Chhapra: रामनवमी के अवसर पर शहर में निकलने वाली शोभायात्रा को लेकर स्थानीय आर्य समाज विद्यालय परिसर में श्री रामजन्मोत्सव शोभायात्रा समिति द्वारा आमसभा का आयोजन किया गया.

आम सभा में उपस्थित सभी लोगों द्वारा शोभायात्रा को लेकर अपने अपने सुझाव प्रदान किए गए. साथ ही साथ चैत्र वर्ष प्रतिप्रदा के अवसर पर प्रत्येक घरों के मुख्य द्वार पर दीप प्रज्वलन करने का आग्रह किया गया.

बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने शोभायात्रा को सफल बनाने के लिए तन मन धन से लग जाने का आह्वान भी किया गया. शोभायात्रा की गरिमा बनाए रखने के लिए आवश्यक निर्देश भी दिए गए.

बैठक का संचालन मेयर लक्ष्मी नारायण गुप्ता ने किया. बैठक में सिया राम सिंह, अवध किशोर मिश्रा, रंजीत सिंह, बृजकिशोर बैठा, ओम प्रकाश गुप्ता, राम दयाल शर्मा सहित दर्जनों वक्ताओं ने सम्बोधित किया.

0Shares

वाराणसी, 14 मार्च (हि.स.)। बाबा विश्वनाथ की नगरी में शुक्रवार को रंगों के पर्व होली की सतरंगी मस्ती हर तरफ दिख रही है। गांव, शहर से लेकर गंगा घाटों तक लोग रंग -गुलाल में भीग कर एक-दूसरे को रंग लगा रहे हैं। रंगोत्सव का उल्लास हर तरफ दिख रहा है। महापर्व पर पूरे शहर में सुरक्षा का व्यापक प्रबन्ध किया गया है। संवेदनशील जगहों पर विशेष चौकसी की जा रही है।

श्रीकाशी विश्वनाथ के संग श्रद्धालुओं ने खेली होली

सुबह श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में शिवभक्तों ने बाबा के संग होली खेली। शहर के दूसरे मंदिरों में भी देवी-देवताओं के साथ श्रद्धालुओं ने होली खेली। दर्शनार्थियों ने बाबा विश्वनाथ, कालभैरव, संकटमोचन, मां अन्नपूर्णा, दुर्गा मंदिर समेत सभी मंदिरों में रंगोत्सव का पहला गुलाल अर्पित किया। काशी की परंपरानुसार चौसठ्ठी घाट स्थित चौसठ्ठी माता के मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी हुई थी और मंदिर में गुलाल चढ़ाने के बाद लोगों ने होली खेली।

रंगोत्सव पर सुबह से ही बच्चों और युवाओं की टोली मस्ती में दिखी। दिन चढ़ते ही युवा और बच्चे रंग पिचकारी लेकर एक-दूसरे का भिगोने लगे और गले मिलकर पर्व की बधाई दी। युवाओं की टोलियां एक-दूसरे को रंगों में भिगो कर कपड़ा फाड़, अजब-गजब भेष बना सड़कों पर गले मिलते हुए देखी गई। नगर के गोदौलिया, लहुराबीर, सोनारपुरा, लंका, सिगरा, रथयात्रा चौराहे पर होली की रंगत विशेष तौर पर देखी जा रही है। जगह-जगह डीजे पर होली गीतों पर युवा समूह में थिरकते रहे। गंगा घाटों पर विदेशी नागरिक भी होली की खुमारी में स्थानीय युवकों के साथ नगाड़े और ढोल की थाप पर थिरकते रहे।

कई कॉलोनियों और सोसाइटियों में रंगोत्सव के दौरान मनोरंजक खेलों का आयोजन किया गया। तो कहीं कवि गोष्ठी के बीच ठंडई और भांग का दौर चला। शहर में कई स्थानों पर होली बारात निकालने की परंपरा का निर्वाह भी किया गया।

पुलिस भी रही सक्रिय

होली की मस्ती और हुड़दंग के बीच पुलिस अफसर फोर्स के साथ सड़कों पर दिखे। माहे रमजान के जुमा को देखते हुए शहर के प्रमुख चौराहों के साथ ही मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस कर्मी मुस्तैद रहे। इस दौरान कुछ लोगों ने अबीर-गुलाल से उनको भी रंग दिया।

0Shares

होली उमंग तथा उत्साह का त्योहार है। हिन्दू धर्म के त्योहार में सबसे प्रसिद्द त्योहार होली है। पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन माह के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, लेकिन पूर्णिमा का होली सभी जगह नहीं मानते है। शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा प्रतिपदा से युत हो इस स्थति में होली मनाना बहुत ही शुभ होता है।

होली हर्सोल्लास का त्योहार है। बसंत ऋतू में लगाए गए फसल की कटाई होती है। जिसमे मुख्यत गेहूं तथा अन्य फसल भी निकलता है। हिन्दू धर्म के रीति रिवाज के अनुसार जब भी किसान खेत से अपना फसल निकालते है उस फसल के अन्य को निकालकर पकवान बनाते है। अपने कुल देवता तथा तथा आराध्य देव को पूजन करते है भोग लगते है, फिर सभी परिवार के साथ मिलकर प्रसाद को खाते है। शास्त्र प्रमाण के अनुसार हिरण्यकश्यप तथा प्रह्लाद को लेकर है होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत है। इसलिए इस दिन एक दुसरे पर रंग गुलाल लगाते है।

होली का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार सुबह 09:17 से आरम्भ होगा.
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार सुबह 11:11 मिनट तक रहेगा.

