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आग की विभीषिका, ज़िंदगी भर की कमाई एक पल में खोने का दर्द

छपरा(कबीर अहमद): पूरी ज़िंदगी की कमाई एक पल में खो देने का दर्द, खोने वाले से बेहतर और कौन समझ सकता है. दुनिया दो पल के लिए तो सांत्वना दे सकती है लेकिन वो दर्द को न तो कम कर सकती है ना ही महसूस कर सकती है.

सुबह में आँख खुली नही की शाम में घर में चूल्हा कैसे जलेगा इसकी चिंता सताने लगती थी. ऐसे ही कई परिवार जिसके पास अपनी ज़मीन नही किराया पर ठिकाना और वो भी एक पल में सब ख़ाक हो गया. वो प्यारी सी कुटिया जो महल से कम नहीं थी. अब वो भी नही रही.

जिले में इन दिनों तेज पछुआ हवा के कारण अगलगी की घटनाओं में इजाफा हुआ है. लोग आग के लगने से एक पल में अपने जीवन भर की कमाई को खो दे रहे है.

रविवार की दोपहर शहर के भगवान बाज़ार थाना क्षेत्र के मिर्चईया टोला मुहल्ले में एक परिवार की ज़िन्दगी भर की कमाई पल में आगलगी से ख़ाक हो गयी. किराये की ज़मीन पर ज़िन्दगी भर की कमाई और पाई-पाई जोड़कर मोहम्मद अली ने अपना आशियाना बनाया था. वह एक पल में सब ख़ाक हो गया. मोहम्मद अली की पत्नी ने बार बार कह रही थी कि मेरे के पास अब कुछ नही बचा. जो पैसे थे घर में वो भी जल गए. सर के ऊपर जो छत संजोया था वो भी अब नही रहा. 

वही दूसरी ओर गड़खा थाना क्षेत्र के तीन स्थानों पर हुई आगलगी की घटना में तीन लोगों की मौत आग के चपेट में आने से हो गयी. यह केवल एक दिन की बात नहीं पिछले एक महीने के अंदर लगभग सैकड़ों घर आग की चपेट में आये है और लोग बेघर हुए है.   

यह हाल किसी एक परिवार का नहीं बल्कि जिले के कई परिवार इस विभीषिका से जूझ रहे है. जिले में लगातार हो रही आगलगी की घटनाओं से कितनों के आशियाने उजड़ गए और कितनो ने अपनों को खो दिया. कुदरत के इस कहर से कई लोग खुले आसमान के नीचे रात बिताने को विवश हुए है. मुआवजे के नाम पर जो भी सरकारी सहायता मिल रही है. वह महज एक औपचारिकता मात्र है. जीवन भर संजोया एक पल में गवां बैठे लोगों को अब समझ नहीं आ रहा की जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर फिर से कैसे लाया जाए.

{फोटो: अमन कुमार, छपरा टुडे} 

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