उच्च विद्यालय के शिक्षकों को पी-एच.डी कोर्स वर्क हेतु सवैतनिक अध्ययन अवकाश देने का प्रावधान करे सरकार: प्रो रणजीत कुमार
Chhapra: बिहार शिक्षा मंच के संयोजक तथा सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी डॉ रणजीत कुमार ने बिहार के शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर मांग किया है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवम शिक्षक हित में माध्यमिक एवम उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को छः माह के प्री पी-एच.डी कोर्स वर्क में भाग लेने हेतु सवैतनिक अध्ययन अवकाश का प्रावधान किया जाए तथा पुस्तकालयाध्यक्ष एवम शारीरिक शिक्षकों को भी सेवा शर्त नियमावली 2020 में संशोधन कर पी-एच.डी करने की अनुमति दिया जाए।
डॉ कुमार ने कहा है कि बड़ी संख्या में माध्यमिक एवम उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों ने अपने एकेडेमिक कैरियर के उत्थान एवम विषय विशेषज्ञता हासिल करने हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवम राजभवन, पटना द्वारा निर्धारित मापदंडों के आलोक में बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों मेंछः माह के प्री पी-एच.डी कोर्स वर्क में अपने नियोक्ता प्राधिकार से विधिवत अनुमति लेकर नामांकन लिया है। वर्तमान समय में इन शिक्षकों के लिए जो सेवा नियमावली लागू है उसके अनुसार इन शिक्षकों को छः माह का प्री पी-एच.डी कोर्स वर्क करने हेतु अवैतनिक अध्ययन अवकाश लेना पड़ता है। विदित हो कि शिक्षा विभाग ने इन विद्यालयों में नियुक्त अप्रशिक्षित शिक्षकों को बी.एड करने हेतु सवैतनिक अवकाश का प्रावधान किया था। विश्वविद्यालयों में नियुक्त शिक्षकों एवम प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को भी पी-एच .डी करने या किसी विषय में विशेषज्ञता हासिल करने हेतु सवैतनिक अध्ययन अवकाश का प्रावधान है। इसलिए विषय मे विशेषज्ञता हासिल करने हेतु प्री पी-एच.डी. कोर्स वर्क में नामांकन लेने वाले माध्यमिक एवम उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए भी छः माह का सवैतनिक अध्ययन अवकाश का प्रावधान किया जाना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शिक्षक एवम छात्रहित में सकारात्मक निर्णय माना जाएगा।ऐसे भी शोध कार्य दुरूह, श्रम साध्य एवम खर्चीला होता है।
गौरतलब है कि इन नियोजित शिक्षकों को तमाम योग्यता रहते हुए भी वेतन के रूप में अल्प राशि ही मिलती है। पुनः सेवा शर्त नियमावली 2020 में पुस्तकालयाध्यक्ष एवम शारीरिक शिक्षकों को पी-एच.डी करने हेतु निर्धारित योग्यता नेट-पेट उत्तीर्ण रहने पर भी पी-एच.डी करने की अनुमति नहीं दी गई है। शिक्षा विभाग का यह निर्णय भेदभावपूर्ण एवम अवसर की समानता संबंधी मूल अधिकार का उल्लंघन है। इसलिए पुस्तकालयाध्यक्षों एवम शारीरिक शिक्षकों को भी पी-एच.डी. करने की अनुमति देने हेतु विभेदकारी वर्तमान सेवा शर्त नियमावली में जल्द से जल्द संशोधन किया जाए। सरकार के इन कदमों से शिक्षकों में सरकार के प्रति सकारात्मक भाव संचारित होगा।