम के समापन के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी ने आज सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से करीब डेढ़ घंटे संवाद किया। इस दौरान राहुल ने करीब 40 लोगों के सवालों के जवाब दिए।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस 07 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर रही है। यह यात्रा लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी होगी। यात्रा 150 दिनों तक चलेगी। यह यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक 12 राज्यों और 07 केन्द्र शासित राज्यों से होकर गुजरेगी।
सिसोदिया के घर पर 14 घंटे सीबीआई ने की छानबीन, जब्त किए लैपटॉप और मोबाइल
नई दिल्ली: दिल्ली की नई आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार की जांच को लेकर सीबीआई ने करीब 14 घंटे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर छानबीन की। सीबीआई ने उनका लैपटॉप और मोबाइल जब्त कर लिया है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सीबीआई जांच पूरी होने के बाद देर रात पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार कट्टर ईमानदार सरकार है। इस मामले में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। वह सीबीआई जांच से डरते नहीं हैं। हमारी ओर से सीबीआई को जांच में हरसंभव सहयोग दिया गया है।
सिसोदिया ने कहा कि सीबीआई जांच ऊपर से निर्देशित की जाती हैं। दिल्ली में स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में कार्य हुआ है जिसका जनता को लाभ मिल रहा है। इसी के चलते उन पर कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि सीबीआई ने उनका मोबाइल और लैपटॉप जब्त किया है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार की शराब बिक्री से जुड़ी नई आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार को लेकर 7 राज्यों के 31 ठिकानों पर छापेमारी की। इनमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री का आवास भी शामिल है।
रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज वसूलने का मामला, याचिका पर सुनवाई आज
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच आज होटलों और रेस्टोरेंट को खाने का सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगाने के सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी।
16 अगस्त को कोर्ट ने रेस्टोरेंट मालिकों से पूछा था कि वे अपने खाने का रेट बढ़ा सकते हैं, अलग से सर्विस चार्ज क्यों ले रहे हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि सर्विस चार्ज के बारे में लोग समझते हैं कि ये सरकार की ओर से वसूला जाने चार्ज है। इस पर रेस्टोरेंट मालिकों की ओर से कहा गया था कि ऐसा कोई नहीं समझता कि ये सरकार की ओर से वसूला जाने वाला चार्ज है।
याचिका सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) ने दायर किया है। याचिका में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें सिंगल बेंच ने 20 जुलाई को सीसीपीए के उस आदेश पर रोक लगा दिया था जिसमें होटलों और रेस्टोरेंट को खाने का सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगाई गई थी। जस्टिस यशवंत वर्मा की सिंगल बेंच ने ये आदेश जारी किया था। सिंगल बेंच के समक्ष याचिका द नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) ने दायर किया था।
एनआरएआई की याचिका में कहा गया था कि 4 जुलाई को सीसीपीए ने आदेश जारी कर होटलों और रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज वसूलने पर रोक लगा दिया। याचिका में इस आदेश को निरस्त करने की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान एनआरएआई की ओर से कहा गया था तीन तरह के रेस्टोरेंट हैं। पहला वे जो सर्विस चार्ज नहीं वसूलते हैं। दूसरे जो बिना ग्राहक की सहमति के सर्विस चार्ज वसूलते हैं। और तीसरे वे जो सर्विस चार्ज को मेन्यू में प्रदर्शित करते हैं। याचिका में कहा गया था कि सर्विस चार्ज स्टाफ के लिए होता है। उन्होंने कहा था कि हास्पिटैलिटी सेक्टर में सर्विस चार्ज वसूलने की परंपरा पिछले 80 सालों से चली आ रही है।
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश
मेरे प्यारे देशवासियो,
नमस्कार!
