पटना: बिहार में स्कूल-कॉलेज खोलने के बाद अब मंदिरों के भी खोलने की भी बात उठने लगी है। मंदिर खोलने पर सत्तारुढ़ भाजपा-जदयू के मत एक नहीं हैं। भाजपा ने जहां संक्रमण कम होने का हवाला दिया है तो जदयू ने असम का उदाहरण सामने रख दिया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि ‘हमारी मांग है कि जब सब कुछ खुल चुका है तो मंदिर भी खोला जाएं।’ प्रेमरंजन पटेल से पहले भाजपा के राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मंदिर को खोलने की मांग रखी थी। इसके जवाब में जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि ‘मांग करने वालों को यह समझना चाहिए कि बिहार में सिर्फ मंदिर ही नहीं, सभी धार्मिक स्थल बंद हैं। असम में भी माता कामाख्या का दरबार बंद है। वहां चुनाव भी हुए, सरकार भी बन गई, लेकिन मंदिर नहीं खुला।’ जदयू की तरफ से असम का उदाहरण इसलिए दिया जा रहा, क्योंकि असम में भाजपा की सरकार है।
चार मई से कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर बंद हैं। संक्रमण की दर कम होने के बाद सरकार ने कई चरणों में अनलॉक किया है। अब बाजार, शिक्षण संस्थान और दफ्तर सब खुल चुके हैं लेकिन मंदिर के साथ ही सभी धार्मिक स्थल भक्तों के लिए बंद हैं। भक्त नहीं तो मंदिरों में चढ़ावा भी बंद है और हालत यह है कि बड़े-बड़े मंदिरों की वित्तीय स्थिति बेपटरी हो चली है। एक आकलन के मुताबिक बिहार के 4500 निबंधित मंदिरों को बीते तीन माह के लॉकडाउन में 40 करोड़ का नुकसान हुआ है। हालांकि, मंदिरों के अंदर भगवान की आरती और पूजा हो रही है, लेकिन भक्तों के लिए गेट बंद होने की वजह से दान बंद हो गया है।
लॉकडाउन के बाद से पटना का महावीर मंदिर बंद है। भक्तों के लिए 73 दिन से मंदिर के दरवाजे बंद हैं। मंदिर का संचालन करने वाली ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य किशोर कुणाल के मुताबिक दान और प्रसाद बिक्री के माध्यम से प्रतिमाह मंदिर को लगभग डेढ़ करोड़ की आय होती है। इस तरह से अब तक मंदिर को साढ़े चार करोड़ का नुकसान हो चुका है।