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‘मौत’ के 7 साल बाद घर वापस आया सेना का जवान धर्मवीर!

देहरादून/अलवर: इसे कुदरत का चमत्कार ही कहेंगे जब सात साल पहले मृत घोषित व्यक्ति आँखों से सामने आ जाए. एक परिवार की सात साल पहले खत्म हुई खुशियों उसे फिर से मिल जाए. यह घटना किसी फिल्मी कहानी जैसी है, लेकिन सच है.

अलवर जिले के भीटेड़ा कस्बा निवासी हवलदार धर्मवीर यादव सात साल पहले सेना की कार दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद लापता हो गए. सेना ने भी जवान को मृत मान लिया. सेना ने जवान की पत्नी मनोज यादव के नाम पेंशन भी जारी कर दी, लेकिन इस बीच हरिद्वार में भटक रहे धर्मवीर को पांच दिन पहले एक बाइक सवार ने टक्कर मार दी. जिससे उनके सिर में चोट लगी और याददाश्त लौट आई.

जिसके बाद धर्मवीर अपने घर पहुंचा. उसके परिवार के लिए वो घड़ी मानो अविश्वसनीय थी. बेटे का चेहरे देखते ही रिटायर्ड सूबेदार पिता कैलाश यादव की आंखें चौंधिया गईं. वो कुछ सोच और समझ नहीं पा रहे थे. लग रहा था नींद से उठे अभी सपना ही देख रहे हों. धर्मवीर के वापस घर लौटने की खबर सूरज निकलने का इंतजार नहीं कर सकी. रात को सैनिक को देखने वालों का जमावड़ा लग गया. उनके घर लौटने पर मां, पत्नी और बेटियों के ख़ुशी का ठिकाना न रहा.

धर्मवीर 1994 में थल सेना के 66 आर्म्ड कोर में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. 27 नवंबर 2009 की रात ड्‌यूटी जाते समय आर्मी की एंबेसेडर कार डिवाइडर से टकरा कर पलट गई. जिसके बाद से उनका कोई अता-पता नहीं था. धर्मवीर को खोजने के बाद उसका कोई पता नहीं लगा तो सेना के अधिकारियों ने तीन साल बाद मृत घोषित कर दिया. सेना ने धर्मवीर के परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट, पीएफ, ग्रेच्युटी, लीव बेलेंस सैलेरी भी स्वीकृत कर दी है.

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