Site icon | छपरा टुडे डॉट कॉम | #ChhapraToday.com

शवों के अंतिम संस्कार को दो गज जमीन भी नसीब नहीं

छपरा: जिले में बाढ़ की विभीषिका से सभी त्रस्त हैं. जीवित हों या मृत सभी के लिए यह बाढ़ मुसीबत बन गया है. हर ओर बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है ऐसे में मृत शवों को दफ़नाने और उसके दाह संस्कार के लिए दो गज ज़मीन भी नहीं मिल रही है, जिससे की शवों का अंतिम संस्कार किया जा सके.

इसे भी पढ़े: बाढ़ के बाद भी नहीं चेता नगरपरिषद, शहर की सफाई व्यवस्था बदहाल

सोनपुर से लेकर दिघवारा, डोरीगंज, छपरा शहर का निचला इलाका, ईनई, रिविलगंज, सेमरिया सहित मांझी तक सिर्फ पानी ही पानी है. यहाँ रहने वाले लोग अपने और अपने परिवार के जीवन को लेकर प्रतिदिन जेद्दोजेहद में जुटे हैं. नदी के घाट पूरी तरह से जलमग्न हैं और अगले एक माह तक घाटों से पानी कम होने के कोई आसार नही दिख रहे है.

इसे भी पढ़े: आशियाने को बाढ़ ने किया बर्बाद, मकान धराशायी

रिविलगंज के सेमरिया में स्थित जिले का एक मात्र शव दाह गृह विभागीय उपेक्षा का शिकार है. जिले के ग्रामीण इलाकों से प्रतिदिन सैकड़ों लोग मृत शवों के अंतिम संस्कार को लेकर शहर का रुख करते हैं. डोरीगंज घाट और रिविलगंज का सेमरिया घाट शवों के संस्कार के लिए जाना जाता है. ऐसा मानना है कि नदी किनारे शव के अंतिम संस्कार करने से मृत आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन इन दिनों जगह के आभाव में लोग सड़क पर ही शवों के अंतिम संस्कार करने को विवश हैं. जिससे न सिर्फ वहां रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है.

Santosh Kumar/Surbhit Dutt/Kabir Ahmad

Exit mobile version