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यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य पर कार्यशाला का आयोजन, एमपीटी एक्ट पर हुई चर्चा

• स्थानीय स्तर पर कार्य करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों का किया गया उन्मुखीकरण
• परिवार नियोजन को अपनाने के लिए आपस में चर्चा करें पति-पत्नी

Chhapra: अनचाहे गर्भधारण के कारण महिलाएं मानसिक रूप से तनाव में रहती हैं। दंपति द्वारा परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों के इस्तेमाल नहीं किये जाने के कारण ऐसा होना आम बात है। इसलिए दंपति को परिवार नियोजन के आधुनिक साधनों का इस्तेमाल करना चाहिए तथा संतान के लिए मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार होना जरूरी है। यह जरूरी है कि पति पत्नी संतानोपत्ति के लिए आपस में बात करें। यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर आई पास डेवलपमेन्ट फाउंडेशन के सौजन्य से समाजसेवी संस्था विकास विहार द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में वक्ताओं ने यह बातें कहीं। महिलाओं व किशोरियों के स्वास्थ्य पर जमीनी स्तर (ग्रासरूट लेवल) पर काम कर रही संस्थाओं के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस दौरान प्रतिभागियों को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला के दौरान बताया गया कि सुरक्षित गर्भ समापन पर आशा, एएनएम एवं आंगनबाड़ी सेविकाओं का उन्मुखीकरण किया जा चुका है। अभी तक जिले की एएनएम, आशा ,जीविका दीदी का इस विषय पर उन्मुखीकरण किया जा चुका है। कार्यशाला के दौरान विकास बिहार के अभि रंजन ने उपस्थित प्रतिभागियों को विषय वस्तु से अवगत कराया कराते हुए बताया साँझा प्रयास एक नेटवर्क है जो जिले में स्थानीय संस्था के साथ (एसआरएचआर) यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार,परिवार नियोजन एवं सुरक्षित गर्भपात पर कार्य कर रहा है।
20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध
आईपास डेवलपमेन्ट फाउंडेशन के प्रतिनिधि राजीव कुमार ने उपस्थित प्रतिभागियों को एमटीपी एक्ट की जानकारी देते हुए बताया 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है। लेकिन 12 सप्ताह के अंदर एक प्रशिक्षित डॉक्टर एवं 12 सप्ताह से ऊपर तथा 20 सप्ताह के अंदर तक में दो प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में होनी चाहिये। इस दौरान परिस्थिति क्या होनी चाहिए पर विस्तार से चर्चा की गई। साथ ही माहवारी के समय साफ सफाई के संबंध में भी जानकारी दी गयी। उन्होंने सभी संस्था के प्रतिनिधि से आग्रह किया की आप अपने कार्य क्षेत्र में भी इस बिषय पर चर्चा कीजिये ताकि असुरक्षित गर्भपात से होने वाली महिलाओं की मृत्यु एवं मातृ मृत्यु दर कम हो सके।
8% सरकारी संस्थानों में होता है गर्भपात
राजीव ने बताया राज्य में हर वर्ष 12.5 लाख गर्भपात के केस सामने आते हैं और इनमे मात्र 8% सरकारी संस्थानों में कराये जाते हैं। देश में मातृ मृत्यु दर का 8 प्रतिशत आंकड़ा असुरक्षित गर्भपात के कारण दर्ज किया जाता है। वीभीएचए के वरिष्ठ कार्यक्रम पदाधिकारी खुर्शीद एकराम अंसारी ने बताया कि 16 एनजीओ को सांझा प्रयास नेटवर्क से जोड़ा गया। कार्यक्रम के अंत में सांझा प्रयास नेटवर्क के अन्तर्गत ‘हम महिलाओं के प्रजनन, स्वास्थ्य एवं सुरक्षित गर्भपात संबंधित अधिकारों का समर्थन करते हैं’ स्लोगन के तहत हस्ताक्षर अभियान चलाया गया|

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