माता वैष्णो देवी के भक्त दिल्ली से 6 घंटे में पहुंच जायेंगे कटरा

Delhi: भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जल्द ही माता वैष्णों देवी के भक्तों के बड़ा तोहफा देने जा रहा है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो लोग दिल्ली से सुबह चलकर रात तक माता वैष्णो देवी का दर्शन कर लेंगे.

एनएचएआई तेजी से 670 किलोमीटर वाले दिल्‍ली-कटरा एक्‍सप्रेसवे के निर्माण में जुटा है. आशा व्यक्त की जा रही है कि अगले साल दिसंबर तक यह एक्सप्रेस वे बनकर तैयार हो जाएगा.

इस एक्सप्रेसवे के शुरू होते ही अभी दिल्ली से कटरा की 14 घंटे की दूसरी घटकर महज 6 घंटे की हो जाएगी. यानी यात्रियों के 8 घंटे बचेंगे.

दिल्‍ली-कटरा एक्‍सप्रेसवे के शुरू होते ही दोनों शहरों के बीच की दूरी 8 घंटे कम हो जाएगी. यानी भक्तगण दिल्‍ली से सुबह चलकर शाम तक माता वैष्‍णो देवी के दर्शन कर लेंगे.

4 लेन के बन रहे इस एक्सप्रेसवे को भविष्य में 8 लेन तक बढ़ाने की योजना है. बताते चले कि इसका ज्‍यादातर हिस्‍सा हरियाणा में है. 670 किलोमीटर वाला यह एक्‍सप्रेस वे दिल्‍ली के पास हरियाणा के झज्‍झर जिले से शुरू होकर कटरा तक जाएगा.

जानकारी के मुताबिक दिल्‍ली-कटरा एक्‍सप्रेसवे पर गाड़ियों की अधिकतम स्‍पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटे तक निर्धारित की जा सकती है.

दिल्‍ली-कटरा एक्‍सप्रेसवे के बन जाने से दोनों शहर के बीच 140 किलोमीटर की दूरी मौजूदा 730 किलोमीटर से कम होकर 590 किलोमीटर रह जाएगी. इसके साथ 14 घंटे का 8 घंटे कम होकर महज 6 घंटे का रह जाएगा.

इसके बाद यदि कोई व्यक्ति सुबह 5 बजे दिल्‍ली से कटरा के लिए निकलता हैं तो 11 से 12 के बीच कटरा पहुंच जाएगा. यहां अगर वो व्यक्ति 1 से 2 बजे बीच वैष्‍णो माता दरबार के लिए चढ़ाई शुरू करता है तो वो 8 से 9 बजे तक माता रानी की दरबार में पहुंच सकता है.

इतना ही इस एक्सप्रेस वे के बन जाने से दिल्ली से अमृतसर महज 4 घंटे में पहुंचना मुमकिन हो सकता है. ऐसे में दिल्ली से सुबह निकल लोग स्‍वर्ण मंदिर में मत्‍था टेक कर शाम तक वापस भी आ सकता है.

इस एक्सप्रेसवे का निर्माण दो पैकेज यानी फेज में हो रहा है. एक्‍सप्रेसवे के फस्ट फेज करीब 400 किलोमीटर का ग्रीनफील्‍ड एक्‍सप्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है जो दिल्‍ली से लुधियाना और गुरदासपुर के बीच बन रहा है. इसके साथ ही नाकोदर से अमृतसर के बीच 99 किलोमीटर के एक कनेक्टिंग रोड का भी निर्माण होना है.

जबकि दिल्‍ली-कटरा एक्‍सप्रेसवे के निर्माण के फेज टू में गुरदासपुर से पठानकोट और जम्‍मू से कटरा तक निर्माण होना है. इसके साथ पठानकोट से गोबिंदसर के बीच 12.34 किलोमीटर के एक लिंक रोड निर्माण की भी योजना है. इससे हरियाणा के झज्‍झर, रोहतक, सोनीपत, जींद, करनाल और कैथल जिले तक जाना आसान हो जाएगा.

