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पहले विश्व सूफी फोरम का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

नयी दिल्ली: पहले विश्व सूफी फोरम को संबोधित करते हुए मोदी ने अप्रत्यक्ष तौर पर पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ को संगठित शिविरों में प्रशिक्षित किया गया है जबकि कुछ ऐसे हैं जिन्हें साइबर जगत में अपनी प्रेरणा मिलती है. ऑल इंडिया उलामा एवं मशायख बोर्ड की ओर से आयोजित फोरम में मोदी ने कहा, कुछ ऐसी ताकतें और संगठन हैं जो राज्य की नीति एवं योजना के औजार हैं. कुछ ऐसे हैं जिन्हें गुमराह आस्था की वजह से भर्ती किया गया है.

वैश्विक आतंकवाद से मुकाबले में सूफीवाद की भूमिका पर चर्चा की खातिर आयोजित इस फोरम में प्रधानमंत्री ने कहा, कुछ ऐसे हैं जिन्हें संगठित शिविरों में प्रशिक्षित किया गया है. कुछ ऐसे हैं जिन्हें साइबर संसार की सीमारहित दुनिया में अपनी प्रेरणा मिलती है. आतंकवाद विविध मंशाओं और कारणों का इस्तेमाल करता है लेकिन उनमें से किसी को भी सही नहीं ठहराया जा सकता. प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादी किसी धर्म को विकृत कर देते हैं. उन्होंने कहा कि वे दूसरी जगह पर दूसरों को मारने से ज्यादा तो अपनी ही जमीन पर अपने ही लोगों की ज्यादा हत्याएं कर रहे हैं जिससे पूरी दुनिया असुरक्षित और हिंसक होती जा रही है.
उन्होंने कहा, आतंकवादी उसी धर्म को विकृत करते हैं जिसके मुद्दों का समर्थन करने का वे दम भरते हैं. वे दूसरी जगह पर दूसरों को मारने से ज्यादा तो अपनी ही जमीन पर अपने ही लोगों की ज्यादा हत्याएं कर रहे हैं. और, वे समूचे क्षेत्र को खतरे में डालकर दुनिया को ज्यादा असुरक्षित और हिंसक बना रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद किसी धर्म के खिलाफ कोई टकराव नहीं है. उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी लड़ाई जिसे धर्म के असल संदेश और मूल्यों की ताकत के जरिए जीता जाना चाहिए. उन्होंने कहा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी धर्म के खिलाफ टकराव नहीं है. यह हो भी नहीं सकता. यह मानवता के मूल्यों और अमानवीयता की ताकतों के बीच एक संघर्ष है. मोदी ने कहा, यह ऐसा संघर्ष नहीं है जिसे सिर्फ सेना, खुफिया तंत्र या राजनयिक साधनों के जरिए लड़ा जाए. यह ऐसी लड़ाई भी है जिसे हमारे मूल्यों और धर्मों के असल संदेश की ताकत के जरिए जीता जाना चाहिए. मोदी ने ऐसे लोगों को धर्म विरोधी करार दिया जो इसके नाम पर आतंकवाद फैलाते हैं. उन्होंने सूफीवाद का संदेश प्रसारित करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि सूफीवाद इस्लाम के सिद्धांतों और उच्चतम मानवीय मूल्यों पर खरा उतरता है.

प्रधानमंत्री ने सूफीवाद को शांति की आवाज करार देते हुए कहा कि जब हम अल्लाह के 99 नामों के बारे में सोचते हैं तो उनमें से कोई भी बल और हिंसा से नहीं जुड़ता. अल्लाह के पहले दो नाम कृपालु एवं रहमदिल हैं. अल्लाह रहमान और रहीम हैं. सूफीवाद विविधता एवं अनेकता का उत्सव है.

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