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लोक आस्था का महापर्व छठ

(सुरभित दत्त सिन्हा) छठ को महापर्व कहते है. ऐसा इसलिए कि इस पर्व को कठिन साधना से करना होता है. चार दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. जिसके बाद दूसरे दिन खरना होता है और इसी के साथ शुरू हो जाता है लगातार 36 घंटों का निर्जला उपवास. बिना अन्न जल पिये व्रती पूजा करती है.

इस दौरान अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे और अंतिम दिन उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य के साथ व्रत समाप्त होता है.

मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाले छठ पूजा की छटा अब पुरे देश में देखने को मिल रही है. जो जहाँ है वही छठ पूजा करने लगा है. यहाँ तक कि अब विदेशों में रहने वाले भारतीय भी वही छठ करने लगे है.

इस महापर्व में स्वच्छता का खास ध्यान रखा जाता है. पूजा के प्रति लोगों की भक्ति, समर्पण के कारण ही इसे ‘महापर्व’ कहा गया है. छठ पूजा के दौरान धर्म, जाति की सारी दीवारे ख़त्म हो जाती है और सभी एक दूसरे की भरपूर मदद करते है. छठ पूजा की महत्ता को देखते हुए कई मुस्लिम परिवारों में भी पुरे विधि-विधान से पूजा की जाती है.

छठ पूजा के गीतों से वातावरण भक्तिमय हो जाता है. इन गीतों की विशेष धुन सभी को छठ की याद दिलाती है. दूर देश-प्रदेश में रहने वाले लोग इस महापर्व को मनाने अपने घर पहुंचते है.

“उम्मीद है आप भी महापर्व छठ पर अपने घर पहुँच चुके होंगे और पूजा में शामिल हो रहे होंगे.”

 

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