इसके साथ ही फेज टू में पंजाब के पटियाला, संगरूर, लुधियाना, जालंधर, कपूरथला, तरनतारन, अमृतसर और गुरदासपुर जिले तक भी लिंक रोड बनाया जाने का प्रस्ताव है.

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नई दिल्ली, 28 अगस्त (हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने एम्स के उन सभी डॉक्टरों को बधाई दी है, जिन्होंने उड़ान के दौरान आपात स्थिति में एक बच्ची का जीवन बचाया। उन्होंने डॉक्टरों की टीम को बधाई देते हुए कहा कि आपके प्रेरक कार्य ने दिखाया है कि डॉक्टरों को पृथ्वी पर भगवान का दूसरा रूप क्यों कहा जाता है। उन्होंने बच्ची के अच्छे स्वास्थ्य और शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की।
दरअसल, रविवार को विस्तारा की यूके-814 फ्लाइट दिल्ली के लिए उड़ी। विमान में दो साल की एक बच्ची की अचानक हालत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गई। इतना ही नहीं उस वक्त बच्ची के हाथ पैर ठंडे पड़ गए और उसकी नब्ज भी थम गई थी। विमान में इमरजेंसी कॉल की घोषणा हुई। इमरजेंसी कॉल के बाद फ्लाइट में मौजूद एम्स के पांच डॉक्टर मदद के लिए आगे आए।

एम्स दिल्ली ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर बच्चे और अन्य की तस्वीरें साझा की हैं। एम्स ने लिखा, आज शाम आईएसवीआईआर से बेंगलुरु से दिल्ली की उड़ान भरते समय विस्तारा एयरलाइन की उड़ान यूके-814 में एक संकट कॉल की घोषणा की गई। दो साल की एक बच्ची का इंट्राकार्डियक मरम्मत के लिए ऑपरेशन किया गया था, जो अचानक बेहोश हो गई थी और सियानोसिस से ग्रस्त थी। तुरंत बच्चे की जांच की गई। उसकी नाड़ी गायब थी, हाथ-पैर ठंडे थे, बच्ची सांस नहीं ले रही थी और उसके होंठ और उंगलियां पीले हो गए थे। 45 मिनट के उपचार के बाद बच्ची को नागपुर अस्पताल में ले जाया गया, जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

दिल्ली एम्स के ये पांच डॉक्टर डॉ नवदीप कौर- एसआर एनेस्थीसिया, डॉ. दमनदीप सिंह- एसआर कार्डियक रेडियोलॉजी, डॉ. ऋषभ जैन- पूर्व एसआर एम्स रेडियोलॉजी, डॉ. ओइशिका- एसआर ओबीजी, डॉ. अविचला टैक्सक- एसआर कार्डियक रेडियोलॉजी ने देवदूत बनकर बच्ची की जान बचाई।

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बेंगलुरु, 26 अगस्त (हि.स.)। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को बेंगलुरु पहुंचे। वह चंद्रयान-3 मिशन में शामिल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों से बातचीत करेंगे। इस दौरान उन्होंने ‘जय विज्ञान-जय अनुसंधान’ का नारा भी दिया। प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की यात्रा से लौटने के तुरंत बाद सुबह करीब 7ः15 बजे इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के मिशन संचालन परिसर पहुंचे।

