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नौनिहालों के जीवन को सुरक्षित करने में आदर्श टीकाकरण केंद्र की भूमिका महत्वपूर्ण

• सदर अस्पताल में विकसित मॉडल टीकाकरण केंद्र शिशुओं के लिए बन रहा वारदान
• प्रतिदिन 100 से 130 बच्चों का होता है टीकाकरण
• कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए शिशुओं और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण जरूरी
• नियमित टीकाकरण को सुदृढ़ करने के लिए विभाग ने की पहल
Chhapra: मातृ- शिशु स्वास्थ्य को सुदृढ करने का प्रयास स्वास्थ्य विभाग के द्वारा किया जा रहा है। सुविधाओं को गुणवत्तापूर्ण बनाने की पहल की जा रही है। हर दिन स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है। अब सदर अस्पताल में मॉडल टीकाकरण केंद्र बनाया गया है। सदर अस्पताल का मॉडल टीकाकरण केंद्र शिशुओं के जीवन को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। यहां पर प्रतिदिन 100 से 130 बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है। कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए नौनिहालों को टीका दिया जा रहा है। इसके साथ हीं गर्भवती महिलाओं का भी टीकाकरण किया जा रहा है। मॉडल टीकाकरण केंद्र बन जाने से अब निजी अस्पतालों से लोगों का मोह भंग हो रहा है। यहां तक की निजी अस्पतालों में भी किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसे परिजन टीकाकरण के लिए यहीं लेकर आते हैं।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है टीकाकरण केंद्र
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. चंदेश्वर सिंह ने बताया कि टीकाकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के मकसद से मॉडल टीकाकरण केंद्र का निर्माण किया गया है। केंद्र में बच्चों के मनोरंजन का भी ख्याल रखा गया है । बच्चों को खेलने के लिए आवश्यक खिलौने भी रखे गये हैं| जो बच्चों के लिए मनोरंजक माहौल भी पैदा कर रहा है।
सरकारी अस्पताल की ओर बढ़ रहे कदम
यूनिसेफ की जिला समन्वयक आरती त्रिपाठी ने बताया कि इससे सरकारी केंद्रों में टीकाकरण कराने से परहेज करने वाले इसके प्रति आकर्षित हो रहे हैं । स्वच्छ एवं बेहतर वातावरण में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है । इन केंद्रों में बच्चों को सुलाने, समुचित प्रकाश की व्यवस्था, टीकाकरण कराने के लिए आने वाली माताओं तथा अभिभावकों के बैठने की व्यवस्था की गयी है। कर्मियों के बैठने की व्यवस्था के अलावा वैक्सीन के रख-रखाव की समुचित व्यवस्था की गयी है और आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है।

मेरी बेटी का जन्म निजी अस्पताल में हुआ, लेकिन टीका यहीं दिलाते हैं
अपनी बेटी का टीकाकरण कराने आयी शहर के सलेमपुर निवासी संगीता देवी ने बताया कि उनकी बेटी का जन्म एक निजी अस्पताल में हुआ था। लेकिन टीकाकरण सदर अस्पताल में हीं कराया गया। यहां पर पहले की तुलना में व्यवस्था काफी अच्छी हुई है। बैठने के लिए सोफा और बेड की व्यवस्था की गयी है। इसके साथ हीं साफ-सफाई भी काफी बेहतर है।
कोरोना काल में निरंतर मिली सेवा
सिविल सर्जन डॉ. जेपी सुकुमार ने बताया कि कोरोना काल में तमाम चुनौतियों के बावजूद शिशुओं के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखा गया। नियमित टीकाकरण को बाधित नहीं होने दिया गया। इस मॉडल टीकाकरण केंद्र में निरंतर लोगों को सेवा मिलती रही है। टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने में मॉडल केंद्र काफी सहायक सिद्ध हो रहा है।

शहरी क्षेत्र के टीकाकरण का आंकड़ा

• अप्रैल- 2263
• मई- 1753
• जून- 1779
• जुलाई- 2024
• अगस्त-2240
• सितंबर- 2750
• अक्टूबर- 2482

यह जानना जरूरी कि कौन सा टीका कब लगेगा
• बीसीजी:जन्म के समय
• हेपेटाइटिस बी: जन्म के समय
• ओपीवी: 6,10, 14 सप्ताह पर
• डीपीटी: 6,10, 14 सप्ताह पर
• हेपेटाइटिस बी: 6 सप्ताह, 10 सप्ताह 14 सप्ताह पर
• खसरा विटामिन ए: 9 माह पर
• डीपीटी बूस्टर: 16 से 24 माह पर
• खसरा (दूसरी खुराक):16 से 24 माह पर
• ओपीवी बूस्टर: 16 से 24 माह पर
• जापानी एंसीफलाइटिस:16 से 24 माह पर
• विटामिन ए:16 माह, इसके बाद हर छह माह के अंतराल से 5 वर्ष तक एक खुराक
• डीपीटी बूस्टर: 5 से 6 वर्ष

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