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Special Story: ग्रामीण इलाकों के बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे

Chhapra: कोरोना वायरस को लेकर Lockdown के बाद अब अनलॉक 1 शुरू है. केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद दुकानें तो खुली लेकिन बच्चों की पढ़ाई पर अब भी संशय बरकरार है. हालांकि राज्य सरकार ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर राज्य सरकार भी चिंतित है जिसके बाद टीवी एवं कई डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पढ़ाई शुरू हो चुकी है. लेकिन इन सब के बाद भी जिले की बड़ी आबादी इनसब से अछूता है.

शहर को छोड़ अगर हम गांव के उन बच्चों की बात करें जो सरकारी विद्यालयों में पढ़ते है उनके पास इस व्यवस्था में पढ़ाई का कोई साधन नज़र नही आता. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी और देश मे जारी Lockdown के बाद पिछले शैक्षणिक सत्र में उनकी पढ़ाई जहां अधूरी छूट गयी वही इस सत्र में 2 माह बीतने के बाद तीसरा महीना चल रहा है जब उन्हें ना नई किताबो से मुलाकात हुई और ना ही सिलेबस से. ऐसे में कुछेक ने अगर किताबें हासिल भी कर ली है तो उन्हें कुछ समझ मे नही आ रहा.

राज्य सरकार ने इस महामारी में डिजिटल प्लेटफॉर्म और दूरदर्शन तथा अन्य माध्यमो से बच्चों की पढ़ाई आगे बढ़ाने का प्रयास किया. लेकिन यह व्यवस्था सिर्फ शहर और उसके आसपास के इलाकों तक सीमित है.

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के पास टीवी और मोबाइल जरूर है. लेकिन बच्चों को ना टीवी पर पढ़ाई समझ मे आ रही है और ना ही मोबाइल उनको ऑपरेट करने आ रहा है. रही सही कसर मोबाइल का नेटवर्क और बिजली की समस्या पूरी कर दे रही है. ऐसे में इन बच्चों के पास कोई रास्ता नही बचा.

भविष्य को लेकर कुछ बच्चें परेशान है तो कुछ बच्चों की इन दिनों मौज है. अभिभावक इस lockdown में रोजीरोजगार की जुगाड़ में है. देश और परदेश से आने के बाद बड़ी समस्या उन्हें जीवकोपार्जन की है.

ऐसे में इन बच्चों की सुधि लेने वाला कोई नही है. गांव के बच्चों के लिए शिक्षा का मंदिर कब खुलेगा यह किसी को पता नही.

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