New Delhi, 27 सितंबर (हि.स.)। केन्द्रीय गृह एवं सहकारितामंत्री अमित शाह आज बिहार प्रवास के दौरान अररिया के फारबिसगंज में ‘सहरसा, पूर्णिया और भागलपुर’ भाजपा मंडल कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करेंगे। भाजपा की एक्स पोस्ट के अनुसार, शाह का संबोधन दोपहर दो बजे शुरू होगा।

कार्यक्रम में नौ जिला के कार्यकर्ता होंगे शामिल 

बिहार भाजपा के एक प्रवक्ता के अनुसार, शाह इस दौरान फारबिसगंज के हवाई फील्ड मैदान में नौ जिलाें के लगफग पांच हजार कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करेंगे। वो करीब एक बजे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचेंगे। केंद्रीय गृहमंत्री के दौरे के मद्देनजर हवाई फील्ड मैदान के आपासपास सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। भाजपा नेताओं ने शुक्रवार को दिनभर तैयारियों का जायजा लिया। कार्यक्रम में नौ जिला के कार्यकर्ता शामिल होंगे। जिसमें क्रमशः अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, मधेपुरा, सुपौल, सहरसा, बांका और नवगछिया आदि शामिल हैं। जिलाध्यक्ष आदित्य नारायण झा ने बताया कि कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली गई है।

New Delhi, 26 अगस्त (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम (वीवीपी) की समीक्षा बैठक में सीमावर्ती जिलों में अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाने पर जोर देते हुए कहा कि सीमाएं कम से कम 30 किलोमीटर के दायरे में अतिक्रमण से मुक्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये अतिक्रमण एक सुनियोजित डिजाइन के तहत किए जा रहे हैं, जिन पर सख्ती से रोक लगाना आवश्यक है।

सीमा से कम से कम 30 किलोमीटर दायरे तक सभी अतिक्रमण समाप्त होने चाहिए

अमित शाह ने यहां मंगलवार को गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित वीवीपी पर दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने वीवीपी का लोगो भी लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम-1 में प्रशासन कार्यक्रम तक सीमित रहा, लेकिन वीवीपी-2 में दृष्टिकोण बदलना होगा। उन्होंने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया कि वे सीमावर्ती इलाकों में अवैध धार्मिक अतिक्रमण हटाने की दिशा में कदम उठाएं। सीमा से कम से कम 30 किलोमीटर दायरे तक सभी अतिक्रमण समाप्त होने चाहिए। गुजरात का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य ने समुद्री और भू सीमा से बड़ी संख्या में अतिक्रमण हटाकर सराहनीय कार्य किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के अंतिम गांव को “देश का पहला गांव” की उपाधि देकर सीमावर्ती इलाकों को देखने का दृष्टिकोण बदल दिया है। वीवीपी की परिकल्पना सीमांत गांवों से पलायन रोकना, हर नागरिक तक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पहुंचाना और इन गांवों को देश और सीमा की सुरक्षा का उपकरण बनाना जैसे तीन बिंदुओं पर आधारित है।

अमित शाह ने कहा कि आने वाले वर्षों में वीवीपी से जुड़े गांव देश और सीमाओं की रक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस कार्यक्रम के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया जा रहा है तथा पर्यटन और रोजगार सृजन के नए अवसर खोले जा रहे हैं।

गृहमंत्री ने कहा कि जिला कलेक्टरों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) को केवल वीवीपी की सीमाओं में नहीं रुकना चाहिए, बल्कि इसे आगे बढ़ाकर और उपाय तलाशने चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के सभी विभाग मिलकर सीमांत गांवों को सुरक्षा का उपकरण बनाएं।

जिला कलेक्टर यह सुनिश्चित करें कि नागरिक गांव न छोड़ें और आबादी में वृद्धि हो: अमित शाह

शाह ने कहा कि अगर होम-स्टे जैसी योजनाओं को हर सीमांत गांव तक ले जाया जाए और राज्यों के पर्यटन विभाग बुकिंग की उचित व्यवस्था करें, तो सीमावर्ती गांवों का कोई भी घर खाली नहीं रहेगा और हर परिवार को रोजगार मिलेगा। जिला कलेक्टर यह सुनिश्चित करें कि नागरिक गांव न छोड़ें और आबादी में वृद्धि हो। अरुणाचल प्रदेश में वीवीपी लागू होने के बाद कई सीमावर्ती गांवों में आबादी बढ़ी है, जो सकारात्मक संदेश है।शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से स्पष्ट कहा था कि जनसांख्यिकीय बदलाव चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सीमांत जिलों के कलेक्टर इस मुद्दे को गंभीरता से देखें, क्योंकि डेमोग्राफिक बदलाव सीधे तौर पर देश की सुरक्षा को प्रभावित करता है और यह केवल भौगोलिक परिस्थिति नहीं बल्कि एक निश्चित डिजाइन के तहत हो रहा है। उन्होंने राज्यों के मुख्य सचिवों और सीएपीएफ से भी इस पर सतर्क रहने की अपील की।