छिहत्तरवें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। इस गौरवपूर्ण अवसर पर आपको संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। एक स्वाधीन देश के रूप में भारत 75 साल पूरे कर रहा है। 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था। उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।
भारत की आजादी हमारे साथ-साथ विश्व में लोकतंत्र के हर समर्थक के लिए उत्सव का विषय है। जब भारत स्वाधीन हुआ तो अनेक अंतरराष्ट्रीय नेताओं और विचारकों ने हमारी लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की सफलता के विषय में आशंका व्यक्त की थी। उनकी इस आशंका के कई कारण भी थे। उन दिनों लोकतंत्र आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों तक ही सीमित था। विदेशी शासकों ने वर्षों तक भारत का शोषण किया था। इस कारण भारत के लोग गरीबी और अशिक्षा से जूझ रहे थे। लेकिन भारतवासियों ने उन लोगों की आशंकाओं को गलत साबित कर दिया। भारत की मिट्टी में लोकतंत्र की जड़ें लगातार गहरी और मजबूत होती गईं।
अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। इस प्रकार आधुनिक भारत के निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क नागरिक को राष्ट्र-निर्माण की सामूहिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। भारत को यह श्रेय जाता है कि उसने विश्व समुदाय को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता से परिचित कराया।
मैं मानती हूं कि भारत की यह उपलब्धि केवल संयोग नहीं थी। सभ्यता के आरंभ में ही भारत-भूमि के संतों और महात्माओं ने सभी प्राणियों की समानता व एकता पर आधारित जीवन-दृष्टि विकसित कर ली थी। महात्मा गांधी जैसे महानायकों के नेतृत्व में हुए स्वाधीनता संग्राम के दौरान हमारे प्राचीन जीवन-मूल्यों को आधुनिक युग में फिर से स्थापित किया गया। इसी कारण से हमारे लोकतंत्र में भारतीयता के तत्व दिखाई देते हैं। गांधीजी सत्ता के विकेंद्रीकरण और जन-साधारण को अधिकार-सम्पन्न बनाने के पक्षधर थे।
पिछले 75 सप्ताह से हमारे देश में स्वाधीनता संग्राम के महान आदर्शों का स्मरण किया जा रहा है। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है। देशवासियों द्वारा हासिल की गई सफलता के आधार पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का संकल्प भी इस उत्सव का हिस्सा है। हर आयु वर्ग के नागरिक पूरे देश में आयोजित इस महोत्सव के कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। यह भव्य महोत्सव अब ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के साथ आगे बढ़ रहा है। आज देश के कोने-कोने में हमारा तिरंगा शान से लहरा रहा है। स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों के प्रति इतने व्यापक स्तर पर लोगों में जागरूकता को देखकर हमारे स्वाधीनता सेनानी अवश्य प्रफुल्लित हुए होते।
हमारा गौरवशाली स्वाधीनता संग्राम इस विशाल भारत-भूमि में बहादुरी के साथ संचालित होता रहा। अनेक महान स्वाधीनता सेनानियों ने वीरता के उदाहरण प्रस्तुत किए और राष्ट्र-जागरण की मशाल अगली पीढ़ी को सौंपी। अनेक वीर योद्धाओं तथा उनके संघर्षों विशेषकर किसानों और आदिवासी समुदाय के वीरों का योगदान एक लंबे समय तक सामूहिक स्मृति से बाहर रहा। पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
प्यारे देशवासियो,
एक राष्ट्र के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे प्राचीन देश के लंबे इतिहास में, 75 वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर यह काल-खंड एक जीवन-यात्रा जैसा है। हमारे वरिष्ठ नागरिकों ने अपने जीवनकाल में अद्भुत परिवर्तन देखे हैं। वे गवाह हैं कि कैसे आजादी के बाद सभी पीढ़ियों ने कड़ी मेहनत की, विशाल चुनौतियों का सामना किया और स्वयं अपने भाग्य-विधाता बने। इस दौर में हमने जो कुछ सीखा है वह सब उपयोगी साबित होगा क्योंकि हम राष्ट्र की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव की ओर आगे बढ़ रहे हैं। हम सब 2047 में स्वाधीनता के शताब्दी-उत्सव तक की 25 वर्ष की अवधि यानि भारत के अमृत-काल में प्रवेश कर रहे हैं।
हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। इसी काल-खंड में हम बाबासाहब भीमराव आम्बेडकर के नेतृत्व में संविधान का निर्माण करने वाली विभूतियों के vision को साकार कर चुके होंगे। एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हम पहले से ही तत्पर हैं। वह एक ऐसा भारत होगा जो अपनी संभावनाओं को साकार कर चुका होगा।
दुनिया ने हाल के वर्षों में एक नए भारत को उभरते हुए देखा है, खासकर COVID-19 के प्रकोप के बाद। इस महामारी का सामना हमने जिस तरह किया है उसकी सर्वत्र सराहना की गई है। हमने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं। इस प्रशंसनीय उपलब्धि के लिए हम अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं। इस आपदा में कोरोना योद्धाओं द्वारा किया गया योगदान विशेष रूप से प्रशंसनीय है।
कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में मानव-जीवन और अर्थ-व्यवस्थाओं पर कठोर प्रहार किया है। जब दुनिया इस गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। भारत के start-up eco-system का विश्व में ऊंचा स्थान है। हमारे देश में start-ups की सफलता, विशेषकर unicorns की बढ़ती हुई संख्या, हमारी औद्योगिक प्रगति का शानदार उदाहरण है। विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थ-व्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान physical और digital infrastructure के विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री गति-शक्ति योजना के द्वारा connectivity को बेहतर बनाया जा रहा है। परिवहन के जल, थल, वायु आदि पर आधारित सभी माध्यमों को भली-भांति एक दूसरे के साथ जोड़कर पूरे देश में आवागमन को सुगम बनाया जा रहा है। प्रगति के प्रति हमारे देश में दिखाई दे रहे उत्साह का श्रेय कड़ी मेहनत करने वाले हमारे किसान व मजदूर भाई-बहनों को भी जाता है। साथ ही व्यवसाय की सूझ-बूझ से समृद्धि का सृजन करने वाले हमारे उद्यमियों को भी जाता है। सबसे अधिक खुशी की बात यह है कि देश का आर्थिक विकास और अधिक समावेशी होता जा रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं।
लेकिन यह तो केवल शुरुआत ही है। दूरगामी परिणामों वाले सुधारों और नीतियों द्वारा इन परिवर्तनों की आधार-भूमि पहले से ही तैयार की जा रही थी। उदाहरण के लिए ‘Digital India’ अभियान द्वारा ज्ञान पर आधारित अर्थ-व्यवस्था की आधारशिला स्थापित की जा रही है। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का उद्देश्य भावी पीढ़ी को औद्योगिक क्रांति के अगले चरण के लिए तैयार करना तथा उन्हें हमारी विरासत के साथ फिर से जोड़ना भी है।
आर्थिक प्रगति से देशवासियों का जीवन और भी सुगम होता जा रहा है। आर्थिक सुधारों के साथ-साथ जन-कल्याण के नए कदम भी उठाए जा रहे हैं। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की सहायता से गरीब के पास स्वयं का घर होना अब एक सपना नहीं रह गया है बल्कि सच्चाई का रूप ले चुका है। इसी तरह ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत ‘हर घर जल’ योजना पर कार्य चल रहा है।
इन उपायों का और इसी तरह के अन्य प्रयासों का उद्देश्य सभी को, विशेषकर गरीबों को, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। हमारे राष्ट्रीय मूल्यों को, नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूप में, भारत के संविधान में समाहित किया गया है। देश के प्रत्येक नागरिक से मेरा अनुरोध है कि वे अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके।
प्यारे देशवासियो,
आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं उनके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। जब ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से कार्य किया जाता है तो उसका प्रभाव प्रत्येक निर्णय एवं कार्य-क्षेत्र में दिखाई देता है। यह बदलाव विश्व समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा में भी दिखाई दे रहा है।
भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं। अब देश में स्त्री-पुरुष के आधार पर असमानता कम हो रही है। महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है।
हमारे देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं। समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं। अनेक बेटियों ने हाल ही में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में देश का गौरव बढ़ाया है। हमारे खिलाड़ी अन्य अंतर-राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। हमारे बहुत से विजेता समाज के वंचित वर्गों में से आते हैं। हमारी बेटियां fighter-pilot से लेकर space scientist होने तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।
प्यारे देशवासियो,
जब हम स्वाधीनता दिवस मनाते हैं तो वास्तव में हम अपनी ‘भारतीयता’ का उत्सव मनाते हैं। हमारा भारत अनेक विविधताओं से भरा देश है। परंतु इस विविधता के साथ ही हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा है जो एक समान है। यही समानता हम सभी देशवासियों को एक सूत्र में पिरोती है तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
भारत अपने पहाड़ों, नदियों, झीलों और वनों तथा उन क्षेत्रों में रहने वाले जीव-जंतुओं के कारण भी अत्यंत आकर्षक है। आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है। प्रकृति की देखभाल माँ की तरह करना हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। हम भारतवासी अपनी पारंपरिक जीवन-शैली से पूरी दुनिया को सही राह दिखा सकते हैं। योग एवं आयुर्वेद विश्व-समुदाय को भारत का अमूल्य उपहार है जिसकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में निरंतर बढ़ रही है।
प्यारे देशवासियो,
हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए। हमारे अस्तित्व की सार्थकता एक महान भारत के निर्माण में ही दिखाई देगी। कन्नड़ा भाषा के माध्यम से भारतीय साहित्य को समृद्ध करने वाले महान राष्ट्रवादी कवि ‘कुवेम्पु’ ने कहा है:
नानु अलिवे, नीनु अलिवे
नम्मा एलु-बुगल मेले
मूडु-वुदु मूडु-वुदु
नवभारत-द लीले।
अर्थात
‘मैं नहीं रहूंगा
न रहोगे तुम
परन्तु हमारी अस्थियों पर
उदित होगी, उदित होगी
नये भारत की महागाथा।’
उस राष्ट्रवादी कवि का यह स्पष्ट आह्वान है कि मातृ-भूमि तथा देशवासियों के उत्थान के लिए सर्वस्व बलिदान करना हमारा आदर्श होना चाहिए। इन आदर्शों को अपनाने के लिए मैं अपने देश के युवाओं से विशेष अनुरोध करती हूं। वे युवा ही 2047 के भारत का निर्माण करेंगे।
अपना सम्बोधन समाप्त करने से पहले मैं भारत के सशस्त्र बलों, विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों और अपनी मातृभूमि को गौरवान्वित करने वाले प्रवासी-भारतीयों को स्वाधीनता दिवस की बधाई देती हूं। मैं सभी देशवासियों के सुखद और मंगलमय जीवन के लिए शुभकामनाएं व्यक्त करती हूं।
धन्यवाद,
जय हिन्द!