सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर पुरुषों के कदम से कदम मिलकर चलने में आज महिलाएं पीछे नहीं है. हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपने कुशल नेतृत्व और बेहतर प्रबंधन के माध्यम से एक मिशाल पेश की है. समाज को इन महिलाओं से प्रेरणा मिल रही है.
महिलाएं 21 वीं सदी में लगातार नये शिखर छू रही हैं. ऐसी महिलाएं ही दुनिया की आधी आबादी के लिए नयी राहें बना रही हैं. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें सलाम किया जाना चाहिए. कोई भी देश तभी विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है जब वहां की महिलाएं पढ़ी लिखी हो और सामाजिक और राजनैतिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हो.
महिला अपने कई स्वरुप से समाज का निर्माण करती है. माँ के रूप में हो या फिर बहन या पत्नी के रूप में. शास्त्रों में भी कहा गया है कि “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता” महिलाएं हरेक रूप को पूरी तरह से निभाती आ रही रही है. एक बेटी, एक माँ, एक बहन, एक पत्नी सभी रूपों में उसने अपना कर्तव्य पूरा किया है और कर रही है. उसका हर रूप पूजनीय है, अनुशंसनीय है, अनुकरणीय है.
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