संसद की कार्यवाही अब संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 22 भाषाओं में सुनी और समझी जा सकेगी। पहले तक यह सुविधा केवल 18 भाषाओं में सीमित थी, लेकिन अब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी दायरा बढ़ाने की घोषणा की है। मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले ओम बिरला ने कहा कि “हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि संविधान में दर्ज सभी भाषाओं में अनुवाद की व्यवस्था हो।”

अब कश्मीरी, कोंकणी और संथाली भाषाओं को भी जोड़ दिया गया है

अब तक कार्यवाही का अनुवाद हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा जिन 18 भाषाओं में होता रहा है, वे हैं असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, कन्नड़, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू। अब इसमें कश्मीरी, कोंकणी और संथाली भाषाओं को भी जोड़ दिया गया है।

भाजपा सांसद ने भोजपुरी के लिए उठाई आवाज

इस दौरान भाजपा सांसद पश्चिमी चंपारण से संजय जयसवाल ने मांग उठाई कि भोजपुरी को भी इस सूची में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि “भोजपुरी करीब 30 करोड़ लोगों की भाषा है। सरकार से मेरा आग्रह है कि उसे भी सरकारी कार्यों की भाषा में शामिल किया जाए।”

इस सुझाव पर हम अवश्य बैठकर चर्चा करेंगे: गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय

इस पर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने सांसद संजय जयसवाल के सुझाव को सराहते हुए कहा कि यदि कोई लोकभाषा स्थानीय स्तर पर सांस्कृतिक रूप से बोलचाल की भाषा में अपनी पहचान बना चुकी है, तो उसके महत्व को भी हम महत्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि संजय जयसवाल के इस सुझाव पर हम अवश्य बैठकर चर्चा करेंगे। 

Bhojpuri Film: भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ ‘निरहुआ’ फिल्म ‘हमार नाम बा कन्हैया’ के प्रमोशन के सिलसिले में छपरा पहुँचे। इस मौके पर उन्होंने फिल्म की खासियतों पर बात की और साथ ही मौजूदा हिंदी–मराठी भाषा विवाद को “गंदी राजनीति” करार दिया।

भोजपुरी सिनेमा में बदलाव की जरूरत: निरहुआ

फिल्म को लेकर निरहुआ ने कहा, “लोगों की ओर से लगातार यह मांग आ रही थी कि भोजपुरी सिनेमा में कुछ नया और बदलाव देखने को मिले। हमने इस पर विचार किया और महसूस किया कि वाकई बदलाव जरूरी है। जब पूरी दुनिया और सिनेमा बदल रहा है, तो भोजपुरी सिनेमा को भी समय के साथ आगे बढ़ना चाहिए। इसी सोच के तहत हम ये फिल्म ‘हमार नाम बा कन्हैया’ लेकर आए हैं।”

फिल्म की कहानी – सस्पेंस और ट्विस्ट से भरपूर

फिल्म की कहानी एक बैंक डकैती की घटना के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें निरहुआ ‘कन्हैया’ नामक एक सिक्योरिटी गार्ड की भूमिका निभा रहे हैं। कहानी तब मोड़ लेती है जब बैंक डकैती के दौरान लुटेरे कन्हैया को अगवा कर लेते हैं और बाद में वह पुलिस को बेहोशी की हालत में मिलता है। पुलिस उसे ही मुख्य आरोपी समझकर गिरफ्तार कर लेती है और उस पर थर्ड डिग्री की पूछताछ शुरू हो जाती है। आगे चलकर कहानी में ऐसा ट्विस्ट आता है जो दर्शकों को चौंका देगा। फिल्म में भरपूर सस्पेंस और रोमांच है।

फिल्म की प्रमुख टीम

निर्देशक: विशाल वर्मा

निर्माता: मुकेश गिरी रिंकू

कहानी और पटकथा: राहुल रंजन और सुशांत मिश्रा

संवाद: शशि रंजन द्विवेदी

संगीत: संजय मिश्रा और पवन मुरादपुरी

गीत: डॉ. सागर

फिल्म में निरहुआ के अलावा अयाज खान, संजय पांडे, समर कत्यान, अमृता पाल, पल्लवी कोली और मुकेश्वर ओझा भी अहम किरदारों में नजर आएंगे।

हिन्दी, मराठी भाषा विवाद पर निराहुआ का कड़ा बयान

भाषा विवाद को लेकर निरहुआ ने तीखा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, “जिन लोगों के पास न सांसद हैं, न विधायक और न ही राज्यसभा की कोई सीट है, वे सिर्फ गंदी राजनीति कर रहे हैं। हिंदी भाषियों पर हमले किए जा रहे हैं जो पूरी तरह गलत है। मैं पूरे देश से अपील करता हूँ कि इस मानसिकता का विरोध होना चाहिए। अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”

कनाडा के टोरंटो में कई वर्षों से रहते हुए वहां की नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति, लोक गायन से रूबरू करा रही सुमिता सुगंधा मूलरूप से बिहार के सारण जिले की निवासी है.

