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Twitter पर ट्रेंड होती भारतीय राजनीति और सोशल मीडिया पर चढ़ता सियासी रंग

(कबीर अहमद)

आजकल राजनीति और सियासी गलियारे भी सोशल मीडिया से अछूते नहीं रह पाए हैं. सोशल मीडिया पर भी सियासी और राजनीतिक रंग चढ़ चुका है.
पिछले कुछ वर्षों में राजनेता Twitter पर ट्रेंड हो जाने को अपनी बड़ी उपलब्धि मानाने लगे है. शायद, उन्हें ये पता नही कि इस वर्ग से हट कर कोई और भी दूसरा वर्ग है जो इन्हें वोट देता है.

देश के राजनेता जितना Twitter पर सक्रिय है उतना अगर अपने काम के प्रति या फिर अपने क्षेत्र को लेकर चिंतित होते तो देश की जनता ने भारत को ‘सोने की चिड़िया’ बनने का जो सपना संजोय रखा है वो साकार होता दिखता. नेता जितनी तेज़ी से अपनी गतिविधियों और विपक्ष पर हमला करने के लिए सोशल मीडिया पर एक्टिव होते हैं अगर उतनी ही तन्मयता और तत्परता से जनता की आवाज़ को सुनते और उनकी आवाज़ बनते तो देश आगे बढ़ता दिखता.


ऐसा लगाने लगा है, देश के राजनेता राजनीति करने लिए Twitter को अपना अड्डा बना लिया है. आपने शीत युद्ध और गृह युद्ध तो आपने सुना होगा लेकिन अब एक नया युद्ध भारत की राजनीति में आया है वो है Twitter युद्ध. शायद महीने का कोई ही ऐसा सप्ताह नही होगा जिस सप्ताह में दोनों राजनेताओं के बीच ये नया युद्ध Twitter युद्ध देखने को ना मिले.

तय आपको करना है कि कौन-सा नेता आपका प्रतिनिधित्व करें वो नेता जो ड्राइंग रूम में बैठकर एक Tweet से अपना पल्ला झाड़ लेते हैं या फिर वो नेता जो समाज में जुड़कर देश और देशवासियों की सेवा करता है.

लेखक की अपनी राय है. 

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