Site icon | छपरा टुडे डॉट कॉम | #ChhapraToday.com

पुस्तक का हुआ विमोचन

Chhapra: हिंदी-भोजपुरी एवं उर्दू के मशहूर व मारूफ़ शायर व कवि डाॅ ऐनुल बरौलवी की चार पुस्तकों – टहलते ख़्वाब, आँखिन भादो मास, साँच जिनगी के एवं सुरुज मुट्ठी में पुस्तक का विमोचन ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी रजनीश कुमार राय ने किया. डाॅ ऐनुल बरौलवी रचित ये चारों पुस्तकें हिंदी और भोजपुरी ग़ज़ल-संग्रह हैं. पुस्तक लोकार्पण में ख़ुद शायर डाॅ० ऐनुल बरौलवी और छपरा के जाने-माने शिक्षक नदीम अहमद भी शामिल थे.

साथ ही कार्यालय के कर्मचारियों में मो० रियाज़ुद्दीन अहमद, अब्दुल जब्बार, मो० अफ़ज़ल आदि शामिल थे.

अपने विचार प्रकट करते हुए ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी रजनीश कुमार राय ने कहा कि ग़ज़ल पद्य की एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधा है. जिसे बह्र और मीटर में क़ाफ़िया और रदीफ़ के योग से कहा जाता है. आज के दौर में ग़ज़ल कहने वालों की तादाद बहुत है. इससे पता चलता है कि यह एक मशहूर काव्य – विधा है.

डाॅ० ऐनुल बरौलवी की ग़ज़लें मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं से ओत-प्रोत हैं. इनकी ग़ज़लें समाजी, सियासी, इश्क़-हक़ीक़ी, इंसानी जज़्बात ओ एहसासात से पूर्ण हैं. पहले की ग़ज़लें महबूब से गुफ़्तगू करती थीं और महलों की चारदीवारी में क़ैद थीं. लेकिन आज ग़ज़लें महलों की चारदीवारी से बाहर निकल कर आम जन-मानस की व्यथा और दर्द, मज़दूर और मज़लूम के हालात बयाँ करती हैं. डाॅ ऐनुल बरौलवी की ग़ज़लों में ये सारी ख़ूबियाँ मौज़ूद हैं. ईश्वर डाॅ ऐनुल बरौलवी को दीर्घायु करे और सतत् इनकी लेखनी चलती रहे. मैं इनको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ.

शिक्षक नदीम अहमद ने अपने विचार रखते हुए कहा कि डाॅ० ऐनुल बरौलवी साहब एक मशहूर ओ मारूफ़ अदीब ओ शायर के साथ साथ एक नेक और अच्छे इन्सान हैं. अपनी दो दो अदबी और समाजी संस्थायें चलाने के साथ ही दूसरी संस्थाओं को भी सहयोग करते रहते हैं. ये अपनी रिटायर्ड ज़िन्दगी का सही सदुपयोग कर रहे हैं। ख़ुदा इनको सलामत रखे.

Exit mobile version