गृहमंत्री ने कहा कि योजनाओं के शत-प्रतिशत सैचुरेशन के लिए कलेक्टर सीएपीएफ के साथ समन्वय करें। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां आईटीबीपी रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे दूध, सब्जी, अंडे और अनाज आदि वाइब्रेंट गांवों से खरीद रही है। इसी तरह, डेयरी कोऑपरेटिव बनाकर सीएपीएफ और सेना की दूध की आपूर्ति गांवों से ही सुनिश्चित की जा सकती है। यह रोजगार सृजन का एक प्रभावी मॉडल बनेगा।

अमित शाह ने कहा कि सीमांत गांवों में सड़क, दूरसंचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना प्राथमिकता है। वीवीपी को सिर्फ सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि प्रशासन की स्पिरिट बनाना होगा। उन्होंने मनरेगा के तहत तालाब बनाने, वृक्षारोपण और स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की संभावना पर भी जोर दिया।

गृहमंत्री ने कहा कि वीवीपी से सीमांत गांवों को आत्मनिर्भर, समृद्ध और सुरक्षित बनाया जा रहा है। इससे पलायन रुकेगा, रोजगार बढ़ेगा और देश की सुरक्षा मजबूत होगी। उन्होंने सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे इस कार्यक्रम को सरकारी योजना की तरह नहीं, बल्कि राष्ट्रीय जिम्मेदारी के रूप में लागू करें।

कार्यशाला में गृह राज्यमंत्री बंडी संजय कुमार, गृह सचिव, सीमा प्रबंधन सचिव, वीवीपी के दोनों चरणों में शामिल राज्यों के मुख्य सचिव, सीमा की रक्षा में तैनात सुरक्षा बलों के महानिदेशक और सीमावर्ती जिलों के जिलाधिकारी भी उपस्थित थे।

New Delhi, 29 जुलाई (हि.स.)। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने और पाकिस्तान के प्रति नरम नीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सारे आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान है और पाकिस्तान कांग्रेस की भूल है।

पाकिस्तान कांग्रेस की भूल है: अमित शाह

गृहमंत्री अमित शाह ने कल से लोकसभा में जारी पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के सशक्त, सफल और निर्णायक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा में आज भाग लिया। उन्होंने ऑपरेशन महादेव, पहलगाम हमले पर एनआईए जांच, पूरे घटनाक्रम और आंतकवाद के खिलाफ भाजपा सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति से अवगत कराया। उन्होंने कांग्रेस सरकारों के दौरान कथित तौर पर की गयी ऐतिहासिक गलतियों का भी उल्लेख किया और तुष्टीकरण के मुद्दे पर पार्टी पर निशाना भी साधा।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही देश के विभाजन को स्वीकार किया। पीओके को हासिल किए बिना 1948 में संघर्ष विराम और 1971 में मिली बड़ी जीत के बावजूद पीओके नहीं लेना पार्टी की बड़ी भूल रही। अगर ऐसा न किया होता ‘तो न रहता बांस न बजती बांसूरी।’ उन्होंने कहा, “पाकिस्तान कांग्रेस की भूल है। अगर उन्होंने बंटवारा स्वीकार नहीं किया होता, तो आज पाकिस्तान नहीं होता।”

सरकार का उद्देश्य आतंक के खिलाफ कार्रवाई था न कि युद्ध लड़ना: अमित शाह

शाह ने विपक्ष के पहलगाम हमले के बाद निर्णायक बढ़त हासिल करने के बावजूद भी आगे कार्रवाई नहीं करने के सवाल का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य आतंक के खिलाफ कार्रवाई था न कि युद्ध लड़ना। युद्ध का अपना परिणाम होता है। इसी सदंर्भ में उन्होंने कांग्रेस नेताओं को 1971 के युद्ध की याद दिलाई। उन्होंने कहा, “1971 में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, 15 हजार वर्ग किलोमीटर पाकिस्तानी क्षेत्र भारत के नियंत्रण में था, लेकिन पीओके वापस नहीं लिया गया।”

