नई दिल्ली, 05 अगस्त (हि.स.)। अफगानिस्तान में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदूकुश पर्वत रहा, जहां रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.8 मापी गई। वहीं, दिल्ली-एनसीआर, चंडीगढ़, पंजाब और जम्मू कश्मीर में भी शनिवार रात को भूकंप की वजह से धरती कांपी। भूकंप के झटकों से घबराकर लोग जान बचाने के लिए घरों से बाहर निकल आए।

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक भूकंप का केंद्र जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग जिले से 418 किमी उत्तर पश्चिम में अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में था। भारत के अलावा पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि अभी तक कहीं से भी किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं है। भूकंप के झटकों से घबराकर लोग अपने घरों से बाहर निकल सुरक्षित स्थान पर चले गए।

इससे पहले, आज सुबह जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग में भी 5.2 तीव्रता का भूकंप आया था। तब भूकंप का केंद्र गुलमर्ग से करीब 184 किलोमीटर दूर धरती की सतह से 129 किलोमीटर नीचे था।

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वाराणसी, 05 अगस्त (हि.स.)। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ज्ञानवापी परिसर के दूसरे दिन का वैज्ञानिक सर्वे शनिवार सुबह शुरू कर दिया। एएसआई टीम सुबह करीब आठ बजे यहां पहुंची। सर्वे को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई है। पहले दिन के सर्वे में सात घंटे से ज्यादा समय तक परिसर की आकृति तैयार करने के साथ माप-जोख की गई।

आज सुबह ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुरू होने से पहले हिंदू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने पत्रकारों से कहा यह सर्वे का दूसरा दिन है। हमें उम्मीद है कि लोग सर्वेक्षण में सहयोग करेंगे। हम चाहते हैं कि मामला सुलझ जाए। जल्द ही सर्वेक्षण से सब कुछ साफ हो जाएगा। इस बीच सर्वे के दूसरे दिन मुस्लिम पक्ष के वकील एजाज मकबूल भी ज्ञानवापी परिसर पहुंचे। पहले दिन के सर्वे के दौरान एएसआई के साथ हिंदू पक्ष के वकील अंदर थे और मुस्लिम पक्ष नदारत था।

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नई दिल्ली, 04 (हि.स.)। मोदी सरनेम मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है। जिसके बाद कांग्रेस में खुशी का माहौल है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ भाजपा की साजिश आज नाकाम हो गई है। यह हमारी बड़ी जीत है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वह लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखेंगे और हालात से अवगत कराएंगे।

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी भाजपा से डरने वाले नहीं हैं। वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सत्य और न्याय की जीत है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद करते हुए कहा कि गौतम बुद्ध ने कहा था कि तीन चीजें (सूर्य, चंद्रमा और सत्य) देर तक नहीं छुप सकते हैं। यह सत्य की जीत है।

उल्लेखनीय है कि मोदी सरनेम मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सूरत की निचली अदालत ने अधिकतम सजा देकर गलती की है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मतलब ये है कि राहुल गांधी की संसद सदस्यता दोबारा बहाल होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस में अधिकतम सजा (2 साल) होने के चलते राहुल की सदस्यता गई, पर निचली अदालत के जज ने फैसले में ये साफ नहीं किया कि अधिकतम सजा तय करने की वजह क्या है?

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वाराणसी, 04 अगस्त (हि.स.)। ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) की टीम के सर्वे पर रोक लगाने से देश की शीर्ष अदालत (सुप्रीम कोर्ट) ने शुक्रवार को इनकार कर दिया। प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा हम हाईकोर्ट के आदेश में दखल क्यों दें और आप को सर्वे पर ऐतराज क्यों है ? सर्वे से मुस्लिम पक्ष को कोई नुकसान नहीं होने जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष अंजुमन इन्तेज़ामिया मसाजिद ने ज्ञानवापी परिसर में हाईकोर्ट के आदेश पर चल रहे एएसआई के सर्वे में अब सहयोग करने की बात कही है। अंजुमन इन्तेज़ामिया मसाजिद ने निर्णय लिया है कि फैसले का सम्मान होगा।

