Chhapra: विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान से संबद्ध लोक शिक्षा समिति, बिहार द्वारा संचालित विद्या भारती विद्यालय सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के प्रांगण में रविवार को सप्तशक्ति संगम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में नारी शक्ति की भूमिका को रेखांकित करना तथा श्रीमद् भागवत गीता में वर्णित नारी की सप्तशक्तियों को जागृत कर समृद्ध भारत के निर्माण का संकल्प लेना रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सीमा सिंह, कार्यक्रम अध्यक्षा प्रो. डॉ. सुधा बाला, विशिष्ट अतिथि प्रो. डॉ. निधि, सिम्मी कुमारी एवं आशा रंजन द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। प्रधानाचार्य के मार्गदर्शन में कार्यक्रम संयोजिका आचार्या गीतांजलि कुमारी एवं आचार्या संगीता कुमारी के नेतृत्व में आचार्या नीलू कुमारी ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय कराया।
कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए सिम्मी जी (प्रधानाचार्य, बालिका सरस्वती विद्या मंदिर, सिवान) ने कहा कि भारतीय नारी देवी की प्रतिमूर्ति होती है, जो समय-समय पर दुर्गा, काली और चंडी का स्वरूप धारण कर समाज के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। विभाग संयोजिका आशा रंजन ने अपने उद्बोधन में आत्मबोध पर बल देते हुए कहा कि नारी को अपने स्व को पहचानते हुए परिवार, कुटुंब में भारतीय संस्कारों का संचार करना चाहिए तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि प्रो. डॉ. निधि ने नारी के सात गुणकीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति एवं क्षमा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि इन शक्तियों को आत्मसात कर महिलाएं समाज में सकारात्मक और स्थायी परिवर्तन ला सकती हैं। मुख्य अतिथि सीमा सिंह ने महिलाओं को अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचानने और समाज निर्माण में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षित और सशक्त नारी ही उन्नत समाज की आधारशिला होती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. डॉ. सुधा बाला ने कहा कि परिवार, समाज और राष्ट्र की उन्नति में माता की भूमिका सर्वोपरि है। परिवार प्रथम पाठशाला है और मां प्रथम गुरु होती है, इसलिए नारी को अपनी आंतरिक शक्तियों को पहचान कर उन्हें जागृत करने की आवश्यकता है।
विद्यालय के मीडिया प्रभारी अनिल कुमार आजाद ने बताया कि आभार ज्ञापन करते हुए आचार्या संगीता कुमारी ने सप्तशक्ति संगम को मातृशक्ति की उस ऊर्जा का प्रतीक बताया, जो समाज, संस्कृति, शिक्षा और राष्ट्र को सुदृढ़ आधार प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि नारी केवल परिवार की धुरी नहीं, बल्कि समाज की चेतना और राष्ट्र की शक्ति है।
कार्यक्रम के दौरान आचार्या दर्शना सिंह एवं रंजीत रंजन द्वारा धर्म एवं संस्कृति पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन आचार्या स्वाति सिंह ने किया।
इस अवसर पर विभाग निरीक्षक अनिल कुमार राम, विद्यालय प्रबंध कार्यकारिणी समिति के उपाध्यक्ष राजेश्वर प्रसाद यादव, सचिव सुरेश प्रसाद सिंह, पूर्णेंदु रंजन, डॉ. ओंकार नाथ, मनोज कुमार श्रीवास्तव, सुरभित दत्त, राहुल कुमार मेहता, कुमार विजय रंजन, कमलेश कुमार मिश्र सहित सभी आचार्य-आचार्या एवं गणमान्य लोग उपस्थित रहे।