शाह ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अटल बिहारी वाजपेयी के समय में लाये गए आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002 (पोटा) को संप्रग सरकार की पहली कैबिनेट में हटाए जाने को लेकर कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधा। शाह ने बटला हाउस की घटना की भी उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान देश छोड़कर भागे आंतकियों के नाम गिनाए।

उन्होंने कहा, “मुझे याद है एक सुबह नाश्ते के दौरान, मैंने टीवी पर सलमान खुर्शीद को रोते हुए देखा। वह सोनिया गांधी के आवास से बाहर आ रहे थे। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी बटला हाउस की घटना पर रो रही थीं। उन्हें बटला हाउस के आतंकवादियों के बजाय शहीद मोहन शर्मा के लिए रोना चाहिए था।”

आतंकी सुलेमान, फैजल और अफगान पहलगाम हमले में शामिल थे

शाह ने अपने भाषण की शुरुआत ऑपरेशन महादेव से की और कहा कि सारे सबूत बताते हैं कि इसमें मारे गए आतंकी सुलेमान, फैजल और अफगान पहलगाम हमले में शामिल थे। उन्होंने सदन को पूरे ऑपरेशन के बारे में बताया और कहा कि सारी जांच के बाद पुष्टि हो गयी है कि आतंकी पहलगाम हमले में शामिल थे। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हमने हमले में शामिल आतंकियों और उनके आकाओं दोनों का सफाया किया है। एनआईए जांच का ब्यौरा देते हुए शाह ने बताया कि हमले के बाद 1005 लोगों से पूछताछ की गई। दो लोगों को आतंकियों को ठहरने में मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया।

सदन में शाह ने एक कांग्रेस नेता के आतंकियों के पाकिस्तान से आने पर सबूत मांगने पर कड़ी आपत्ती जताई। उन्होंने कहा कि देश के पूर्व गृहमंत्री अपने बयान से आतंकवादियों को क्लीन चीट दे रहे हैं। वे आतंकियों के पाकिस्तानी होने का सबूत मांग रहे हैं कल को वे पाकिस्तान पर हमला क्यों किया इसपर सवाल खड़े करेंगे।

हमने पाकिस्तान को इसबार 100 किमी अंदर जाकर मारा है: अमित शाह

शाह ने विपक्ष के प्रधानमंत्री मोदी के बिहार में एक चुनावी भाषण देने पर सवाल खड़े किए जाने पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हम जिस चश्मे से देखते हैं हमारी दृष्टि भी वैसी होती है। प्रधानमंत्री ने देश के नेता होने के नाते अपना फर्ज निभाया और जनता की भावनाओं के अनुरुप बयान दिया। यह चुनावी भाषण नहीं थी। इसी का परिणाम है कि हमने पाकिस्तान को इसबार 100 किमी अंदर जाकर मारा है।

विपक्ष की ओर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद घाटी में शांति पर सवाल खड़े करने पर शाह ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर की स्थिति आज पूरी तरह बदल गई है। आतंकियों का पूरा इकोसिस्टम खत्म किया जा रहा है। आतंकियों को पहले महिमामंडित किया जाता था। आए दिन हड़ताल और पत्थरबाजी होती थी। पिछले कुछ सालों में यह पूरी तरह समाप्त हो गया है।

New Delhi, 25 जून (हि.स.)। केंद्रीय गृह एवं सहकारितामंत्री अमित शाह ने आज ‘संविधान हत्या दिवस’ पर एक्स हैंडल पर अपने उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ‘आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। 25 जून, 1975 को लगे आपातकाल में देशवासियों ने जो पीड़ा और यातना सही, उसे नई पीढ़ी जान सके, इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ का नाम दिया।

न्यायपालिका के हाथ बांध दिए गए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया- गृहमंत्री

उन्होंने लिखा, ” यह दिवस बताता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे उखाड़ फेंकने की ताकत रखती है। आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्रविरोधी मानसिकता का परिचायक था। प्रेस की स्वतंत्रता कुचली गई। न्यायपालिका के हाथ बांध दिए गए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया।”

संघर्ष में बलिदान देने वाले सभी वीरों गृहमंत्री शाह ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी 