भद्रा काल कब से आरंभ होगा

भद्रा काल का आरम्भ 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार सुबह 10:02 से आरम्भ होगा.
भद्रा काल समाप्ति 13 मार्च 2025 रात्रि 10 :37 मिनट पर समाप्त होगा.

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

13 मार्च 2025 दिन गुरुवार रात्रि 10:38 मिनट के बाद होलिका दहन किया जा सकता है लेकिन रात्रि में होलिका दहन करना अनुकुल नही माना जाता है इसलिए होलिका दहन 14 मार्च 2025 को सुबह में होलिका दहन करना शुभ होगा.

शास्त्र सम्मत के अनुसार होली कब मनाए

नियमतः किसी भी त्योहार शुभ मुहूर्त में मनाने से बहुत ही शुभ होता है। घर परिवार लिए कल्याणकारी होता है। होलिका दहन के अगले दिन काशी के अंतर्गत होली का प्रसिद्द त्योहार मनाया जायेगा। अन्य क्षेत्रो में होली मनाने का प्राब्धन शास्त्र के अनुसार चैत्र कृष्णपक्ष की ओउदायिक तिथि में खेलने का शास्त्र प्रमाण है। इसलिए काशी के अलावा अन्य क्षेत्र में होली खेली जाती है। काशी में होली 14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार को मनाया जायेगा। अन्य जगह पर 15 मार्च 2025 दिन शनिवार को होली खेला जाएगा.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

0Shares

Chhapra: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर श्री राम जानकी मंदिर समिति द्वारा भव्य शिव बारात निकाली जाएगी, आयोजन को भव्य बनाने के लिए 51 आकर्षक झांकियों की तैयारियां अंतिम चरण में हैं, इस ऐतिहासिक यात्रा में वृंदावन, मथुरा, काशी सहित सैकड़ो स्थानीय कलाकार शामिल होंगे, जो शिव-पार्वती विवाह की झांकी प्रस्तुत करेंगे, मन्दिर समिति के अनुसार, इस बार की यात्रा पिछले वर्षों की तुलना में अधिक भव्य होगी, यात्रा का मार्ग भी जारी कर दिया गया है, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु इसका दर्शन कर सकें, पूरी यात्रा के दौरान हर-हर महादेव के जयघोष से शहर भक्तिमय हो उठेगा.

यात्रा का मार्ग (रूट प्लान) इस प्रकार रहेगा

शिव बारात सुबह 8:00 बजे श्री राम जानकी मंदिर से प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न प्रमुख मार्गों से होते हुए पुनः मंदिर परिसर में संपन्न होगी, जो छत्रधारी बाजार से निकलकर मालखाना चौक होते हुए रामजयपाल चौक के रास्ते रामराज्य चौक पहुंचेगी फिर पंकज सिनेमा होते हुए दहियावां चौक के रास्ते थाना चौक पहुंचेगी, थाना चौक से साहेबगंज चौक होते हुए मौना चौक के रास्ते सलेमपुर के रास्ते नगरपालिका चौक होते हुए अलियर स्टैंड के रास्ते दरोगा राय चौक होकर भरत मिलाप चौक होते हुए भगवान बाजार के रास्ते काशी बाजार पहुंचेगी, काशी बाजार से राजेंद्र कॉलेज चौक होते हुए गुदरी बाजार के रास्ते दौलतगंज पहुंचेग, दौलतगंज से धर्मनाथ मंदिर होते हुए कटरा चौक के रास्ते वापस श्री राम जानकी मंदिर पहुंचकर समाप्त होगी.


शिव बारात का धार्मिक और पौराणिक महत्व

महाशिवरात्रि पर शिव बारात का आयोजन विशेष धार्मिक महत्व रखता है, यह भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की स्मृति में निकाली जाती है, बारात में देवता, ऋषि-मुनि, भूत-प्रेत, नाग-सर्प और विभिन्न स्वरूपों में शिवगण होंगे, मन्दिर के एक सदस्य ने बताया कि यात्रा भगवान शिव की अद्वितीयता, शक्ति और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है.भगवान शिव की बारात में अघोरी, साधु-संत, नागा साधु, कंठीधारी संन्यासी विशेष आकर्षण का केंद्र बनते हैं, यात्रा के दौरान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगों की झांकी, शिव-पार्वती विवाह का दृश्य, भगवान विष्णु और ब्रह्मा के साथ शिव संवाद, समुद्र मंथन और अन्य धार्मिक प्रसंगों को झांकियों के माध्यम से दर्शाया जाएगा।


शिव बारात के मुख्य आकर्षण, ये होंगे शिव बारात के मुख्य आकर्षण

शिव-पार्वती विवाह, कैलाश पर्वत, तांडव नृत्य, गंगा अवतरण, नागा साधुओं की झलक, समुद्र मंथन जैसी झांकियां आकर्षण का केंद्र होंगी, देशभर के कलाकारों की प्रस्तुति: वृंदावन, मथुरा, काशी से आए कलाकार शिव तांडव और भक्ति नृत्य प्रस्तुत करेंगे शिव तांडव और भजन संध्या:पूरे मार्ग पर हर-हर महादेव के जयघोष के बीच भजन मंडलियों द्वारा शिव भक्ति गीत गाए जाएंगे, विशेष रथ यात्रा:भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमाओं को विशेष रूप से सजे रथों पर विराजित किया जाएगा।