मसाजिद के संयुक्त सचिव एस. एम. यासीन ने बयान जारी कर कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के एएसआई सर्वे पर स्थगन आदेश देने से इंकार से उपजी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अंजुमन इन्तेज़ामिया मसाजिद ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान करते हुए एएसआई के साइंटिफिक सर्वे में सहयोग करेंगे। और आशा करते हैं कि न्यायालय के दिशा निर्देश का निष्पक्ष तरीके से पालन होगा। हमारी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

उन्होंने कहा कि हम सभी से अपील करते हैं कि इस फैसले का सम्मान करते हुए पूर्ण रूप से शांति-व्यवस्था बनाए रखें। अफवाहों पर कतई ध्यान न दें। लोगों के बयानबाजी को नजरअंदाज करें, इसी में सब की भलाई है। शांति -संयम-सद्भाव का मूल मंत्र को हम मजबूती से पकड़े रहें।

उल्लेखनीय है कि अब तक ज्ञानवापी में हुए सर्वे का प्रतिवादी पक्ष ने बहिष्कार किया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे के जारी रखने के फैसले के बाद अंजुमन इन्तेजामिया के संयुक्त सचिव, एस एम यासीन ने कहा था कि मुस्लिम पक्ष सर्वे में शामिल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लेने के पहले तक प्रतिवादी पक्ष सर्वे में सहयोग करने के बजाय इससे दूरी ही बनाये रखा।

उधर, एएसआई सर्वेक्षण के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर मौजूद रहे हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने पत्रकारों को बताया कि ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण आज सुबह 07 बजे 40 विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा शुरू किया गया। फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की जा रही है। एएसआई के विशेषज्ञ सूक्ष्मता से एक-एक चीज को देख रहे हैं।

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कोलकाता, 4 अगस्त (हि.स.)। हमारे प्यारे वतन की आजादी का माह चल रहा है। मां भारती की आजादी के लिए कठिनतम संघर्ष करने वाले अमर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ 1945 के विमान हादसे के बाद क्या हुआ? यह राज पूरा देश आजादी के बाद से ही जानना चाहता है लेकिन आज तक इस पर से पर्दा नहीं उठाया गया। अब आजादी के अमृत महोत्सव के समापन वर्ष में “यूनाइटेड प्लेटफॉर्म फॉर नेताजी” की ओर से एक ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत आज शुक्रवार से की गई है। इसके तहत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गुमनामी से जुड़े राज खोलने के लिए जांच की मांग वाला एक पत्र इस ऑनलाइन हस्ताक्षर के जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजा जाएगा।

संगठन की ओर से संयोजक बोधिसतवा तरफदार ने “हिन्दुस्थान समाचार” को बताया कि आज से अभियान की शुरुआत हुई है। इसमें बोधिसत्व तरफदार के अलावा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की पोती जयंती रक्षित, ताप्ती घोष, मृण्मय बनर्जी, सुप्रियो मुखर्जी, डॉक्टर जयंत चौधरी और शौविक लाहिरी समेत अन्य गणमान्य लोग जुड़े हुए हैं। इन सभी ने शुक्रवार को कोलकाता प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान की घोषणा की। वक्ताओं ने तीन बिंदुओं पर जोर देकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गुमनामी से संबंधित जांच शुरू करने की मांग की। इसमें से पहला बिंदु है मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट जिसमें 18 अगस्त 1945 को ताइवान में विमान हादसे की थ्योरी को नकार दिया गया था। लेकिन खुद भारत सरकार ने 2006 में इस रिपोर्ट को ही नकार दिया, जबकि भारत सरकार ने ही मुखर्जी कमीशन को जांच का जिम्मा सौंपा था।

दूसरा बिंदु है ताइवान जहां विमान हादसे का दावा किया जाता है वहां के प्रशासन ने कई बार दावा किया है कि 18 अगस्त 1945 को किसी विमान हादसे का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

