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ग्रामीण प्रतिभाएं, जिन्हें निखारने, तराशने की है जरूरत

Chhapra (Surabhit Dutt): कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों. दुष्यंत कुमार के यह शब्द सारण जिले के अमनौर प्रखंड के धर्मपुर जाफर के कुछ बच्चों पर सटीक बैठतें है.  ये बच्चे इन दिनों ग्रामीण परिवेश से निकल कर अपने जज्बे और प्रतिभा के बदौलत देश में नाम कमा रहे है. प्रखंड के बच्चे वुशू खेल में राष्ट्रीय स्तर पर चमक रहे है.

यहाँ ट्रेनिंग करा रहे विनय पंडित ने बताया कि बच्चों के द्वारा सिमित संसाधनों के बीच बेहतर प्रदर्शन किया जा रहा है. कई बच्चे बच्चियों ने सिल्वर और गोल्ड मेडल जीते है. विनय पंडित इन बच्चों को पिछले 2 सालों ने ट्रेनिंग दे रहे है. ट्रेनिंग के लिए कन्या मध्य विद्यालय के शिक्षकों के सपोर्ट से एक रूम मिली है. जिसमे यह बच्चे रोजाना प्रैक्टिस करते है. यहाँ प्रैक्टिस करने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवार से आते है. जिनके पास आर्थिक परेशानियां भी है.

वुशू खेल के लिए जरुरी किट आदि के आभाव में भी इन बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर तक के प्रतियोगिताएं में अपने आप को साबित किया है और मेडल जीतें है.

विनय बताते है कि अगर इन्हें किट और जरुरी संसाधन मुहैया करा दिए जाए तो इन नन्हे चैम्पियंस को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. यह बच्चे सिमित संसाधन के इतना अच्छा प्रदर्शन कर रहे है तो संसाधन मिलने पर और भी बेहतरीन प्रदर्शन कर सकेंगे.

देखिये chhapratoday.com की Exclusive रिपोर्ट 

 

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