शिव बारात के दौरान यातायात को सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष रूप से जिला पदाधिकारी को पत्र प्रसाशनिक सहयोग के लिए पत्र लिखकर आग्रह किया गया है, श्री राम जानकी मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से शिव बारात को अनुशासनबद्ध और भक्तिपूर्ण तरीके से सफल बनाने में सहयोग करने की अपील की है, मन्दिर समिति की ओर से कहा गया कि यह आयोजन सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। श्रद्धालुओं से यात्रा के दौरान शांति बनाए रखने, स्वच्छता का ध्यान रखने और भक्तिभाव से शामिल होने का अनुरोध किया गया है

शिव बारात का संदेश: धर्म और भक्ति का संगम

मन्दिर के व्यवस्थापक सूरज प्रकाश ने बताया कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आध्यात्मिक चेतना जागृत करने का माध्यम भी है, शिव की बारात में शामिल होकर भक्तजन धर्म, अध्यात्म और शिव कृपा का अनुभव करेंगे, शहरवासियों के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर होगा, जहां वे भक्ति, प्रेम और उत्साह के वातावरण में डूबकर हर-हर महादेव के जयघोष में शामिल होंगे!

0Shares

Chhapra: बाबा मनोकामना नाथ मंदिर का जिर्णोद्धार कार्य निरंतर चल रहा है। महाराष्ट्र से आए हुए कुशल कारीगरों के द्वारा शिखर का कार्य शुभारंभ किया गया।

आचार्य महेश मिश्रा, पुजारी गोपाल मिश्रा, आचार्य सोमू मिश्रा के द्वारा वैदिक मंत्र उच्चारण एवं अरुण पुरोहित धर्म प्रचारक के शंखनाद के साथ पूजन प्रारंभ हुआ। मुख्य जजमान मंदिर समिति के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह मुन्ना ने पूजन किया। 

इस अवसर पर समिति के संस्थापक सचिव अरुण पुरोहित ने समस्त सनातन धर्मावलंबियों से इस पुनीत कार्य में तन मन धन से सहयोग कर बाबा मनोकामना नाथ का आशीर्वाद प्राप्त करने की अपील की।

इस अवसर पर शोभा यात्रा समिति के अध्यक्ष अरुण कुमार सिंह, उपाध्यक्ष संजीव सिंह, माधवेंद्र सिंह,  उदय प्रताप सिंह पप्पू गुप्ता सहित दर्जनों लोग उपस्थित थें। पूरा मंदिर परिसर हर हर महादेव से गूंजायमान हो उठा।

0Shares

पटना के 251 मंदिरों एक साथ शिव चर्चा से महाशिवरात्रि महोत्सव का आगाज

पटना:  आगामी 26 फरवरी को महाशिवरात्रि महोत्सव से पहले सोमवार को पुनाईचक, शास्त्री नगर, शेखपुरा, राजीव नगर, इंद्रपुरी, कुर्जी, दीघा, पाटलीपुत्र, मीठापुर, गर्दनीबाग, चितकोहरा, दानापुर, रुकनपुरा समेत शहर के 251 मंदिरों में एक समय पर शिव चर्चा का आयोजन किया गया। यहां देर शाम तक ढोल, झाल-मजीरे के साथ भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा। इस दौरान श्रद्धालु भी शिवभक्ति में डूबे नजर आए। देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग वर्चुअल माध्यम से भी जुड़े रहे। इसका लिंक श्री श्री महाशिवरात्रि महोत्सव शोभा यात्रा अभिनंदन समिति की ओर से जारी किया गया था।

मुख्य कार्यक्रम पुनाईचक स्थित राधाकृष्ण मंदिर में हुआ जिसमें राज्य सरकार की मंत्री रेणु देवी, अभिनंदन समिति के संयोजक सह विधायक डॉ. संजीव चौरसिया, वैश्विक शिव शिष्य परिवार की अध्यक्ष लवली दीदी, प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की पूनम दीदी, संजू दीदी और अंजू दीदी समेत सैकड़ों शिवभक्त शामिल हुए।

शिव चर्चा के दौरान कलाकारों की टोली ने किया तप इस कदर हुआ शिव पर असर… शिव नाम जपने की रात आई… जोगी भेष धरकर नंदी पर चढ़कर… मेरा भोला है भंडारी जैसे भजनों की प्रस्तुति से शिवभक्तों को भावविभोर कर दिया। आयोजन में महिला श्रद्धालुओं की भागीदारी सबसे ज्यादा रही। सभी अतिथियों को समिति की ओर से अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर डॉ. चौरसिया ने शिव चर्चा के संस्थापक व प्रणेता स्वामी हरिन्द्रानन्द जी (साहेब) को नागरिक सम्मान प्रदान करने का राज्य व केंद्र सरकार से आग्रह किया। उन्होंने सभी शिवभक्तों से 26 फरवरी को अपने-अपने इलाकों से निकलने वाली शोभा यात्राओं में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की अपील की। उन्होंने बताया कि सभी शोभा यात्राओं और झांकियों का अभिनंदन खाजपुरा शिव मंदिर परिसर में किया जाएगा।

0Shares

महाकुम्भनगर,15 फरवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ रहा है। शनिवार रात 08 बजे तक 1.36 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। लगातार श्रद्धालुओं का आगमन जारी है। सुरक्षा के मद्देनजर मेला क्षेत्र एवं घाटों की निगरानी के लिए पुलिस की चौकसी बढ़ा दी गई है।