प्रधानमंत्री वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन करेंगे। बेंगलुरु में एचएएल हवाई अड्डे के बाहर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-‘मैं खुद को रोक नहीं सका, क्योंकि मैं देश में नहीं था, लेकिन मैंने भारत दौरे के तुरंत बाद सबसे पहले बेंगलुरु जाने और अपने वैज्ञानिकों से मिलने का फैसला किया।’ प्रधानमंत्री ने हवाईअड्डे के बाहर एकत्र लोगों का अभिवादन भी किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा है- ‘मैं उन असाधारण इसरो वैज्ञानिकों से बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं, जिन्होंने चंद्रयान-3 की सफलता से भारत को गौरवान्वित किया है। उनका समर्पण और जुनून वास्तव में अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारे देश की उपलब्धियों के पीछे प्रेरक शक्ति है।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एचएएल हवाईअड्डे के बाहर एकत्र लोगों से जय जवान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान के नारे भी लगवाए। उन्होंने कहा जो दृश्य आज मुझे यहां दिखाई दे रहा है वह मुझे ग्रीस और जोहानिसबर्ग में भी दिखाई दिया। दुनिया के हर कोने में न सिर्फ भारतीय बल्कि विज्ञान में विश्वास करने वाले, भविष्य को देखने वाले, मानवता को समर्पित सब लोग इतने ही उमंग और उत्साह से भरे हुए हैं।

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नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को बताया कि चंद्रयान 3 मिशन के रोवर ‘प्रज्ञान’ ने चांद की सतह पर 8 मीटर की दूरी तय की है और उसके सारे पे लोड सही तरीके से काम कर रहे हैं। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर बुधवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सुरक्षित रूप से उतरा था।

इसरो ने ‘एक्स’ पर कहा कि सभी नियोजित रोवर गतिविधियों को सत्यापित कर लिया गया है। रोवर ने लगभग आठ मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है। रोवर के दो पेलोड (उपकरण) एलआईबीएस और एपीएक्सएस सुचारू रूप से काम कर रहे हैं। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर पर सभी उपकरण सामान्य ढंग से काम कर रहे हैं।

प्रज्ञान रोवर के दो उपकरण ‘अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ (एपीएक्सएस) का लक्ष्य चंद्र सतह की रासायनिक संरचना और खनिज संरचना का अध्ययन करना है। वहीं, ‘लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (एलआईबीएस) चंद्रमा पर लैंडिंग स्थल के आसपास की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना की पड़ताल के लिए है।

उधर, विक्रम लैंडर के तीन पे लोड ने भी काम करना शुरू कर दिया है। गुरुवार को इसरो ने बताया कि आईएलएसए, रंभा, और चस्ते सुचारू रूप से काम कर रहे हैं।

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नई दिल्ली, 25 अगस्त (हि.स.)। केंद्र सरकार के स्मार्ट शहरों की प्रतियोगिता के चौथे संस्करण में सर्वश्रेष्ठ “राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी पुरस्कार” इंदौर ने जीता है। इंदौर शहर को स्मार्ट शहरों में पहला स्थान मिला है। 100 स्मार्ट शहरों के बीच अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए सूरत और आगरा को दूसरा और तीसरा स्थान मिला है। यह पुरस्कार इंदौर में 27 सितंबर को आयोजित होने वाले समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू प्रदान करेंगी।

शुक्रवार को आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि राज्यों की श्रेणी में प्रथम स्थान मध्यप्रदेश, दूसरा स्थान तमिलनाडु और तीसरा स्थान संयुक्त रूप से राजस्थान और उत्तर प्रदेश को दिया गया है। केन्द्रीय शासित प्रदेश में चंडीगढ़ को स्वच्छ यूटी का पुरस्कार दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत देश के शहरों को स्वच्छ और साफ सूथरा बनाने के उद्देश्य से 25 जून 2015 को लॉन्च किया गया था। इस मिशन के तहत अब तक 1.11 लाख करोड़ की लागत से 6,041 योजनाएं पूरी की जा चुकी है। चयनित 100 स्मार्ट शहरों में कचरा निस्तारण, बेहतर परिवहन, सेंट्रल कमांड सेंटर लगाए जा रहे हैं।

