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मजदूरी कर रहे बाल श्रमिक को कराया गया मुक्त

Chhapra: श्रम विभाग के द्वारा विशेष अभियान चलाकर दुकान पर मजदूरी कर रहे बाल श्रमिकों को मुक्त कराने का अभियान चलाया जा रहा हैं. मंगलवार को शहर के नगरपालिका चौक स्थित एक फास्ट फूड की दुकान पर बाल श्रमिक को कार्य करते हुए पाया गया और उसे वहां से विमुक्त कराकर बाल सुधार गृह भेज दिया गया.

सारण के श्रम अधीक्षक रमेश कमल रत्नम ने बताया कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे से काम करवाना कानूनन अपराध हैं. उन्होने बताया कि छपरा शहर के नगरपालिका चौक के एक फास्ट फूड के दुकान पर काम कर रहे 13 वर्षीय बाल श्रमिक को विमुक्त कराया गया. वह सीतामढ़ी जिले का रहने वाला हैं. विगत कुछ दिनों से वह राकेश कुमार के फास्ट फूड दुकान पर 3000 रु0 मासिक पर काम कर रहा था. बाल श्रमिक को बाल सुधार गृह छपरा में पुलिस अभिरक्षा में पहुंचा दिया गया.

उन्होने बताया कि दुकानदार के विरुद्ध नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए 20,000 रु0 की वसूली सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना हेतु की जाएगी. साथ ही अन्य धाराओं के अनुरूप नोटिस निर्गत किया जाएगा.

बाल श्रम के खिलाफ धावादल जारी रखेगा अभियान

पिछले कुछ दिनों से विविध कारणों से श्रम विभाग का धावादल बाल श्रम के खिलाफ अभियान नहीं चला पाया था. वर्तमान में विभागीय दिशा निर्देशों के आलोक में धावादल सक्रिय हुआ हैं.
वर्त्तमान में बाल श्रम उन्मूलन एवम किशोर श्रम निषेध हेतु कोई 15 दिनों तक जन जागरण तथा विमुक्ति अभियान चलाया जाएगा. जिसके लिए तैयारियां की जा रही हैं. शीघ्र ही छपरा नगर निगम क्षेत्र को भी बाल श्रम मुक्त क्षेत्र बनाया जाएगा.

बाल श्रम कराने पर 6 माह से 2 साल तक की हो सकती हैं सजा बाल श्रम को पहले से ही संगेय अपराध घोषित किया गया हैं फिर भी कुछ नियोजक जानकारी के बाद भी यह अपराध करते हैं. जबकि इस अपराध हेतु 6 माह से 2 साल तक की कैद या 20,000 रु0 से 50,000 रु0 तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान हैं.

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