अपर मेला अधिकारी महाकुम्भ विवेक चर्तेदी ने बताया कि ​पतित पावनी मां गंगे व यमुना एवं अन्त:सलीला सरस्वती के पावन संगम के घाटों पर शनिवार रात में भी स्नान जारी है। शनिवार रात 08 बजे तक तीर्थयात्रियों की संख्या 1.36 करोड़ पहुंच चुकी है।

महाकुम्भ में 144 वर्ष ऐसे पुण्य संयोग में 15 फरवरी तक 51.47 करोड़ से अधिक से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुकें है, तीर्थयात्रियों का आगमन जारी है। सुरक्षा के मद्देनजर सभी स्नान घाटों पर बचाव रात दल, जल पुलिस एवं गोताखोर लगातार निगरानी में लगे हुए। भीड़ पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए घाटों से स्नान कर चुके श्रद्धालुओं को हटाने के लिए लगातार आवाज लगाते हुए बाहर निकाला जा रहा है। हालांकि त्रिजटा स्नान के बाद कल्पवासी और साधु संत अपने आवास वापस चले गए।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महाकुम्भ राजेश द्विवेदी ने बताया कि श्रद्धालुओं एवं स्नानार्थियों को सुगम आवागमन एवं सुरक्षा के मद्देनजर सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में जोनल यातायात व्यवस्था लागू की गई है जो 15 एवं 16 फरवरी तक लागू रहेगी। परेड मेला क्षेत्र से संगम मेला क्षेत्र की ओर आने वाले श्रद्धालुओं एवं स्नानार्थियों परेड क्षेत्र की तरफ बने संगम सहित अन्य स्नान घाट पर स्नान कर सकेंगे। झूंसी मेला क्षेत्र से मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं एवं स्नानार्थियों झूंसी की तरफ बने स्नान घाटों पर स्नान कर सकेंगे। इसी तरह अरैल मेला क्षेत्र से मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं एवं स्नानार्थी अरैल की तरफ बने स्नान घाटों पर स्नान कर सकेंगे।

सम्पूर्ण महाकुम्भ मेला क्षेत्र को फिर घोषित किया गया नो व्हीकल जोन

महाकुम्भ मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओ एवं स्नानार्थियों के लिए मेला पुलिस ने जारी किए गए वाहन पास के वाहन स्वामी भी निर्धारित ‘पार्किंग’ स्थलों पर अपने वाहनो को पार्क करेंगे एवं महाकुम्भ मेला क्षेत्र में आकस्मिक सेवा एवं चिकित्सीय सेवा जैसे एम्बुलेंस एवं खाद्य व रसद के वाहनों के अतिरिक्त सभी प्रकार के वाहनों का संचरण प्रतिबंधित रहेगे।

महाकुम्भ मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं एवं स्नानार्थियों से अनुरोध है कि मेला पुलिस एवं प्रशासन व यातायात पुलिस के सुझावों का पालन करें एवं सुगम आवागमन व सुरक्षित स्नान के लिए मेला पुलिस का सहयोग करें।

0Shares

महाकुम्भ : आस्ट्रेलिया की आबादी से सत्रह गुणा ज्यादा श्रद्धालु संगम में लगा चुके आस्था की डुबकी

45 करोड़ श्रद्धालुओं के महाकुम्भ में शामिल होने का था अनुमान- एक महीने में 46 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में लगा चुके आस्था की डुबकी- अभी दो हफ्ते बाकी है मेला, 26 फरवरी को शिवरात्रि स्नान पर होगा समापन

महाकुम्भ नगर:  मानवता की अमूर्त धरोहर कुम्भ का साक्षी बनने के लिए पूरी दुनिया संगमनगरी में उमड़ पड़ी। विश्व के सबसे बड़े मेले महाकुम्भ को शुरू हुए बुधवार माघ पूर्णिमा को एक महीना पूरा हो गया। इस एक महीने में तीन पवित्र नदियों के संगम में आस्ट्रेलिया की आबादी से 17 गुणा ज्यादा संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। आबादी के लिहाज से देखें तो फ्रांस की आबादी से सात गुणा, इंग्लैण्ड की आबादी से छह गुणा, रशिया और जापान की आबादी से तीन गुणा ज्यादा संख्या में श्रद्धालु अब तक पवित्र स्नान कर चुके हैं। 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुम्भ मेले में अभी तक करीब पावन डुबकी लगाने वालों की संख्या 46 करोड़ को पार कर चुकी है।बुधवार 12 फरवरी शाम-4 बजे तक 1.94 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया है। मेला समापन में अभी दो हफ्ते का समय बाकी है।

आबादी के लिहाज से महाकुम्भ नगर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश विश्व की आठ अरब से ज्यादा की आबादी में 1.45 अरब आबादी के साथ भारत अव्वल है। 1.41 अरब आबादी के साथ पड़ोसी देश चीन दूसरे और 34.5 करोड़ आबादी के साथ अमेरिका तीसरे स्थान पर हैं। महाकुम्भ में अब तक आए श्रद्धालुओं के हिसाब से उत्तर प्रदेश 76वां जिला महाकुम्भ नगर आबादी के लिहाज से दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को पछाड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। विश्व में दस करोड़ से कम आबादी वाले लगभग 139 देश हैं।