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नई दिल्ली, 24 अगस्त (हि.स.)। चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद अब चंद्रयान-3 अपने मिशन में जुट गया है। बुधवार शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद की सतह पर उतरने के कुछ घंटों बाद विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर बाहर आ गया। गुरुवार सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स पर बताया कि `प्रज्ञान रोवर ने चांद पर घूमना शुरू कर दिया है। भारत में तैयार और चांद के लिए बना प्रज्ञान रोवर ने सुबह चांद पर घूमना शुरू कर दिया।’

बुधवार देर रात चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल के जरिए इसरो के डाटा सेंटर से जुड़ गया। लैंडिंग के बाद लैंडर ने चंद्रमा की पहली तस्वीर भी भेज दी। इसके कुछ ही देर बाद प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से बाहर आया। अब 14 दिनों तक लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर अलग-अलग स्तरों पर खोजबीन करेंगे जो भविष्य में चंद्रमा पर जीवन की खोज में अहम होंगे।

अगले 14 दिनों में क्या करेगा प्रज्ञान व विक्रम

प्रज्ञान रोवर में दो पेलोड्स यानी उपकरण हैं जो चांद की सतह पर मौजूद रसायन की मात्रा और गुणवत्ता का अध्ययन करने के साथ यहां अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा जैसे खनिज पदार्थ की खोज करेगा।

वहीं, इस दौरान विक्रम लैंडर भी अपने काम पर लगेगा जिसमें चार पेलोड्स लगे हैं। विक्रम चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व और उनमें होने वाले बदलाव की जांच करेगा। साथ ही चांद की सतह पर तापमान की जांच, भूकंपीय गतिविधियों के साथ चांद के डायनेमिक्स को समझने की कोशिश करेगा।

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नई दिल्ली, 23 अगस्त (हि.स.)। चांद की धरती पर उतरकर भारत ने बुधवार को इतिहास रच दिया। भारत मून मिशन चंद्रयान-3 सफल हो गया है। बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद के उस हिस्से पर उतरा, जहां आज तक कोई भी नहीं पहुंचा था। इस ऐतिहासिक पल का सीधा प्रसारण होने से पूरा देश चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर कदम रखने की ऐतिहासिक घटना का गवाह बना।

वहीं, लैंडिंग के करीब ढाई घंटे के बाद लैंडर से प्रज्ञान रोवर भी बाहर आ गया है। चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान 6-पहिए वाला एक रोबोट वाहन है। ये चांद की सतह पर चलेगा। इसी के जरिए चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के अब तक के अछूते भाग के बारे में जानकारी मिलेगी।

इसरो ने लैंडिंग के बाद की पहली तस्वीर जारी की

इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग इमेजर कैमरा से लैंडिंग के बाद की तस्वीर जारी की है। इसरो ने तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया, लैंडिग के बाद लैंडिंग इमेजर कैमरा से खीची गई तस्वीर। इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा दिखाया गया है। एक लेग और उसके साथ की परछाई भी दिखाई दे रही है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र चुना है।

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नई दिल्ली, 23 अगस्त (हि.स.)। चांद की धरती पर उतरकर भारत ने बुधवार को इतिहास रच दिया। चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर तय समय पर 6 बजकर 4 मिनट पर चांद के उस हिस्से पर उतरा, जहां आज तक कोई भी नहीं पहुंचा था। इस ऐतिहासिक पल का सीधा प्रसारण होने से पूरा देश चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर कदम रखने की ऐतिहासिक घटना का गवाह बना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने गए साउथ अफ्रीका से इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना भारत