इसके अलावा तीसरे बिंदु में वक्ताओं ने कहा कि हाल में भारत सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संबंधित कई फाइलें सार्वजनिक की है। इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि आजादी के 20 सालों बाद तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार की खुफिया निगरानी की गई थी। इसका मतलब है कि खुद भारत सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कथित मौत पर यकीन नहीं कर रही थी और परिवार से उनके संभावित संपर्क पर नजर रखी जा रही थी।

इन तीनों बिंदुओं का जिक्र कर प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल प्रबुद्ध जनों ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत में क्रांतिकारियों के अग्रदूत रहे हैं। उनके साथ क्या हुआ? आजादी के बाद में जिंदा थे या नहीं? 18 अगस्त 1945 के विमान हादसे में उनके मारे जाने के जो दावे किए जाते हैं उस के पक्ष में पुख्ता प्रमाण क्या है? इस बारे में सब कुछ उजागर किया जाना चाहिए और यह जांच से ही संभव होगा। बोधिसत्व ने बताया कि ऑनलाइन हस्ताक्षर कैंपेन के जरिए बड़ी संख्या में लोगों के हस्ताक्षर मिल जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में जांच की मांग की जाएगी।

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नई दिल्ली, 02 अगस्त (हि.स.)। विभिन्न राजनीतिक दलों के 31 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मणिपुर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।

राष्ट्रपति से मुलाकात करने वालों में कांग्रेस के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, डीएमके नेता कनिमोझी और आम आदमी पार्टी से सांसद संजय सिंह आदि शामिल थे। इस दौरान प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति मुर्मू को ज्ञापन भी सौंपा

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नई दिल्ली, 27 जुलाई (हि.स.)। भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत में गुरुवार सुबह एक नाविक का शव लटका मिला। नौसेना ने जांच के आदेश दिए हैं। (एलसीए) नेवी और मिग-29 के लड़ाकू विमानों की सफल लैंडिंग के बाद आईएनएस विक्रांत पूरी तरह से ऑपरेशनल होने के इंतज़ार में है, इसलिए विमानवाहक पोत फिलहाल कोच्चि में खड़ा है।

मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार सुबह एक नाविक को आईएनएस विक्रांत पर लटका हुआ पाया गया। यह 19 वर्षीय नाविक अग्निवीर नहीं, बल्कि नियमित कैडर से मुजफ्फरपुर, बिहार का रहने वाला था। उसका शव युद्धपोत के एक डिब्बे में लटका हुआ पाया गया, नौसेना ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। आईएनएस विक्रांत के डेक पर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) नेवी और मिग-29 के लड़ाकू विमानों की सफल लैंडिंग के बाद पूरी तरह से ऑपरेशनल होने के इंतज़ार में है, इसलिए विमानवाहक पोत फिलहाल कोच्चि में खड़ा है।

भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, 45,000 टन का विक्रांत कोचीन शिपयार्ड में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। केवल अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन के पास ही इस आकार के विमान वाहक पोत बनाने की क्षमता है। इसका नाम विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नाम पर रखा गया है, जिसे 1961 से 1997 तक नौसेना ने संचालित किया था। युद्धपोत विक्रांत 262 मीटर लंबा है, इसकी ऊंचाई 61 मीटर (कील टू मस्तूल) है। इसका फ्लाइट डेक 12,500 वर्ग मीटर (10 ओलंपिक आकार के स्विमिंग पूल के बराबर) है। इसकी क्षमता 7,500 समुद्री मील और अधिकतम गति 28 समुद्री मील है।

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नई दिल्ली, 27 जुलाई (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को गगनयान सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम का तीसरा हॉट सफल परीक्षण किया। इसरो ने ट्वीट करके जानकारी दी कि गगनयान सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम पर दो और हॉट परीक्षण 26 जुलाई को सफलतापूर्वक किए गए।

इसरो ने कहा कि मिशन के लिए आवश्यक और निरंतर मोड में परीक्षण आयोजित किए गए। डी-बूस्टिंग आवश्यकताओं और ऑफ-नॉमिनल मिशन परिदृश्यों को प्रदर्शित करने के लिए तीन और हॉट परीक्षण निर्धारित हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की लॉन्चिंग के लिए इसरो कई तरह के परीक्षण कर रहा है।