आस्ट्रेलिया की आबादी से 17 गुणा ज्यादा कर चुके स्नान

वर्ल्डोमीटर डॉट इनफो वेबसाइट के अनुसार, आस्ट्रेलिया की आबादी 2.67 करोड़ है। उस हिसाब से महाकुम्भ में आस्ट्रेलिया की पूरी आबादी 17 बार से ज्यादा बार स्नान कर चुकी है। फ्रांस की आबादी 6.65 करोड़ और इंग्लैण्ड की 6.91 करोड़ है। महाकुम्भ में स्नान करने वालों की संख्या के हिसाब से फ्रांस की पूरी आबादी सात और इंग्लैण्ड छह बार स्नान कर चुकी है।

रशिया और जापान की पूरी आबादी तीन बार कर चुकी स्नान वर्ल्डोमीटर डॉट इनफो वेबसाइट के अनुसार, रशिया की आबादी 14.48 करोड़ और जापान की आबादी 12.3 करोड़ है। इस लिहाज से इन दोनों देशों की पूरी आबादी तीन बार महाकुम्भ में स्नान कर चुकी है।

महाकुम्भ में 40-45 करोड़ श्रद्धालु आने का था अनुमान

उत्तर प्रदेश सरकार ने अनुमान लगाया था कि 45 दिन के दुनिया के इस सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन में 45 करोड़ के करीब श्रद्धालु आएंगे। एक महीने में यह संख्या 46 करोड़ को पार कर चुकी है। अभी मेले दो हफ्ते का समय शेष है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान के साथ मेले का समापन होगा। माना जा रहा है कि महाकुंभ में स्नानार्थियों की संख्या 50 करोड़ से पार हो जाएगी।

2019 में 24 करोड़ ने लगायी थी आस्था की डुबकी

2019 में प्रयागराज में 48 दिन तक चले कुम्भ मेले में 24 करोड़ 10 लाख श्रद्धालु गंगा, यमुना और अंतःसलिला सरस्वती में पुण्य की डुबकी लगाकर धन्य हुए थे। इस कुम्भ में जितने लोगों ने स्नान किया, उतनी भीड़ अब तक किसी मेले में नहीं लगी। यहां तक कि प्रदेश सरकार और मेला प्रशासन की ओर से भी 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान का अनुमान लगाया जा रहा था। 2013 के कुम्भ में 12 करोड़ श्रद्धालु शामिल हुए थे।

संतों और श्रद्धालुओं ने योगी सरकार की तारीफ की

दिव्य, भव्य और नव्य महाकुम्भ के आयोजन और व्यवस्था के लिये संत समाज और श्रद्धालुओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश सरकार की तारीफ की है। युवा श्रद्धालुओं ने महाकुंभ स्नान को अमिट स्मृति बताते हुए इसे सफल बनाने के लिए सीएम योगी का तहेदिल से आभार जताया। चंडीगढ़ से आये युवा श्रद्धालु कृतिका का कहना है कि, घाटों पर भारी भीड़ में भी सब कुछ अच्छे से मैनेज है, चेंजिंग रूम भी प्रॉपर हैं। विशाल भीड़ को मैनेज करना बहुत बड़ा टास्क है और सीएम योगी और मेला प्रशासन इस पर पूरी तरह खरे उतरे हैं।

0Shares

सामाजिक समरसता के महानायक संत रविदास की जयंती मनी

भागलपुर: सैनिक स्कूल गणपत राय सलारपुरिया सरस्वती विद्या मंदिर भागलपुर में बुधवार को संत रविदास की जयंती मनाई गई। प्रधानाचार्य अमरेश कुमार, जयंती प्रमुख उत्तम कुमार मिश्रा, चंदन पांडे एवं छात्रों ने संयुक्त रूप से उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर जयंती का शुभारंभ किया।

मौके पर जयंती प्रमुख उत्तम कुमार मिश्र ने कहा कि भारत संत और महात्माओं का देश है। इन्होंने अपने ज्ञान एवं विवेक से भारत के मन को बढ़ाने का प्रयत्न किया है। संत शिरोमणि रविदास ने मानवता के लिए संदेश दिया कि जीवन में कर्म ही महान होता है। सफलता के लिए आदर्श दिनचर्या और कठिन परिश्रम आवश्यक होता है। महान समाज सुधारक, श्रेष्ठ विचारक एवं संत रविदास का संदेश हम मानव जाति के लिए अनुकरण के योग्य है।

विद्यालय के प्रधानाचार्य अमरेश कुमार ने कहा कि संत रविदास का जीवन, चरित्र एवं कर्म अनुशासन पर ही निर्भर था। छात्रों के सफलता के लिए भी कठिन परिश्रम एवं अनुशासन आवश्यक होता है। जात-पात उच्च नीच के साथ अनेक सामाजिक कुरीतियों को दूर कर सामाजिक समरसता का भाव विकसित करने वाले कर्म की प्रधानता देने वाले समानता एवं एकता का भाव का विकास करने वाले संत रविदास का जीवन हम सभी के लिए अनुकरण के योग्य है। इस अवसर पर राज सिंघानिया, खुशी प्रिया, आराध्या के अतिरिक्त अनेक छात्रों ने अपना भाव व्यक्त किया। पवन पंजियार के द्वारा तुम चंदन हम पानी गीत भी प्रस्तुत किया गया। मौके पर मीडिया प्रभारी दीपक कुमार झा, पुष्कर झा एवं सभी आचार्य बंधु उपस्थित थे।

0Shares

महामंडलेश्वर सदा शिवेंद्र सरस्वती ने महाकुम्भ में योगी सरकार की व्यवस्थाओं को सराहा

