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World Day Against Child Labour: बाल श्रम रोके, बचपन को बचाये

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस प्रत्येक वर्ष 12 जून को मनाया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा बाल श्रम के उन्मूलन हेतु वैश्विक स्तर पर 12 जून 2002 से मनाने की प्रक्रिया का शुभारम्भ किया गया. इस साल का थीम है, Children shouldn’t work in fields, but on dreams!

श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने तथा बाल श्रम के पूर्ण उन्मूलन में सहयोग करने के प्रयास के क्रम में पूरे विश्व में सरकार, नियोक्ता, श्रमिक संगठन, सामाजिक नागरिक आदि इस दिशा में चिंतन करते हुए एक साथ प्रयास करने की कोशिश करते हैं.

हमारे समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो किसी बच्चे को अच्छे खाने की चीजों की लालच देकर या अच्छे कपड़े देने का लालच देकर अपने घरों के सारे काम करवाते हैं. कोई छोटे बच्चे के अभिभावक को यह कहकर फुसला देता हैं कि अपने बच्चे को मेरे पास भेजो हम उसे अच्छी शिक्षा देने और बच्चे इसी लालच में गांव से शहर का जाते हैं. और उस बच्चे को शहर लाकर उसके साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं. इससे बच्चे तथा उसके अभिभावक दोनों के सपने टूटते ही नहीं बिखर जाते है और बच्चे की जिंदगी ऐसे मोड़ पर आ जाती हैं कि बच्चा ना तो शारीरिक रूप से कोई कार्य करने में सक्षम रह पाता हैं और ना ही मानसिक रूप से.

सरकार बाल श्रम मुक्ति के लिए अभियान चलाती रहती हैं लेकिन वो धरातल पर सफल होती नहीं दिख रही हैं. होटलों तथा दुकानों में आसानी तो आसानी से बाल मजदूर दिख जाते हैं. जिला प्रशासन उन्हें श्रम से मुक्त कराकर बाल सुधार गृह पहुंचा देता हैं. लेकिन जो बच्चे लोगों के घरों में काम करते हैं उसकी जानकारी किसी को नहीं होती हैं. जो बच्चे अपने माता पिता से बिछड़ जाते हैं उन्हीं बच्चों को होटलों तथा दुकानों में रखकर उनसे बाल मजदूरी करवाते हैं.

बाल मजदूरी के विरोध तथा लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के नियत से प्रत्येक 12 जून को बाल श्रम निषेध के रूप में मनाया जाता हैं.

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