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अटल जी के संस्मरण: राम दयाल शर्मा के शब्द

भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद सभी स्तब्ध है. वाजपेयी जी से जुड़े कुछ संस्मरण को विद्वत परिषद् के बिहार झारखण्ड के प्रमुख रामदयाल शर्मा ने छपरा टुडे डॉट कॉम से साझा की है.

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हार नही मानूंगा, रार नही ठानूँगा
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ.

इस पंक्ति को लिखने वाला दृढ़ निश्चयी असीम व्यक्तित्व के धनी हर दिल अजीज अजातशत्रु महामानव भारत रत्न पण्डित अटल विहारी वाजपेयी आज काल से हार गए. ऐसे तो अटल जी का व्यक्तित्व केवल भारत ही नही समूचे विश्व के लिये के लिये प्रेरणास्पद है लेकिन हम छपरावासी को भी उनसे प्रेरणा मिलती रही है. अटल जी जनसङ्घ् काल में चीन के आक्रमण के बाद 1963-64 में सड़क मार्ग से छपरा आये थे. स्व शिव कुमार द्विवेदी जी के जीप से उन्हें पहलेजा घाट से छपरा लाया गया था और उन्ही के आवास पर अटल जी ने रात्रि विश्राम किया था. शिव कुमार द्विवेदी जी के आवास पर ही कार्यकर्ताओ की बैठक भी उन्होंने ली थी.

दूसरी बार जब सभापति विश्वकर्मा एकीकृत सारण जिला (छपरा, सिवान, गोपालगंज) के संगठन मंत्री थे उस समय आये थे और कलक्टर कम्पाउंड में सभा किये थे. आपातकाल के बाद चुनाव की घोषणा होने पर चुनावी सभा करने भी छपरा आये थे. सारण के लोगो ने अटल जी की कही बात भी प्रत्यक्ष अनुभवकिया की मेरे मरने के बाद जब अस्थियाँ नदियो में प्रवाहित होंगी. उस समय नदियो के लहरो पर कान लगाकर सुन लेना मेरी जल धाराओ में बहती अस्थियाँ भी भारत माता की जय बोलती रहेगी. हजारो लोगो की आवाज में अस्थियो की आवाज तो अलग से नही सुनी जा सकती थी. लेकिन मेरा मनना है कि अस्थियो की आवाज के साथ ही सब लोग भारत माता की जय बोल रहे थे. इसकी पुष्टि भी इस प्रकार होती है की जल में प्रवाहित अस्थियाँ जबतक आखो से ओझल नही हुई, तबतक भारत माता की जय की आवाज गूँजती रही.

फिर जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद भारतीय जनता पार्टी बनने पर चुनावी सभा को कलक्टर कम्पाउंड में सम्बोधित करते हुए उन्होने विदेश मंत्री का अपना अनुभव साझा करते हुए कहा था कैमेरे विदेश मंत्री बनने पर पत्रकारों ने मुझसे पूछा कि आप रूस के तरफ झुकेंगे या अमेरिका के तरफ तो मैंने साफ कहा हम किसी के तरफ नही झुकेंगे दोनों हमारी ओर झुकेंगे. ऐसा उनका आत्मविश्वास था.

 

दूसरी बात उन्होंने कहा कि इंदीरा जी की शासन में भी लोगो के राशन कार्ड भूल गए थे क्योकि इतनी लम्बी लाईन लगती थी की कार्ड भीड़ में खो जाते थे और मेरी सरकार भी. राशन कार्ड भूले लेकिन इसलिये भूले की कार्ड की कोई जरूरत नही रही तो लोग राशन कार्ड ही भूल गए. यह था उनका विपक्ष का विरोध करने का तरीका.

80 के दशक में परसा विधानसभा के उप चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी स्व ब्रजनन्दन सिंह के लिए चुनाव प्रचार करने आये थे. भीड़ देखकर उन्होंने कहा आपकी उपस्थिति यह बता रही है कि भाजपा अब घर-घर में आ गई है. इस भीड़ को वोट बदलने की आवश्यकता है.

गम्भीर से गम्भीर बातों को भी सहज ढंग से रख देना. कुशल राजनीतिज्ञ कवि जिसने खुले मंच पर रग रग हिंदू मेरा परिचय देता रहा हो वह आज हमारे बीच नही रहे इस रिक्ति को भरना असम्भव है.

स्वर्ग में उन्हें स्थान तो मिलेगा ही परन्तु इस बिछोह को सहने की शक्ति ईश्वर हम सबको दे.

(यह लेखक के निजी विचार है) 

रामदयाल शर्मा

प्रमुख, विद्वत परिषद् बिहार झारखण्ड

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