प्रयागराज से वापस लौटे संतों ने महाकुंभ में योगी सरकार की व्यवस्थाओं को सराहा

सीतापुर:  प्रयागराज महाकुंभ से महामंडलेश्वर की पदवी पाकर नैमिषारण्य वापस लौटे संतों ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं को लेकर योगी सरकार की सराहना की है, तो वहीं महाकुंभ में व्यवस्था के दुष्प्रचार के नाम पर हो रही सियासत पर भी गहरी नाराजगी प्रकट की है। जानकारी हो कि महाकुंभ में पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से जुड़े नैमिषारण्य के दो संतों को महामंडलेश्वर की पदवी मिली है। नैमिषारण्य वापसी पर प्रयागराज महाकुम्भ की व्यवस्थाओं पर हो रही राजनीति पर उनकी प्रतिक्रिया जानी।

स्वामी विद्यानंद सरस्वती जी महाराज ने बताया कि महाकुंभ की व्यवस्थाएं अच्छी थीं। योगी सरकार ने साधु-संतों एवं श्रद्धालुओं के लिए कोई कसर नहीं बाकी रखी। उन्होंने कहा कि भगदड़ की घटना अत्यंत दुखद थी, परंतु इसकी आड़ में व्यवस्थाओं को कोसा नहीं जा सकता। सरकार की पूरी ईमानदारी से कोशिश रही कि साधु-संतों एवं स्नान के लिए आने वाले लोगों लिए अच्छा प्रबंध हो। योगी सरकार इस मामले में खरी उतरी है ।

महामंडलेश्वर विद्यानंद सरस्वती ने उदाहरण देते हुए कहा कि 10 लोगों की क्षमता के एक कमरे में अगर 100 लोग आ जाएं तो थोड़ी बहुत अव्यवस्था होना स्वाभाविक बात है, परंतु बाद में उसे ठीक करने की कोशिश होती है, लेकिन जिस प्रकार से अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए कुछ लोग प्रयागराज में हुई भगदड़ की घटना की आड़ में पूरे महाकुंभ को बदनाम कर रहे हैं , वह अत्यंत दुःखद व निन्दनीय है।

वही महामंडलेश्वर सदा शिवेंद्र सरस्वती ने महाकुम्भ में योगी सरकार की व्यवस्थाओं को सराहनीय बताते हुए कहा कि आलोचना राजनीतिक रोटियां सेकने जैसी है।सभी साधु -संतों एवं श्रद्धालुओं के लिए योगी सरकार की व्यवस्था अच्छी थी। उत्तर प्रदेश में राजसत्ता की कमान एक संत के हाथ में है। संत के रूप में योगी जी पूरी ईमानदारीपूर्वक महाकुंभ के प्रति अपने दायित्व का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की धरोहर को योगी जी ने अच्छे तरीके से आगे बढ़ाया है।

प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में सीतापुर को धार्मिक दृष्टिकोण से मिली उपलब्धि ऋषियों की तपस्थली नैमिषारण्य को गौरवान्वित करने वाली है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के शिविर में नैमिषारण्य से संबंध रखने वाले इन दोनों संतों , सदा शिवेंद्र सरस्वती व स्वामी विद्यानंद सरस्वती को महाकुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई है। वहां परंपराओं का निर्वहन करते हुए इन दोनों संतों का पट्टाभिषेक किया गया है।

नैमिषारण्य वैसे भी धर्म क्षेत्र में सुविख्यात है। यहां कभी 88 हजार ऋषियों ने तपस्या की थी। वेदों, पुराणों की रचना स्थली, मनु शतरूपा की तपस्थली के रूप में इसे पूरे विश्व में मान्याता प्राप्त है। इन सबके बीच संतों का पट्टाभिषेक कर उनको महामंडलेश्वर घोषित कर देना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है।

नैमिषारण्य के स्वामी सदा शिवेंद्र सरस्वती व स्वामी विद्यानंद सरस्वती को प्रयागराज महाकुंभ के दौरान पट्टाभिषेक करके महामंडलेश्वर की पदवी से सम्मानित किया गया है। मात्र 19 वर्ष की आयु में 1990 में संत जीवन में प्रवेश करने वाले विद्यानंद सरस्वती पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी से जुड़े हैं वहीं सदा शिवेंद्र सरस्वती 11 वर्ष की आयु से नैमिषारण्य में हरिहरानंद सरस्वती ब्रह्म विज्ञान पीठ संस्थानम से पढ़ाई करते हुए आश्रम से संत के रूप में निकले।

इन दोनों संतों को महा निर्वाणी अखाड़ा के अध्यक्ष श्री रविंद्रपुरी महाराज महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानन्द भारती, आचार्य राजगुरु की मौजूदगी में महाकुंभ में महामंडलेश्वर की उपाधि मिली। दोनों संतों को वैदिक परंपरा के अनुसार अखाड़े के महामंडलेश्वरों ने पट्टाभिषेक (चादरविधि) करके महामंडलेश्वर की पदवी से सम्मानित किया गया।

0Shares

-श्री लक्ष्मी नारायण का ध्यान करने से जिंदगी की सारी परेशानियों होती हैं दूर : जीयर स्वामी-मानव को तीनों ऋण से मुक्त होना चाहिए- जीयर स्वामी