अमेरिका, रूस और चीन भारत से पहले चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं, इसलिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के मून मिशन पर नासा सहित पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं, क्योंकि इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि आज भारत का चंद्रयान-3 उस जगह पर उतरा है, जहां पर आज तक कोई देश नहीं पहुंच सका था। बेंगलुरु के इसरो कमांड सेंटर में वैज्ञानिकों की पूरी टीम के लिए यह बेहद अहम और तनाव भरा समय रहा, लेकिन भारत के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाला दुनिया का पहला देश बनते ही सारे वैज्ञानिक ख़ुशी से झूम उठे और एक दूसरे को बधाई दी। चांद का दक्षिणी ध्रुव बेहद खास और रोचक इसलिए है, क्योंकि यहां हमेशा अंधेरा रहता है। साथ ही उत्तरी ध्रुव की तुलना में यह काफी बड़ा भी है। हमेशा अंधेरे में होने के कारण यहां पानी होने की संभावना भी जताई जा रही है। इसरो ने चांद के इस हिस्से में मौजूद क्रेटर्स में सोलर सिस्टम के जीवाश्म होने की संभावना भी जताई है। चंद्रयान-3 से भेजा गया प्रज्ञान रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर घूम कर इन सब बातों का पता लगाएगा।

अब क्या-क्या शोध करेगा प्रज्ञान रोवर

भारत का चंद्रयान-3 मिशन अब तक के मिशनों से अलग है। इस मिशन से व्यापक भौगौलिक, मौसम सम्बन्धी अध्ययन और चंद्रयान-1 द्वारा खोजे गए खनिजों का विश्लेषण करके चंद्रमा के अस्तित्त्व में आने और उसके क्रमिक विकास की और ज़्यादा जानकारी मिल पाएगी। चंद्रमा पर रहने के दौरान कई और परीक्षण भी किये जाएंगे, जिनमें चांद पर पानी होने की पुष्टि और वहां अनूठी रासायनिक संरचना वाली नई किस्म की चट्टानों का विश्लेषण शामिल हैं। चंद्रयान-3 से चांद की भौगोलिक संरचना, भूकम्पीय स्थिति, खनिजों की मौजूदगी और उनके वितरण का पता लगाने, सतह की रासायनिक संरचना, ऊपर मिट्टी की ताप भौतिकी विशेषताओं का अध्ययन करके चन्द्रमा के अस्तित्व में आने तथा उसके क्रमिक विकास के बारे में नई जानकारियां मिल सकेंगी।

क्या है रोवर प्रज्ञान

चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान 6-पहिए वाला एक रोबोट वाहन है, जो संस्कृत में ‘ज्ञान’ शब्द से लिया गया है। रोवर प्रज्ञान 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) तक यात्रा कर सकता है और सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। यह सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है। चांद की सतह पर लैंडिंग के करीब 2 घंटे के बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। इसी के जरिए चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के अब तक के अछूते भाग के बारे में जानकारी मिलेगी। इसका वजन 27 किलोग्राम और विद्युत उत्पादन क्षमता 50 वॉट है। यह चांद की सतह पर मौजूद पानी या बाकी तत्वों का बारीकी से परीक्षण करेगा।

क्या होती है सॉफ्ट लैंडिंग

भारत ने पहली बार किसी उपग्रह पर अपने किसी यान की सॉफ्ट लैंडिंग कराई है। इस मिशन के सफल होने पर भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है, जिसके पास सॉफ्ट लैंडिंग की स्वदेशी तकनीक है। सॉफ्ट लैंडिंग में खतरे भी बहुत होते हैं और तमाम सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं। हवाई जहाज से कूदने पर थोड़ी ऊंचाई के बाद पैराशूट खोलकर जमीन पर उतरने को भी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कहा जाता है। अगर हवाई जहाज से कूदने वाला व्यक्ति पैराशूट न खोले, तो वह गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव और अपने वजन की वजह से तेजी से जमीन पर टकराएगा, जिससे उसे भारी नुकसान हो सकता है या उसकी मौत भी हो सकती है, लेकिन पैराशूट की वजह से वह सॉफ्ट लैंडिंग करता है। इसी तरह एयरपोर्ट पर लैंडिंग के वक्त विमान का पायलट पहले पिछले पहिए को रनवे पर लैंड कराता है, फिर अगले पहिए को। इससे प्लेन का वजन गति की दिशा में सही तरीके से नीचे आता है और लैंडिंग सेफ होती है। इसे भी सॉफ्ट लैंडिंग कहते हैं।

