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बर्फीले तूफान में शहीद सातों जवानों को तेजपुर वायुसेना स्टेशन पर दिया गया अंतिम सम्मान

– भारतीय सेना ने सभी जवानों के पार्थिव शरीर उनके पैतृक स्थानों को भेजे
– भारी बर्फबारी के बाद 14,500 फीट की ऊंचाई पर हुआ था हिमस्खलन

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में बर्फीले तूफान में फंसकर शहीद हुए सेना के सातों जवानों के पार्थिव शरीर शनिवार को उनके पैतृक स्थान भेज दिए गए। इससे पहले तेजपुर वायुसेना स्टेशन पर गजराज कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल रविन खोसला और अन्य सैन्य अधिकारियों ने भारतीय सेना की ओर से सभी बहादुरों को अंतिम सम्मान दिया। 14 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके में पिछले कुछ दिनों से खराब मौसम के साथ भारी बर्फबारी होने के बाद हिमस्खलन की यह घटना मैमी हट इलाके के पास हुई थी।

अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में 06 फरवरी की शाम को बर्फीले तूफान में सेना का गश्ती दल फंस गया था। पश्चिम कामेंग जिले की पुलिस के मुताबिक हिमस्खलन की यह घटना तवांग जिले के जंग पुलिस स्टेशन के तहत एलएसी के साथ जंगदा बस्ती से लगभग 35 किलोमीटर दूर के मैमी हट इलाके के पास हुई। जब सेना के इस गश्ती दल से संपर्क स्थापित नहीं हो सका तो फौरन एक एक्सपर्ट टीम क्विक रेस्पॉन्स के लिए मौके पर भेजी गई। विशेष टीमों के एयरलिफ्टिंग के साथ ही तुरंत खोज और बचाव अभियान शुरू किया गया था। भारतीय सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 19 जेएके राइफल्स के सभी सात जवानों की पार्थिव देह 08 फरवरी को बरामद की थीं।

हिमस्खलन में शहीद हुए सैनिकों में हवलदार जुगल किशोर, राइफलमैन अरुण कट्टला, अक्षय पठानिया, विशाल शर्मा, राकेश सिंह, अंकेश भारद्वाज, जीएनआर (टीए) गुरबाज सिंह हैं। सैनिकों की पार्थिव देह आगे की औपचारिकताओं के लिए हिमस्खलन स्थल से निकटतम सैन्य अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। सभी तरह की औपचारिकताएं पूरी होने के बाद सैनिकों की पार्थिव देह आज तेजपुर वायुसेना स्टेशन पर लाई गईं, जहां भारतीय सेना की ओर से गजराज कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल रविन खोसला और अन्य सैन्य अधिकारियों ने सभी बहादुरों को अंतिम सम्मान दिया। इसके बाद शहीदों की पार्थिव देह को पंजाब, हिमाचल प्रदेश, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर राज्यों में उनके मूल पैतृक स्थानों अखनूर, कठुआ, धारकलां, खुर, बाजीनाथ, कांगड़ा, घमारवीन और बटाला भेजा गया।

सेना ने यह भी कहा कि उच्च ऊंचाई पर तैनात जवान परिचालन चुनौतियों का सामना करने के लिए हाईटेक गैजेट्स, सर्विलांस ड्रोन, नाइट विजिल कैमरा, थर्मल इमेजिंग ट्रेसर, हेलीकॉप्टर, स्नो स्कूटर, हिमस्खलन डिटेक्टर का उपयोग करते हैं। 14 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके में पिछले कुछ दिनों से खराब मौसम के साथ भारी बर्फबारी हो रही थी। इस बार डारिया हिल में बर्फबारी ने 34 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यहां इससे पहले 1988 में इतनी बर्फबारी हुई थी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के रूपा शहर में दो दशक बाद बर्फबारी हुई है।

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