उनका परिवार पटना रहता है. वे पेशे से इंजीनियर है. लोक गायन में अपनी रुचि और संस्कृति से लगाव के कारण उन्होंने कनाडा में इसके प्रसार के प्रयास किये है. भोजपुरी और अन्य भाषाओं में उनके गाये गीत लोग पसंद कर रहे है.

बिहार की बेटी, लोक गायिका सुमिता सुगंधा, विदेश में रहते हुए अपनी संस्कृति और लोक परम्पराओं की सुगंध अपने गीतों के माध्यम से नयी पीढ़ी तक पहुंचा रही है. कनाडा के टोरंटो से chhapratoday.com के साथ जुड़ कर उन्होंने अपने गीतों को साझा किया है आप भी देखिये और सुनिए उनके गीत. 

 

Chhapra: तीसरा राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का स्थानीय सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल के प्रागण में उद्घाटन हुआ. बिहार सरकार के मंत्री रामसेवक सिंह कुशवाहा ने महोत्सव का उदघटन किया.

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भोजपुरी महोत्सव का आयोजन भोजपुरी के विकास एवं संवैधानिक मान्यता दिलाने की लड़ाई को गतिमान करेगा. साथ ही यह भी कहा कि भोजपुरी हमारी माई की भाषा है और इसे द्वितीय राजकीय भाषा बनाने हर संभव कोशिश किया जायेगा.

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महोत्सव के मुख्य अतिथि सांसद जनार्दन सिह सिग्रीवाल ने संसद के पटल पर लगातार लडाई लड़ने की बात कही. उन्होंने ने कहा कि भोजपुरी महोत्सव जो लडाई शुरू किया है. वह आम भोजपुरिया समाज की लड़ाई है. जिसे हम सब मिलकर अंजाम तक पहुँचाएगे.

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राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव के कार्यकारी अध्यक्ष श्याम बिहारी अग्रवाल ने आगे की रणनीति तथा भोजपुरी की प्रारंभिक एवम उच्च शिक्षा में जोड़ने की दिशा में महोत्सव समिति कार्यो को विस्तृत रूप में रखा.

वहीं महोत्सव के अध्यक्ष डॉ हरेन्द्र सिंह ने भोजपुरी के क्षेत्र में संस्था के लगातार कार्य और संवैधानिक लड़ाई के लिए विस्तृत रूप में प्रकाश डाला. उन्होंने महोत्सव के सामने प्रस्ताव रखा कि अगला आयोजन ग्रामीण परिवेश में हो.

एमएलसी डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने भोजपुरी की संवैधानिक लड़ाई की चर्चा करते हुए इसे और धारदार बनाने की बात कही. इलाहाबाद से आए भोजपुरी संगम पत्रिका के संपादक डॉ अजीत सिंह ने अब जंतर मंतर पर भोजपुरी को 8वीं अनसूचि में शामिल करने के लिए लाठी और शक्ति प्रदर्शन की बात कही.

उद्घाटन सत्र को संबोधित करने वालों में डॉ लाल बाबू यादव, प्रो. उषा वर्मा, स्वागताध्यक्ष डॉ के के द्विवेदी, कामेश्वर सिंह, अलताफ आलम राजू, अजीत सिंह, मुरारी सिंह, प्रदीप सिंह भोजपुरिया, वैद्यनाथ सिंह विकल, कृष्णमोहन सिंह के साथ अन्य लोग थे.

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इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति हुई. जिसमे गायक गोलू रजा, सत्येन्द्र दूरदर्शी समेत कलाकारों ने समां बांध दिया.

Chhapra: आगामी महोत्सव 21 और 22 सितंबर को होने वाले तीसरे राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव के आयोजन समिति की बैठक सेन्ट्रल पब्लिक स्कूल में डॉ हरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई. इस दौरान आयोजन के संदर्भ में तैयारियों की समीक्षा हुई.

बैठक में निर्णय लिया गया कि मैथिली ठाकुर को भोजपुरी महोत्सव के आयोजन में आमंत्रित किया जाएगा. साथी यह भी निर्णय लिया गया कि समाज के कवि जमदार जी, रघुनाथ सिंह विशारद, वैदेही जी, लेखक साहित्यकार बच्चु पाण्डेय एवं गीतकार जवाहर राय सहित अन्य के नाम पर महोत्सव समिति इस वर्ष सम्मान शुरू करेगा.