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नई दिल्ली, 27 जुलाई (हि.स.)। लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कह कि मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संसद में बोलने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

चौधरी ने गुरुवार को संसद भवन परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि हम जानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव लाने से उनकी सरकार नहीं गिरेगी लेकिन इसके अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हम यही चाहते हैं कि मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री संसद के अंदर बोलें।

समाजवादी पार्टी प्रमुख व सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि मणिपुर में जो हो रहा है, वह किसी से छिपा नहीं है। इस मुद्दे पर संसद में बात होनी चाहिए, क्योंकि मणिपुर में जो भी हो रहा है, इसकी जानकारी सरकार को होगी। ऐसे में इस मुद्दे पर सदन में बात करना जरूरी है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि मणिपुर में जो हुआ, वह भयावह है। वहां 55 हजार से अधिक लोगों को घरों से विस्थापित होना पड़ा है। वहां उपजी हिंसा के कारण 149 लोग मारे गए। यह कोई छोटी समस्या नहीं है। इन समस्याओं पर विरोध जताने के लिए विपक्ष के नेताओं ने काले कपड़े पहने हैं।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर की कोई चिंता नहीं है। वह देश विदेश में जाकर लगातार भाषण दे रहे हैं लेकिन मणिपुर मुद्दे पर संसद में बोलने को तैयार नहीं हैं।

उल्लेखनीय है कि मंगलवार को गृह मंत्री शाह ने लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खड़गे को पत्र लिखकर मणिपुर मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया था। शाह ने कहा था कि सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। सरकार इस मुद्दे पर कुछ भी छिपाना नहीं चाहती है।

बीते दिनों मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न करके घुमाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसे लेकर विपक्ष लगातार केन्द्र और राज्य सरकार की आलोचना कर रहा है और संसद के दोनों सदनों में मणिपुर के हालात पर चर्चा की मांग कर रहा है। मणिपुर में मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को रैली का आयोजन हुआ था। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने इस रैली का आयोजन किया था। रैली के दौरान हिंसा भड़क गई थी।

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– भारत ने फिलहाल रूस से पांच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदे

– मिसाइल प्रणाली विकसित करने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पाले में

नई दिल्ली, 26 जुलाई (हि.स.)। भारत अपनी 400 किलोमीटर श्रेणी की सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की मिसाइल वायु रक्षा प्रणाली विकसित कर रहा है। तीन स्तरीय लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली विकसित करने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के पास है और जल्द ही इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है। भारत ने फिलहाल रूस से पांच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदे हैं, जिनमें से तीन की आपूर्ति हो चुकी है।

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) अपना स्वयं का 400 किलोमीटर लंबी दूरी का वायु रक्षा प्रणाली विकसित कर रहा है, जो रूस से लिए गए एस-400 सिस्टम के बराबर है। यह प्रस्ताव अग्रिम चरण में है और जल्द ही रक्षा मंत्रालय से मंजूरी दे दी जाएगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2.5 बिलियन डॉलर है, जिससे भारत को हवा में दुश्मन की संपत्ति को मार गिराने की स्वदेशी क्षमता मिलेगी। मिसाइल प्रणाली में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की तीन परतें होंगी, जो विभिन्न दूरी पर लक्ष्य को भेद सकेंगी।

भारत ने पहले ही मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली एमआर-एसएएम विकसित करने के लिए इजरायल के साथ काम किया है, जो 70 से अधिक किलोमीटर तक हवाई लक्ष्य पर हमला कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय प्रणाली रूस से हासिल की गई एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की श्रेणी में होगी और चीन एवं पाकिस्तान सीमा पर तैनात की जाएगी। सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली का विकास कार्य तब हो रहा है, जब डीआरडीओ ने जमीन आधारित और युद्धपोत आधारित दोनों प्रणालियों के लिए वायु रक्षा हथियार विकसित करने के मामले में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