विक्रम लैंडर ने खुद तलाशी लैंडिंग की जगह

इसरो के मुताबिक चांद पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति धरती की अपेक्षा 1/6 कम है। यानी वहां गिरने की गति ज्यादा तेज है, क्योंकि वहां वायुमंडल नहीं है, इसलिए घर्षण से गति कम करने की कवायद भी नहीं की जा सकती थी। इसलिए जब विक्रम लैंडर ने 25 किमी. की ऊंचाई से चांद की सतह पर उतरना शुरू किया, तो उसके नीचे लगे चारों इंजनों को ऑन कर दिया गया। इस तरह जो इंजन अभी तक विक्रम लैंडर को आगे बढ़ाने का काम कर रहे थे, वही इंजन विपरीत दिशा में दबाव बनाकर विक्रम की गति को कम करके 2 मीटर प्रति सेकंड पर ले आये और लैंडिंग से कुछ सेकंड पहले गति जीरो कर दी गई। यह सारा काम विक्रम लैंडर में मौजूद ऑनबोर्ड कंप्यूटर ने किया। उसमें लगे सेंसर्स ने सही और गलत जगह की तलाश की और फिर विक्रम लैंडर अपने चारों पैरों के सहारे आराम से चांद की सतह पर उतर गया।

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नई दिल्ली, 22 अगस्त (हि.स.)। चंद्रयान-3 द्वारा भेजी गई चंद्रमा की कुछ और तस्वीरें इसरो ने साझा की हैं। इसरो ने मंगलवार को तस्वीरें ट्वीट कर बताया कि देश का महत्वपूर्ण चंद्रमा मिशन एकदम तय समय पर है। सभी सिस्टम की अच्छे से जांच परख की जा रही है। लैंडर विक्रम अपने लक्ष्य की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।

इसरो ने 19 अगस्त को लगभग 70 किमी की ऊंचाई से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) द्वारा ली गई चंद्रमा की तस्वीरें मंगलवार को ट्वीट कीं। एलपीडीसी छवियां लैंडर मॉड्यूल को एक साथ मिलान करके उसकी स्थिति (अक्षांश और देशांतर) निर्धारित करने में सहायता करती हैं।

इसरो ने ट्वीट किया, “मिशन तय समय पर है। सिस्टम की नियमित जांच हो रही है। सुचारू रूप से आगे बढ़ना जारी है। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (मोक्स) ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ है। मोक्स पर लैंडिंग ऑपरेशन का सीधा प्रसारण शाम पांच बजे से शुरू होगा।”

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नई दिल्ली, 21 अगस्त (हि.स.)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ ने भारत के चंद्रमा मिशन को अब तक सफल बताते हुए कहा है कि चंद्रयान-3 की सभी प्रणालियां अब तक पूरी तरह से काम कर रही हैं और 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार लगभग 18:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। बुधवार को लैंडिंग के समय किसी भी आकस्मिकता की आशंका नहीं है

डॉ. सोमनाथ ने सोमवार को चंद्रयान-3 की लैंडिंग की तैयारियों और मौजूदा स्थिति के बारे में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह को आधिकारिक जानकारी दी। इसरो के अध्यक्ष ने मंत्री को बताया कि चंद्रयान-3 की सभी प्रणालियां पूरी तरह से काम कर रही हैं और 23 अगस्त को लगभग 18:04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। बुधवार को लैंडिंग के समय किसी भी आकस्मिकता की आशंका नहीं है। अगले दो दिनों में चंद्रयान-3 की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि लैंडिंग का अंतिम क्रम दो दिन पहले लोड किया जाएगा।

