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तरैया विधायक पर लॉकडाउन में धरना देने पर FIR, राजद ने किया पलटवार

Taraiya: RJD के तरैया विधायक मुद्रिका राय के खिलाफ लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. मुद्रिका राय ने बाढ़ पीड़ितों के लिए सुविधाओं की मांग करते हुए शुक्रवार को प्रखंड सह अंचल कार्यालय पर कार्यकर्ताओं के साथ धरना दिया था. जिसके बाद प्रशासन द्वारा लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन के आरोप में उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई है.

राजद विधायक ने तरैया में बाढ़ पीड़ितों के लिए चल रहे सामुदायिक किचेन व जेनसेट से बिजली सप्लाई बंद करने के खिलाफ धरना दिया था. जिसके बाद तरैया थानाध्यक्ष ने विधायक समेत 13 लोग के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की है. आपको बता दें कि महामारी ऐक्ट के तहत लॉकडाउन के दौरान धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक लगाया गया है. इसके बाद भी विधायक लोगों की भीड़ जुटाकर धरने पर बैठ गए.

जिसके बाद तरैया थानाध्यक्ष ने तरैया विधायक मुद्रिका प्रसाद राय, राजद प्रखंड अध्यक्ष बीर बहादुर राय, कार्यकर्ता रविंद्र राय गंडार, विजय राय गलिमापुर, वकील राय भागवतपुर, पानापुर प्रखंड अध्यक्ष अनिल यादव, संजय यादव बगही, नितेश शर्मा हरखपुरा, सुरेश राम खराटी, मुन्ना सिंह तरैया टोला, मनोज राय शाहनेवाजपुर, उमेश राय पानापुर समेत 40 से 45 अज्ञात व्यक्तियों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है.

RJd ने किया पलटवार

वहीं इस मामले पर सारण जिला राजद प्रवक्ता हरेलाल यादव ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि तरैया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत तरैया पानापुर और इसुआपुर प्रखंड के हजारों परिवार बाढ़ की भयावह स्थिति से ग्रसित हो बांधो, नहरों और सड़कों पर शरण लिए हुए हैं.

सरकार की घोर उपेक्षा के कारण जब सामुदायिक किचेन बन्द कर दिए गए और जेनरेटर की सुविधा भी समाप्त कर दी गई. तब स्थानीय राजद विधायक मुंद्रिका प्रसाद राय द्वारा सरकार और जिला प्रशासन को पत्र लिखकर मांग की गई कि बाढ़ की गंभीर हालत को देखते हुए सामुदायिक किचेन और विजली की व्यवस्था को पुनः बहाल की जाय. इसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया.

प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ित जनता की उपेक्षा के विरुद्ध जब स्थानीय विधायक द्वारा जनहित में लोकतांत्रिक तरीके से धरना दिया गया तो प्रशासन द्वारा उल्टे धरनार्थियों के ऊपर मुकदमा कर दिया गया. नीतीश सरकार की मिशनरी कोरोना और बाढ़ मामले में पूरी तरह से फेल हो चुकी है. जो जनप्रतिनिधि जनता की आवाज को उठा रहे हैं उनके ऊपर कानून का डंडा चला रही है जो अलोकतांत्रिक है.

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