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने लिखा, ” देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का शंखनाद किया और तानाशाह कांग्रेस को उखाड़ फेंका। इस संघर्ष में बलिदान देने वाले सभी वीरों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि। ” उल्लेखनीय है कि केंद्रीयमंत्री शाह ने कल ‘आपातकाल के 50 साल’ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने एक्स पर लिखा, ” नई दिल्ली में आपातकाल की पूर्व संध्या पर आपातकाल के 50 साल कार्यक्रम में आपातकाल के खिलाफ संघर्ष करने वाले वीरों को सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।”

गृहमंत्री शाह ने आगे कहा कि 

जब किसी व्यक्ति के भीतर छिपा हुआ तानाशाही स्वभाव बाहर आ जाता है, तभी आपातकाल लगता है, यह इतिहास हमारी युवा पीढ़ी को जानना जरूरी है। आपातकाल, कांग्रेस द्वारा मल्टीपार्टी डेमोक्रेसी को एक पार्टी की तानाशाही में बदलने के षड्यंत्र की शुरुआत थी। आपातकाल का मूल कारण सत्ता की भूख थी। न देश पर कोई बाहरी खतरा था, न ही कोई आंतरिक संकट था, खतरा बस इंदिरा गांधी की कुर्सी पर था।

जम्मू, 29 मई (हि.स.)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहली बार आज जम्मू पहुंच रहे हैं। शाम करीब पांच बजे शाह जम्मू एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। वह शाम को ही सुरक्षा एजेंसियों के साथ सुरक्षा प्रबंधों की समीक्षा बैठक करेंगे। रात में राजभवन में रुकेंगे और शुक्रवार को पुंछ जाएंगे। आज शाम होने वाली उच्च स्तरीय बैठक में गृहमंत्री अमित शाह के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्य सचिव, डीजीपी जम्मू-कश्मीर, सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ सहित खुफिया एजेंसियों के अधिकारी मौजूद रहेंगे।

बैठक में अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजामों पर विस्तृत चर्चा होगी

बैठक में ऑपरेशन सिंदूर के बाद मौजूदा हालात, अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा इंतजामों पर विस्तृत चर्चा होगी। गृहमंत्री जम्मू संभाग के सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान के हमलों से हुए नुकसान पर भी चर्चा करेंगे। इन इलाकों में बंकर निर्माण की मौजूदा स्थिति और नए बंकर बनाने की योजना पर भी चर्चा हो सकती है। शुक्रवार को गृहमंत्री हेलीकॉप्टर से पुंछ जाएंगे। यहां पाकिस्तान की गोलाबारी से प्रभावित लोगों से मुलाकात करेंगे। गृहमंत्री उस गुरुद्वारे में भी जा सकते हैं जिसे पाकिस्तान ने निशाना बनाया था।

गृहमंत्री गुरुवार की शाम को वह राजभवन में बैठक करेंगे

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर आ रहे हैं। शाह ने 22 अप्रैल की शाम को पहलगाम के बायसरन में हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद कश्मीर का दौरा किया था। अगले दिन वह बायसरन भी गए थे। सात से 10 मई तक चले ऑपरेशन सिंदूर के बाद गृहमंत्री का केंद्र शासित प्रदेश का यह पहला दौरा है। गुरुवार की शाम को वह राजभवन में बैठक करेंगे। बैठक में फोकस पहलगाम हमले व ऑपरेशन सिंदूर के बाद आंतरिक सुरक्षा पर होगा। खासकर जम्मू की सुरक्षा स्थिति प्रमुख मुद्दा होगी। बैठक में तीन जुलाई से नौ अगस्त तक होने वाली अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर भी चर्चा होगी।

शुक्रवार को शाह सीमावर्ती जिले पुंछ का दौरा करेंगे गृहमंत्री अमित शाह 

डोडा, किश्तवाड़, कठुआ, उधमपुर, राजोरी और पुंछ जिलों के ऊपरी इलाकों में आतंकवादियों की मौजूदगी है। यह सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह का दौरा अहम माना जा रहा है। शुक्रवार को शाह सीमावर्ती जिले पुंछ का दौरा करेंगे और नागरिक क्षेत्रों में पाकिस्तानी गोलाबारी से हुए नुकसान का आकलन करेंगे। वह गोलाबारी में मारे गए लोगों के परिजनों से भी मिलेंगे। यहां बड़ी संख्या में घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के अलावा धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा है। पिछले हफ्ते पुंछ के दौरे पर आए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गोलाबारी में मारे गए लोगों के परिजनों में से एक को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार घरों और व्यावसायिक ढांचों को हुए नुकसान के लिए पैकेज की घोषणा करेगी।