इसरो के अनुसार चंद्रयान-2 मिशन केवल आंशिक रूप से असफल रहा था, क्योंकि हार्ड लैंडिंग के बाद लैंडर का संपर्क टूट गया था। सोमवार को इसरो ने ट्वीट करके बताया कि चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल का चार साल से परिक्रमा कर रहे चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के बीच दो-तरफा सफलतापूर्वक संचार स्थापित हुआ है। इससे पहले आज इसरो ने चंद्रयान-3 से ली गई चंद्र सुदूर क्षेत्र की नई छवियां साझा कीं।

इसरो अध्यक्ष से आधिकारिक जानकारी मिलने के बाद डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बार चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग का भरोसा जताया और उम्मीद जताई कि इस बार ग्रहों की खोज का एक नया इतिहास लिखा जायेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि चंद्रयान की श्रृंखला में चंद्रयान-1 को चंद्रमा की सतह पर पानी की उपस्थिति की खोज करने का श्रेय दिया जाता है, जो दुनिया और प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए एक नया रहस्योद्घाटन था। संयुक्त राज्य अमेरिका का नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) इस खोज से प्रभावित हुआ और अपने आगे के प्रयोगों के लिए इनपुट का उपयोग किया।

चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन के माध्यम से लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-3 मिशन सफल होने पर संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होगा, लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत दुनिया का एकमात्र देश होगा।

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नई दिल्ली, 21 अगस्त (हि.स.)। चंद्रयान-3 इतिहास रचने के महज कुछ ही घंटों की दूरी पर है। चांद पर लैंडिंग की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 23 अगस्त शाम 5.45 मिनट पर चंद्रयान-3 चांद पर कदम रखेगा। इस बीच सोमवार को चंद्रयान-2 ने चंद्रयान -3 का औपचारिक स्वागत किया। दोनों के बीच दोतरफा संचार स्थापित हो गया है। इससे पहले इसरो ने यान द्वारा ली गई चंद्रमा की कुछ तस्वीरें भी साझा की।

सोमवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ट्वीट करके कहा कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया। दोनों के बीच द्विपक्षीय संपर्क स्थापित किया गया है। उल्लेखनीय है कि साल 2019 में भारत ने अपना मिशन चंद्रयान-2 लॉन्च किया था लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग में गड़बड़ी हो गई थी। चंद्रयान-2 क्रैश हुआ लेकिन इसने अपना काम किया था।

चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर पिछले 4 साल से चांद के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहा है और अपना काम कर रहा है। अब चार साल के बाद जब विक्रम लैंडर फिर से चांद के पास पहुंचा है तब चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर एक्टिव हुआ है।

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-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर जताया दुख

नई दिल्ली, 19 अगस्त (हि.स.)। लद्दाख में लेह के पास शनिवार देर शाम सेना का एक ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में सात जवानों की मौत हो गई जबकि कई जवान घायल हुए हैं। सेना की तरफ से राहत एवं बचाव कार्य जारी है। वहीं रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर शोक व्यक्त किया है।

सेना के अधिकारियों के मुताबिक सेना के ट्रक के साथ एक एंबुलेंस और यूएसवी भी जा रही थी। इन सभी वाहनों में सेना के कुल 34 जवान थे। इस बीच अचानक सेना का ट्रक क्यारी इलाके में एक खाई में गिर गया। हादसे में सात जवानों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हुए हैं। सभी जवान कारू गैरीसन से लेह के पास क्यारी की तरफ जा रहे थे। हादसा शाम करीब छह बजे क्यारी से सात किलोमीटर पहले हुआ है। फिलहाल राहत एवं बचाव कार्य जारी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने एक्स (ट्विटर) कर कहा कि लद्दाख में लेह के पास एक दुर्घटना में भारतीय सेना के जवानों की मौत से दुखी हूं। हम अपने राष्ट्र के प्रति उनकी अनुकरणीय सेवा को कभी नहीं भूलेंगे। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं। घायल कर्मियों को फील्ड अस्पताल ले जाया गया है। उनके शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना।

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