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सारण के इन दो सेतु के 2 साल: एक ने दी राहत तो दूसरा रहा महाजाम की चपेट में

(कबीर की रिपोर्ट) आज ही के दिन 2017 में सारणवासियों को दो बड़ी सौगात मिली थी. गांधी सेतु के बेहतर विकल्प के रूप में जेपी सेतु और वीर कुंवर सिंह सेतु आज ही के दिन 2017 में जनता के लिए बिहार सरकार ने समर्पित किया था.

दीघा-सोनपुर जिसे हम जेपी सेतु के नाम से जानते हैं, इस सेतू ने सारण जिला और राजधानी पटना को जुड़ा है. तो वही आरा-छपरा पुल जिसे हम वीर कुंवर सिंह सेतु के नाम से जानते हैं. यह सेतु छपरा और आरा जिला को जोड़ता है. दोनों ही पुल के चालू हो जाने से दूरियां तो घटी ही है. साथ ही साथ एक जिले से दूसरे जिले जाने के लिए रास्ता आसान हुआ है.

छपरा से आरा की दूरी पहले 128 किलोमीटर थी जो अब महज 40 किलोमीटर पर सिमट गई है. वहीं छपरा से औरंगाबाद पहले 230 किलोमीटर थी जो अब 180 किलोमीटर हो गई है. छपरा से बक्सर की दूरी 196 किलोमीटर थी जो घटकर अब 106 किलोमीटर हो गई है.

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बात आरा छपरा पुल की
छपरा-आरा पुल की करें तो व्यापार बड़ा है. लेकिन उद्घाटन होने के बाद इस सेतु पर कुछ महीने छोड़ दे तो अब तक यह पुल महाजाम से जूझता ही रहा है. जब तक इस सेतु पर बड़ी गाड़ियों का परिचालन नहीं था तब तक लोगों ने इस सेतु का इस्तेमाल खूब किया. लेकिन अब जब ट्रकों को इस पुल से आवागमन की अनुमति मिल गयी है महाजाम से लोग सेतु से बचते दिखाई देते हैं. सेतु का एक लेन मानो ट्रकों का पार्किंग स्थल बन चूका है. छोटे निजी वाहन वाले इस पुल से यात्रा करने से बचते नजर आ रहे है.  

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दीघा-सोनपुर पुल की
सोनपुर दीघा सेतु जिसे हम जेपी सेतु के नाम से भी जानते हैं. यह पुल 2 सालों में गांधी सेतु का विकल्प साबित हुआ है. सारण जिले से सुबे की राजधानी पटना और राजधानी से सारण जिले में जाना आना बेहद आसान हुआ है. यह पुल पिछले 2 सालों में इन दोनों जिलों के लिए लोगों के लिए संजीवनी साबित हुआ है. महात्मा गांधी सेतु पर लगने वाले जाम से लोगों को इस सेतु ने राहत दी है.

दो साल के बाद छपरा-आरा पुल की हालत ट्रकों के जाम से पस्त हो गयी है. जहाँ सरकार को ध्यान देने की जरुरत है. जबकि दीघा पुल फिलहाल उत्तर बिहार के ल्गोगों को पटना आने जाने के लिए बेहतर विकल्प साबित हो रहा है.    

 

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