महाकुम्भ नगर, 06 फरवरी (हि.स.)। प्रयागराज महाकुम्भ की रसधार बह रही है। श्री त्रिदण्डी स्वामी के श्री जियर स्वामी जी महाराज ने कहा कि जिंदगी में कितनी भी परेशानियां हो श्री लक्ष्मी नारायण भगवान का ध्यान करने से सब समाप्त हो जाता है। जिसका सौभाग्य होगा वो प्रयागराज में लक्ष्मी नारायण यज्ञ में हिस्सा लेगा। पुराणों में बताया गया है कि प्रयागराज में प्रवेश मात्र से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और संगम के त्रिवेणी में अगर स्नान जो कर लिया उसका जीवन धन्य हो गया।

उन्होंने कहा कि मनुष्य को चिंता नहीं चिंतन करनी चाहिए। चिंता से विनाश होता है, जबकि चिंतन से विकास होता है। चिंता ह्रास का कारण बनता है और कोई परिणाम नहीं दे पाता है। श्री जीयर स्वामी ने सुखदेव जी की जन्मोपरांत तप के लिए वन गमन प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि संन्यासी चार प्रकार के होते हैं, कुटीचक, बहुदक, हंस और परमहंस। कुटीचक संयासी गृहस्थ जीवन के अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन के बाद घर में रहते हुए निर्लिप्त रहते हैं। बहुदक भी कुटीचक के समान होते हैं। हंस संन्यासी दुनिया को नश्वर मान दुनिया में रहते हैं। जैसे-कमल, पानी में रहते हुए भी जल के प्रभाव से मुक्त रहता है। परमहंस सन्यासी दुनिया के किसी विषय वस्तु से सरोकार नहीं रखता। बल्कि स्थित प्रज्ञ की स्थिति में रहता है।

उन्होंने कहा कि हर काल में समाज संचालन के नियम-कायदे विभिन्न ऋषियों एवं शासकों द्वारा निर्धारित किए जाते रहे हैं। जैसे मुगलकाल, अंग्रेजी शासन और स्वतंत्रोत्तर भारत के कानून आदि। इसी तरह ऋषियों द्वारा भी त्रेता, सत्युग, द्वापर और कलयुग में नीति निर्धारण किये गये हैं। जिन्हें स्मृति कहते हैं। कलियुग में पराशर स्मृति मान्य है। पराशर स्मृति के अनुसार सभी वर्ण के लोग अपने अनुकूलता के अनुसार जीविकोपार्जन करने के लिए स्वतंत्र हैं।

स्वामीजी ने कहा कि मनुष्य जन्म के साथ ही तीन ऋणों मातृ-पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण से युक्त होता है। मातृ-पितृ ऋण से उऋण (ऋणमुक्त) होने के लिए माता-पिता की जीवनपर्यन्त सम्यक प्रकार से सेवा और मृत्योपरांत श्राद्ध एवं पिंडदान से मुक्ति मिलती है। यज्ञ, पूजा एवं भंडारा से देव ऋण से मुक्ति मिलती है। जबकि सद्ग्रंथों के नियमित अध्ययन से ऋषि ऋण से व्यक्ति उऋण होता है। तीनों ऋणों से उऋण होने वाला ही पुत्र कहलाने का हकदार है। उन्होंने कहा कि तीनों ऋण से मुक्ति पाने वाला परम धाम को सहज ही प्राप्त कर लेता है।

0Shares

महाकुम्भ नगर, 03 फरवरी (हि.स.)। पंचाक्षरी मंत्र की अनुगूंज, मधुर भजन स्वर लहरी, हर-हर गंगे के जयघोष के मध्य कुम्भ के तीसरे अमृत (शाही) स्नान बंसत पंचमी पर्व पर सोमवार को अखाड़ों और नागा संन्यासियों की अवधूती शान से संगम पर सनातनी आस्था का वैभव मुखर हो उठा। उमंग-उत्साह के बीच बैरागी अखाड़ों के वैराग्य का रंग और नागा संन्यासियों का आकर्षण अलग अलौकिक आध्यात्म की अनुभूति करा रहा था।

महाकुम्भ के अंतिम एवं तीसरे अमृत स्नान के मौके पर प्रयागराज में करोड़ों श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई। देश के कोने-कोने से यहां पहुंचे अलग-अलग वेशभूषा, बोलचाल, रंग-ढंग के लोगों ने भावनात्मक एकता का शानदार परिचय दिया। बसंत पंचमी के दौरान प्रयागराज की सर्दी श्रद्धालुओं की आस्था के आड़े न आ सकी। आधी रात से संगम में श्रद्धालु पवित्र डुबकी लगाने के लिए जुटने लगे थे। ये सिलसिला भाेर से लेकर दिनभर चला और अभी भी जारी है। मेला प्रशासन ने बताया कि 02 फरवरी की रात्रि से बसंत पंचमी के स्नान मुहूर्त आरंभ हो गया। इस दौरान 40 घाटों पर शाम 06 बजे तक 2.33 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके थे। अभी रात्रि तक स्नान जारी रहेगा। श्रद्धालु लगातार स्नान कर रहे हैं।

तीसरे अमृत स्नान पर अखाड़ों के साधु-संत निर्धारित क्रम एवं समय के अुनसार गाजे-बाजे के साथ संगम तट की ओर प्रातः 4 बजे बढ़े। साधु-संतों और नागा साधुओं की झलक देखने के लिए लाखों श्रद्धालु मार्ग में खड़े थे। साधु-संतों और नागाओं को देखते ही श्रद्धालुओं की भीड़ हर-हर महादेव का जयकारा जोर से लगाती रही। हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ अखाड़ों ने अंतिम और तीसरा शाही स्नान किया।

