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दिव्यांग कलाकार ने शहनाई वादन में राज्यस्तर पर जीता प्रथम पुरस्कार

Chhapra (Aman Kumar): शादी समारोहों और शुभ कार्यों में बजने वाले सुरीले वाद्ययंत्र शहनाई को एक ओर जहां डीजे की धुन के आगे लोग भूलने लगे है. वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे है जो शहनाई के सुरों की गूंज से आज भी इस विधा को जीवंत रखने का प्रयास कर रहे हैं.

कुछ ऐसा ही प्रयास छपरा के मो० पंजतन वर्षों से करते आ रहे हैं. छपरा टुडे डॉट कॉम के अमन कुमार से बातचीत में शहर के नई बाज़ार निवासी मो० पंजतन ने बताया कि इसी वर्ष मार्च में बिस्मिल्लाह खान विशेष पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बाद भी इनमें हौसले, जूनून और प्रतिभा की कोई कमी नहीं. मो. पंजतन ने पूर्णिया में आयोजित राज्य स्तरीय युवा महोत्सव के दौरान शहनाई वादन में पूरे बिहार में प्रथम स्थान प्राप्त किया है. पिछले 10 वर्षों से शहनाई वादन में खुद को समर्पित करने वाले पंजतन ने संस्कृति को जीवंत रखने का कार्य कर रहे है.

इन्हें शहनाई वादन में कई पुरस्कार भी मिले हैं. उन्होंने सुबह-ए-बनारस, आजमगढ़ में रंग महोत्सव के कई अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अपनी शहनाई का जलवा बिखेरा है.

बताते चलें कि मो० पंजतन ने पिछले महीने नगर निगम सभागार में आयोजित जिला युवा महोत्सव में हिस्सा लिया था. जिसके बाद इनका चयन राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए किया गया था.

पीढ़ी से चली आ रही शहनाई वादन की परम्परा
मो० पंजतन के पिता मो० अख्तर भी इस विधा से जुड़े है. उन्होंने ही अपने बेटे को शुरुआत में शहनाई वादन की शिक्षा दी.

पंजतन और उनके पिता के ऐसे प्रयासों से शहनाई जैसे वाद्ययंत्र से नई पीढ़ी अवगत हो रही है. हालांकि आज जब पाश्चात्य संस्कृति हावी है ऐसे में डीजे जैसे आधुनिक संगीत यंत्रों में शहनाई गुम सी हो गयी है. इसे संरक्षित करने की जरुरत है.

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