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“पुआल कुड़ा नही, खेती का गहना है इसे जलाना नही, मिलाना है’’

फसल अवशेष प्रबंधन से बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति

Chhapra:  जिलाधिकारी सारण राजेश मीणा के द्वारा दिये गये निर्देश के आलोक में जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा किसानों के बीच फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी उपलब्ध कराते हुए बताया गया कि फसल अवशेष के सही प्रबंधन से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। जिससे किसानों के पैदावार में वृद्धि होती है।
जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि फसल अवशेष जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणू, केंचुआ आदि मर जाते है। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से ही हमारे मिट्टी में कम है, जलकर नष्ट हो जातेे है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि एक टन पुआल जलाने से 3 किलोग्राम मार्टिकुलेट मैटर, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साईड, 1460 किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साईड, 190 किलोग्राम राख, 2 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साईड उत्सर्जित होता है। इसके साथ ही मानव स्वास्थ्य को साँस लेने में तकलीफ, आँखों में जलन, नाक और गले की समस्या भी आ सकती है।
एक टन पुआल को मिट्टी में मिलान कर उसका प्रबंधन किया जाय तो 20 से 30 किलोग्राम नाईट्रोजन, 60 से 100 किलोग्राम पोटाश, 5 से 7 किलोग्राम सल्फर के साथ 600 किलोग्राम ऑर्गैनिक कार्बन प्राप्त होता है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और किसान का पैदावार भी बढ़ जाता है। जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा जिले के सभी किसानों से आह्वान करते हुए कहा गया है कि सभी किसान भाई पुआल का प्रबंधन करें तथा लाभ उठावें। उन्होंने कहा कि पुआल का प्रबंधन करने के लिए उपयोगी कृषि यंत्र का प्रयोग करें। इसके लिए स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड-कम फर्टिलाईजर ड्रिल, रीपर-कम-बाईडर, स्ट्रों रीपर एवं रोटरी मल्चर का उपयोग किया जा सकता है।
इन यंत्रों पर सरकार के द्वारा अनुदान की राशि बढ़ा दी गयी है। ’’पुआल कुड़ा नही, खेती का गहना है इसे जलाना नही, मिलाना है’’

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