एलआर-एसएएम परियोजना का नेतृत्व भारतीय वायु सेना करेगी, जो रक्षा हार्डवेयर में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक है। डीआरडीओ की एलआरएसएएम परियोजना शुरू किए जाने के बाद भारतीय नौसेना ने अपनी स्वदेशी एलआर-एसएएम प्रणाली का नाम बदलकर एमआर-एसएएम कर दिया है। सेना और वायु सेना ने पहले ही इसी तरह की स्वदेशी प्रणाली को एमआर-एसएएम नाम दिया था।

भारत और रूस के बीच हुए पांच स्क्वाड्रन एस-400 मिसाइल सिस्टम का यह सौदा 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है। रूस अब तक भारत को तीन एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति कर चुका है, जबकि दो सिस्टम अभी मिलने बाकी हैं। रूस से मिली दो एस-400 स्क्वाड्रन को देश की उत्तरी और पूर्वी इलाकों में तैनात किया जा चुका है। तीसरी स्क्वाड्रन को पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किए जाने की तैयारी है।

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– कारगिल वार जीतने के बाद भी हमारी सेनाओं ने एलओसी पार नहीं की

– भारतीय सैनिकों की वीरता का प्रतीक है पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध

नई दिल्ली, 26 जुलाई (हि.स.)। कारगिल विजय दिवस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर 1999 में हमने एलओसी पार नहीं किया तो इसका मतलब यह नहीं कि हम सीमा पार नहीं कर सकते थे। हम तब भी एलओसी पार कर सकते थे, हम अभी भी एलओसी पार कर सकते हैं और जरूरत पड़ी तो भविष्य में एलओसी पार करेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि 26 जुलाई, 1999 को युद्ध जीतने के बाद भी हमारी सेनाओं ने इसलिए एलओसी पार नहीं की क्योंकि हम शांतिप्रिय हैं, भारतीय मूल्यों के प्रति हमारा विश्वास है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता है।

लद्दाख स्थित द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर सैन्य परम्परा के साथ हुए इस श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि राष्ट्र का मान-सम्मान और इसकी प्रतिष्ठा हमारे लिए किसी भी चीज से ऊपर है और इसके लिए हम किसी भी हद तक जा सकते हैं। हमने सिर्फ पाकिस्तान को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि जब बात हमारे राष्ट्रीय हितों की आएगी, तो हमारी सेना किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी। हम आज भी अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं, सामने चाहे कोई भी हो। कारगिल की वह जीत पूरे भारत की जनता की जीत थी। भारतीय सेनाओं ने 1999 में कारगिल की चोटियों पर जो तिरंगा लहराया था, वह केवल एक झंडा भर नहीं था, बल्कि वह इस देश के करोड़ों लोगों का स्वाभिमान था।

राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत मां के ललाट की रक्षा के लिए 1999 में कारगिल की चोटी पर देश के सैनिकों ने वीरता का जो प्रदर्शन किया, जो शौर्य दिखाया, वह इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा। आज हम खुली हवा में सांस इसलिए ले पा रहे हैं, क्योंकि किसी समय शून्य तापमान में भी हमारे सैनिकों ने ऑक्सीजन की कमी के बावजूद अपनी बंदूकें नीची नहीं की। आज दिख रहा भारत रूपी विशाल भवन हमारे वीर सपूतों के बलिदान की नींव पर ही टिका है। भारत नाम का यह विशाल वटवृक्ष उन्हीं वीर जवानों के खून और पसीने से अभिसिंचित है। अपने हजारों सालों के इतिहास में इस देश ने अनेक ठोकरें खाईं हैं, पर अपने वीर जवानों के दम पर यह बार-बार ऊंचा हुआ है।

