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जयंती विशेष: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्रशेखर आजाद

 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव में हुआ। पिता पंडित सीताराम तिवारी और माता जगरानी देवी के पुत्र चंद्रशेखर ने 1920-21 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और गिरफ्तार होकर जज के समक्ष प्रस्तुत किये जाने पर अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और जेल को निवास बताया।

चंद्रशेखर आजाद ने वचन दिया था कि ब्रिटिश पुलिस उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं कर सकेगी, वे एक मुक्त व्यक्ति के रूप में मौत को गले लगाएंगे। उन्होंने 1925 में महान क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी कांड में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। काकोरी कांड के बाद चंद्रशेखर आजाद ने 1928 में क्रांतिकारियों के साथ मिलकर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का दोबारा गठन किया। 1928 में ही चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और राजगुरु ने लाहौर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय को घेर लिया और अंगरक्षकों के साथ निकले जेपी साण्डर्स को राजगुरु ने पहली गोली मारी और उसके बाद भगत सिंह ने कई गोलियां दागकर साण्डर्स को खत्म कर दिया। अंगरक्षकों ने जब इनका पीछा किया तो आजाद ने उन्हें भी गोली मार दी।

आजाद ब्रिटिश पुलिस के लिए भय का नाम बन चुके थे और पुलिस उन्हें हर हाल में पकड़ना चाहती थी- जिंदा या मुर्दा। 27 फरवरी 1931 को अपने साथियों के धोखे के कारण चंद्रशेखर आजाद अल्फ्रेड पार्क में पुलिस द्वारा घेर लिये गए। चंद्रशेखर आजाद ने अकेले ही इन पुलिसकर्मियों का बहादुरी से मुकाबला किया और तीन ब्रिटिश पुलिसकर्मियों को मार गिराया। पुलिस के घेरे से बच निकलने का जब कोई रास्ता नहीं बचा तो चंद्रशेखर आजाद ने स्वयं को गोली मार ली। उन्होंने ब्रिटिश पुलिस के हाथों कभी नहीं पकड़े जाने का अपना संकल्प पूरा किया।

 

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