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बैठक में तय किया गया कि राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का तीसरा आयोजन सेंट्रल पब्लिक स्कूल में होगा. इस अवसर पर प्रदेश के कई मंत्री और प्रशासनिक पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे. तैयारियों की समीक्षा करते हुए संयोजक डॉ उमाशंकर साहू ने बताया कि इस बार ग्रामीण क्षेत्र से भी बहुत लोग इस आयोजन से जुड़ रहे हैं. साथ ही यह भी बताया गया कि मध्य एवं उच्च विद्यालय स्तर पर भोजपुरी लेख प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाएगा और उस में चयनित छात्रों को इस महोत्सव में सम्मानित किया जाएगा.

इस मुद्दे पर भी विचार किया गया कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए साहित्य के दृष्टिकोण से प्रकाशित होने वाले महोत्सव पत्रिका रूप रंग का भी प्रकाशन इस बार भोजपुरी प्रदेश के संत साहित्य विषय पर होगा.

बैठक को संबोधित करते हुए डॉ हरेंद्र सिंह ने कहा कि इस बार छपरा में आने वाले अतिथियों का स्वागत बहुत ही जोश खरोश से किया जाएगा. वहीं सचिव अजीत सिंह ने भोजपुरी को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न सुझाव दिए. संयुक्त सचिव कृष्ण मोहन सिंह ने अपने विचार को रखते हुए शुद्ध और स्वच्छ वातावरण में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों पर बल दिया.

बैठक में मुख्य रूप से कार्यकारी अध्यक्ष श्याम बिहारी अग्रवाल, सभापति बैठा, शेख नौशाद, पवन गुप्ता, अली अहमद, गोविंद आर्य सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे.

New Delhi/Chhapra: भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु भोजपुरी क्षेत्रों के सांसदों ने कवायद तेज कर दी है. दिल्ली में सभी सांसद एक जगह एकत्रित हुए.

इस सम्बंध मे जानकारी देते हुए महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने बताया कि सभी सांसद इस बात पर सहमत हुए कि भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराना ही सभी का एकमात्र उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा करोड़ों लोगों की भाषा है. विश्व के कई देशों में भी यह बोली जाती है. यह भाषा आज तक उपेक्षित रही है.

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भोजपुरी भाषा भाषी क्षेत्र के करोड़ों लोगों की वर्षों पुरानी मांग है कि इस भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि यह भाषा अपनी पहचान बना सके. इस भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल हो जाने से लाखों युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी भाषा में परीक्षा देने का अवसर मिलेगा. भोजपुरी गीत संगीत, भोजपुरी के कवि, लेखक, गीतकार, साहित्यकार रंगकर्मी को उचित सम्मान मिलेगा.

एक साथ एकत्रित होकर भोजपुरी भाषा के प्रति दृढ़ संकल्पित होने वाले सांसदों में केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, अर्जुन राम मेघवाल, आर के सिन्हा, मनोज तिवारी, विरेंद्र सिंह मस्त, जगदंबिका पाल, रवि किशन, हरीश द्विवेदी, संगम लाल गुप्ता आदि उपस्थित रहे.

Chhapra: भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग लगातार उठती रही है. भोजपुरी क्षेत्रवासी हमेशा से चाहते हैं कि भोजपुरी संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हो जाए.

महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए मंगलवार को संसद में नियम 377 के अधीन सूचना के अंतर्गत इस मामले को उठाया.

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सांसद सिग्रीवाल ने संसद में मांग उठाते हुए कहा कि अभिव्यक्ति के लिए भाषा की महत्ता और अनिवार्यता कितनी है हम सभी इस से अवगत हैं. इसी कारण व्यक्ति अपने अपने क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाओं के विकास, प्रचार, प्रसार और मान्यताओं के लिए हमेशा प्रयासरत रहता है. हमारे देश में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं इन्हीं भाषाओं में से एक प्राचीन भाषा का भोजपुरी भी है. यह भाषा विश्व के कई देशों तथा देश के कई राज्यों में करोड़ों करोड़ों लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है.

इतनी प्राचीन और बड़े भूभाग में बड़ी जनसंख्या में बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किए जाने हेतु देश के अनेक संगठनों, प्रतिनिधियों द्वारा बहुत लंबे समय से संसद से लेकर सड़क तक आवाज उठाई जाती रही है. पूर्व की सरकारों द्वारा कई बार आश्वासन दिया गया की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने हेतु शीघ्र आवश्यक कदम उठाया जाएगा. इसके बावजूद आज तक भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं किया जा सकता है.

सांसद सिग्रीवाल ने लोकसभा के अध्यक्ष के माध्यम से सरकार से विशेष आग्रह करते हुए कहा कि भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने हेतु शीघ्र आवश्यक कदम उठाया जाए. जिससे कि देश के अंदर वास कर रहे करोड़ों लोगों की भावनाओं और उनके विश्वास का आदर हो सके.