रक्षा मंत्री ने भारतीय सेनाओं पर गर्व करते हुए कहा कि भारतीय सेना के जवानों के सामने ऐसे खतरे आते रहते हैं, जहां उनका सामना मौत से होता रहता है, लेकिन वह बिना डरे, बिना रुके सिर्फ इसलिए मौत से भिड़ जाते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उसका अस्तित्व उसके राष्ट्र से है। कैप्टन मनोज पांडे के उस उद्घोष को भला कौन भूल सकता है, जब उन्होंने कहा था कि “यदि मेरे फर्ज की राह में मौत भी रोड़ा बनी, तो मैं मौत को भी मार दूंगा।” ऐसी वीरता के सामने तो दुनिया की कोई भी शक्ति नहीं टिक सकती, तो भला पाकिस्तान की क्या बिसात थी। भारत की तरफ चली हर एक गोली को हमारे सैनिकों ने अपनी फौलादी छातियों से रोक दिया। कारगिल युद्ध भारत के सैनिकों की वीरता का प्रतीक है, जिसे सदियों तक दोहराया जाएगा।

उन्होंने राजस्थान के सूबेदार मंगेज सिंह को याद करते हुए कहा कि उन्होंने घायल हालत में ही बंकर के पीछे पाकिस्तानी सैनिकों पर जमकर कई राउंड फायरिंग की और 7 दुश्मनों को ढेर किया। ऐसे ही न जाने कितने ही वीरों ने अपने देश के गौरव को बचाए रखने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। कई ऐसे सैनिक थे, जिनकी कुछ दिनों पहले शादी हुई थी, कई ऐसे सैनिक थे जिनका विवाह भी नहीं हुआ था, कई ऐसे सैनिक थे, जो अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत जीवन की उन सारी परिस्थितियों का सामना करते हुए राष्ट्र के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया, क्योंकि उनके मन में यह भावना थी कि- तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें।

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नई दिल्ली, 25 जुलाई (हि.स.)। भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) की वेबसाइट तकनीकी खराबी के कारण मंगलवार को कई घंटे तक बंद रही। इससे ऑनलाइन ट्रेन टिकट बुक कराने वालों का खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

आईआरसीटीसी ने सुबह 10:03 बजे एक ट्वीट में कहा कि तकनीकी कारणों से टिकटिंग सेवा उपलब्ध नहीं है। हमारी तकनीकी टीम समस्या का समाधान कर रही है। जैसे ही तकनीकी समस्या ठीक हो जाएगी हम सूचित करेंगे।

इसके बाद एक अन्य ट्वीट में आईआरसीटीसी ने समस्या के दूर होने तक लोगों को टिकट बुक करने के वैकल्पिक साधनों के इस्तेमाल की सलाह दी। इस ट्वीट में कहा गया कि तकनीकी कारणों से टिकटिंग सेवा आईआरसीटीसी साइट और ऐप पर उपलब्ध नहीं है। क्रिस की तकनीकी टीम समस्या का समाधान कर रही है। वैकल्पिक रूप से टिकट अन्य बी2सी प्लेयर्स जैसे अमेज़ॅन और मेकमाईट्रिप आदि के माध्यम से बुक किए जा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि ये प्लेयर्स रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र द्वारा संचालित आईआरसीटीसी सेवाओं के माध्यम से भी अपनी बुकिंग कराते हैं, जो रेल मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

अधिकारियों का कहना है कि हैकिंग का कोई प्रयास नहीं किया गया था और यह एक तकनीकी गड़बड़ी थी जिसे अब सुलझा लिया गया है। दोपहर 2:18 बजे आईआरसीटीसी ने ट्वीट कर घोषणा की कि उसकी वेबसाइट पर बुकिंग की समस्या का समाधान हो गया है।

ऑनलाइन टिकट बुकिंग में आ रही समस्या को देखते हुए रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त पीआरएस (यात्री आरक्षण प्रणाली) टिकट खिड़कियां खोले जाने की घोषणा की। दिल्ली रीजन की बात करें तो नई दिल्ली स्टेशन पर 2 काउंटर, शाहदरा, ओखला, निज़ामुद्दीन स्टेशन, सरोजिनी नगर, सब्जी मंडी, दिल्ली जंक्शन, कीर्ति नगर और आजादपुर रेलवे स्टेशनों पर 1-1 अतिरिक्त काउंटर खोला गया।

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