Site icon | छपरा टुडे डॉट कॉम | #ChhapraToday.com

राम मंदिर पर प्रस्ताव पारित कर 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र सम्पन्न

नई दिल्ली, 10 फ़रवरी (हि.स.)। 17वीं लोकसभा का अंतिम सत्र शनिवार को राम मंदिर पर चर्चा के बाद संपन्न हो गया। 31 जनवरी को शुरू हुए पंद्रहवें सत्र के समाप्त होने के साथ ही सत्रहवीं लोकसभा भी समाप्त हो गई। 17वीं लोकसभा की पहली बैठक 17 जून, 2019 को हुई थी। इस लोकसभा ने 222 कानून पारित किये। इस अवधि के दौरान 202 विधेयक पुरःस्थापित किए गए तथा 11 विधेयकों को सरकार द्वारा वापस लिया गया।

सत्र के समापन की घोषणा करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने उल्लेख किया कि लोक सभा ने भारतीय न्याय संहिता, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, मुस्लिम महिला विधेयक, डिजिटल पर्सनल डाटा विधेयक जैसे ऐतिहासिक विधेयक पारित किए। हमने विशेष रूप से भारतीय चिंतन को आगे बढ़ाने के लिए कानून पारित किए। उन्होंने बताया कि इस लोकसभा में महिलाओं का अधिकतम प्रतिनिधित्व रहा और सदन की कार्यवाही में उनकी सक्रिय भागीदारी रही।

17वीं लोक सभा के दौरान पारित कुछ ऐतिहासिक कानूनों पर बिरला ने कहा कि संसद के नये भवन के अंदर सर्वप्रथम नारी शक्ति वंदन विधेयक, 2023 को चर्चा के लिए लिया गया और सभी दलों के सहयोग से यह ऐतिहासिक विधेयक उसी दिन पारित किया गया। इसके अतिरिक्त, सदन ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन विधेयक, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, औद्योगिक संबंध संहिता जैसे कई ऐतिहासिक कानून पारित किए।

उन्होंने कहा कि 17वीं लोक सभा के दौरान आजादी के पूर्व बनाए गए अनेक अनुपयोगी कानूनों को निरस्त किया गया और आजादी के पूर्व बनाए गए कानूनों के स्थान पर नए कानून बनाए गए। इस लोक सभा की अवधि के दौरान सदन द्वारा तीन संविधान संशोधन विधेयक पारित किए गए।

लोकसभा की उत्पादकता पर बिरला ने कहा कि 17वीं लोक सभा में कुल मिलाकर 274 बैठकें हुईं, जो 1354 घंटे तक चली। सदन ने नियत समय से 345 घंटे की अधिक अवधि तक बैठकर अपना कार्य किया। उन्होंने बताया कि इस लोक सभा में व्यवधान के कारण कुल 387 घंटे का समय व्यर्थ हुआ। 17वीं लोक सभा की कुल कार्य उत्पादकता लगभग 97 प्रतिशत रही है, जो पिछली 5 लोक सभाओं में सबसे अधिक है।

17वीं लोकसभा में लाए गए नवाचारों पर बिरला ने प्रिजम, संसद सदस्यों के लिए ब्रीफिंग सत्र, सदस्यों को पुस्तकों की होम डिलीवरी, कार्यवाही का डिजिटलीकरण, मोबाइल ऐप, व्हाट्सएप पर सदस्यों के वीडियो फुटेज की डिलीवरी आदि का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 17वीं लोक सभा में पेपरलेस ऑफिस के विजन को साकार करते हुए संसदीय कामकाज में डिजिटल माध्यम का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में 97 प्रतिशत से अधिक प्रश्नों के नोटिस इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दिए जा रहे हैं।

17वीं लोकसभा में मितव्ययिता उपायों पर बिरला ने बताया कि पूरी लोकसभा के दौरान लगभग 875 करोड़ रुपये की बचत हुई, जो सचिवालय के बजट का 23 प्रतिशत था। इस लोक सभा में इस कैंटीन सब्सिडी को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया, जिससे लगभग 15 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत हुई। संविधान सभा में फसाड लाइटिंग की व्यवस्था और लोक सभा टीवी और राज्य सभा टीवी के विलय से करोड़ों रुपये की बचत हुई।

राम मंदिर पर प्रस्ताव पारित

लोकसभा ने आज सत्र के अंतिम दिन राम मंदिर को लेकर प्रस्ताव पारित किया। ऐतिहासिक राम मंदिर निर्माण एवं श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर नियम 193 के तहत चर्चा कराई गई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह ने भी भाग लिया।

प्रस्ताव के अनुसार अयोध्या में बन रहा प्रभु श्री राम का मंदिर सिर्फ पत्थरों का ढांचा भर नहीं है बल्कि आस्था और भक्ति के अनंत भावों से परिपूर्ण है। 22 जनवरी, 2024 पूरे भारतवर्ष के लिए एक ऐसी तिथि है, जिसने देश के कोने-कोने को अद्भुत आनंद और उत्साह से भर दिया। दुनियाभर की अलग-अलग संस्कृतियों में भी राम मंदिर की खूब चर्चा रही। हर ओर आस्था का सागर उमड़ता दिखा। यह एक राष्ट्रीय पर्व का दिन बन गया है, जिसको लेकर युग-युगांतर तक हमारी पीढ़ियां अभिभूत होती रहेंगी।

इसमें आगे कहा गया कि अयोध्या में प्रभु श्री राम का मंदिर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रत्यक्ष प्रतीक है। इस अवसर ने ये भी दिखाया है कि समाज में समरसता बढ़ाने में हमारे सामूहिक प्रयासों का कितना बड़ा योगदान है। इस पल के साकार होने में हमारी न्यायपालिका और समाज के एक बड़े हिस्से की भूमिका भी उतनी ही अहम रही है। जनमानस का हमारे कानून और लोकतंत्र पर विश्वास, ये दिखाता है कि हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं की नींव कितनी सशक्त और गहरी है।

सदन ने विश्वास व्यक्त किया कि ये ऐतिहासिक उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को आशा, एकता और सामूहिकता के मूल्यों का संदेश देगी। इसके साथ ही ये हमारे देश की विविधता में एकता की भावना को भी और प्रगाढ़ करेगी।

Exit mobile version