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मई दिवस: अपनी मेहनत से दूसरों के घर बनाने वाले मजदूरों का दिन

शहर भर में मजदूर जैसे दर-बदर कोई न था,
जिसने सबका घर बनाया, उसका घर कोई न था…

सुबह-सुबह शहर के कई ऐसे स्थान है जहां मजदूर इकट्ठे होकर मजदूरी ढूंढते दिखते है. प्रतिदिन सुबह शुरू होने वाला यह संघर्ष शाम में घर के चूल्हे को जलाने और बच्चों को पालने के लिए होता है. किसी दिन मजदूरी नही मिली तो फिर उस दिन बच्चे भूखे सोने पर मजबूर हो जाते है. एक एक ईंट जोड़ कर दूसरों के घरों को बनाने वाले मजदूर खुद प्रतिदिन घर में चूल्हा जले इसलिए सुबह से लेकर शाम तक मेहनत करते है.

रोजाना काम की तलाश में घंटों खड़े रहते है. लोग आते है मजदूरी का मोल भाव होता है, अगर बात बनी तो घर मे चूल्हा जलेगा नही तो नही.

बात जब मजदूर दिवस की हो रही है तो यह कहने में कोई संकोच नही होगा कि यह एक मात्र ऐसा दिवस है जिस दिन जिसके लिए कार्यालयों में अवकाश होता है वह काम कर रहा होता है. अगर मजदूर दिवस के दिन कोई मजदूर छुट्टी मनाए तो उसके घर शायद चूल्हा ना जले.

इस दिन बड़े आयोजन होते है, मजदूरों के संघर्ष और अन्य मुद्दों पर केवल बातें होती है, कार्यक्रमों का आयोजन होता है. मजदूरों के लिए बड़े बड़े बातें कही जाती है. किन्तु सच्चाई यह है कि मजदूर अपने हाल पर बेहाल है.

दुनिया के कई देश 1 मई को मजदूर दिवस मनाते हैं. भारत में पहली बार 1 मई 1923 को हिंदुस्तान किसान पार्टी ने मद्रास में मजदूर दिवस मनाया था. 1 मई को 80 से ज्यादा देशों में राष्ट्रीय छुट्टी होती है.

मजदूर दिवस की शुरुआत कनाडा में 1972 में हुई. यह मजदूरों के अधिकारों की मांग के लिए शुरू किया गया था. मजदूर दिवस को उत्सव के रूप में पहली बार अमेरिका में 5 सितंबर 1882 को मनाया गया. दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस ‘मई डे’ के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत शिकागो से हुई थी. मजदूरों ने वहां मांग की कि वे सिर्फ 8 घंटे काम करेंगे. इसके लिए उन्होंने कैंपेन चलाया, हड़ताल और प्रदर्शन भी किया.

हर साल की तरह आज भी सत्ता जहाँ मजदूरों के लिए चलाई जा रही योजनाओं पर अपनी पीठ थपथपा आत्ममुग्ध होगी तो वही विपक्ष और बुद्धिजीवी समाज मजदूरों की दुर्दशा, उनके सम्मान पर लच्छेदार बाते कर खुद को गौरवान्वित करेगा.

आज सार्वजनिक छुट्टी होने के वजह से अधिकारी और नेता तो आराम करेंगे पर मजदूर, मजदूरी करने जरूर जायेगा क्योकी अगर वह भी छुट्टी मनाये तो शायद उसके घर में शाम में चूल्हा न जल सके.

 

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