इस अखाड़े ने किया पहला स्नानवर्षों से चली आ रही परम्परा को इस बार भी दोहराया गया। महानिर्वाणी एवं शम्भू पंचायती अटल अखाड़ा को स्नान का पहला अवसर मिला। ऐसे में आज सुबह 5 बजे पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने अमृत स्नान किया। इसके पीछे अब निरंजनी अखाड़ा, आनन्द अखाड़ा, जूना अखाड़ा, दशनाम आवाहन अखाड़ा और पंचाग्नि अखाड़ा, पंच निर्मोही, पंच दिगंबर, पंच निर्वाणी, अनी अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा बड़ा उदासीन व अन्य अखाड़े अमृत स्नान कर रहे हैं।

हेलिकाप्टर से पुष्पवर्षा, अभिभूत हुए संत, संन्यासी व श्रद्धालु महाकुम्भ के अंतिम अमृत स्नान में संगम तट पर डुबकी लगाने पहुंचे करोड़ों श्रद्धालुओं पर योगी सरकार ने हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कराई। हेलीकॉप्टर से सभी घाटों और अखाड़ों पर स्नान के दौरान श्रद्धालुओं पर फूलों की बारिश की गई। पुष्प वर्षा की शुरुआत सुबह 6.30 बजे से ही हो गई और सायं तक चलती रही, जब तक अखाड़ों का अमृत स्नान जारी रहा। गुलाब की पंखुड़ियों की आसमान से हो बारिश देख संगम तट पर मौजूद नागा संन्यासी, संत समाज और श्रद्धालु अभिभूत हो गए। हर तरफ जय श्री राम और हर हर महादेव का उद्घोष आरम्भ हो गया। महाकुम्भ के सभी तीनों अमृत स्नान पर अखाड़ों के संतों, श्रद्धालुओं और कल्पवासियों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई है।

मुख्यमंत्री योगी ने दी बधाईमहाकुम्भ में पवित्र त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करने वाले पूज्य साधु-संतों, धर्माचार्यों, सभी अखाड़ों, कल्पवासियों एवं श्रद्धालुओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बधाई दी। मुख्यमंत्री ने इस महाकुम्भ को भारत की सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक मूल्यों को प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बताया और इसके द्वारा समाज में शांति, समृद्धि और सद्भाव की भावना को साझा करने की शुभकामनाएं दीं।

ठंड पर भारी पड़ा आस्था का सैलाबगंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर लोगों ने शुभ-मुहूर्त के शुभारम्भ से ही डुबकी लगानी शुरु कर दी थी। हल्के कोहरे तथा ठण्ड पर भी लोगों की आस्था का सैलाब भारी रहा। संगम क्षेत्र में रात्रि से ही आस्था और श्रद्धा का जनसैलाब उमड़ने लगा। मौनी अमावस्या के दौरान हुए हादसे के बाद बसंत पंचमी पर हर श्रद्धालु में जबरदस्त जोश और उत्साह देखने को मिला। स्नान के बाद श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों के दान-पुण्य का कार्यक्रम जारी रहा। आस्था के जनसैलाब को दृष्टिगत रखते हुए मेला प्रशासन ने बड़ी ही चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था बनाए रखी। श्रृंग्वेरपुर से लेकर किला घाट तक गंगा, यमुना और संगम तट के दोनों तरफ 8 किमी में बनाए गये 40 सुगम घाटों पर खुले क्षेत्रों में लोगों ने स्नान किया। सुव्यवस्थित वेंडिंग जोन तथा सुगम यातायात व्यवस्था के प्रभाव से स्नानार्थियों का अवागमन व्यवस्थित एवं सुगम रहा। कहीं भी जाम की स्थिति उत्पन्न नहीं होने पाई। कम से कम पैदल दूरी पर चलकर श्रद्धालुओं ने स्नान किया। मेला क्षेत्र से किसी अप्रिय घटना की जानकारी नहीं मिली। मेला प्रशासन पूरी तैयारी के साथ चप्पे-चप्पे पर नज़र रख रहा है। श्रद्धालुओं को विनम्रता के साथ मार्गदर्शन करते हुए सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है।

सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध मौनी अमावस्या के स्नान के दौरान मची भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत के बाद तीसरे अमृत स्नान में मेला प्रशासन सर्तकता बरत रहा है। मेला प्रशासन ने तीसरे अमृत स्नान के लिए स्पेशल प्लान बनाया है। इसमें सभी श्रद्धालुओं के लिए वनवे रूट की व्यवस्था की गयी। त्रिवेणी के घाटों पर अत्यधिक दबाव रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और बैरिकेड तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही सुरक्षा व्यवस्था और अधिक कड़ी कर दी गई है। श्रद्धालुओं को संगम या अन्य घाटों तक पहुंचने में दिक्कत ना हो, इसके प्रबंध किए गए हैं। प्रभावी पेट्रोलिंग के लिए 15 मोटर साइकिल दस्ते तैनात किए गए हैं। प्रमुख चौराहों और डायवर्जन प्वाइंट्स के बैरियर पर सीएपीएफ और पीएसी का इंतजाम किया गया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से वन वे रूट तैयार किया गया है। इसके अलावा पांटून पुलों पर मेले में आने वाले लोगों को किसी प्रकार की दिक्कत न आने पाए, इसके भी विशेष इंतजाम किए गए हैं।

अब तक 37 करोड़ लगा चुके आस्था की डुबकी13 जनवरी को शुरू हुए महाकुम्भ मेले में सोमवार तक 37 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। सोमवार सांय 6 बजे तक 2.33 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।

0Shares