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विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना: राजीव रंजन प्रसाद

Patna: ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) ने गो ग्रीन अभियान के तहत विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। गो ग्रीन अभियान की शुरूआत जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन के मार्गदर्शन में समाज में जागरूकता लाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि धरा नहीं, तो सब धरा रह जायेगा। “गो ग्रीन” का अर्थ है, पर्यावरण के ज्ञान और प्रथाओं को आगे बढ़ाना, जो पर्यावरण के अनुकूल और पारिस्थितिक रूप से जिम्मेदार निर्णय और जीवन शैली का नेतृत्व कर सकते हैं, जो पर्यावरण की रक्षा करने और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपने प्राकृतिक संसाधनों को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना है।हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम अपने पर्यावरण की रक्षा करें और पेड़- पौधे काटने से बचें।

जीकेसी बिहार की अध्यक्ष और गो ग्रीन अभियान की राष्ट्रीय प्रभारी डा.नम्रता आनंद ने कहा कि पर्यावरण ही जीवन है, गो ग्रीन अभियान एवं जल जीवन हरियाली का हम समर्थन करते हैं, जब ऑक्सीजन होगा तो ही हम लोग जिएंगे ।
कला-संस्कृति प्रकोष्ट की राष्ट्रीय सचिव सह गो ग्रीन अभियान की राष्ट्रीय प्रभारी श्रीमती श्वेता सुमन ने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए , वर्तमान संकट से उबरने एवं भविष्य को संजोने के लिए” गो ग्रीन “अभियान की शुरुआत की गई है जो बहुत ही अनुकरणीय है।

जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव रूचिता सिन्हा ने कहा आज दिल्ली, मुम्बई जैसे शहरों मे रहते हुए भी जो पर्याप्त जगह है , उसी मे पौधों को लगाने के साथ साथ प्लास्टिक के यूज्ड बोतलों को रियूज करके ना सिर्फ अपने मनपसंद के खूबसूरत पौट्स बनाया गया हैं, बल्कि पैसे का बचत भी किया गया है और पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाव किया है।अतः आप सभी से भी निवेदन करती हूँ कि आप भी प्लास्टिक के बोतलों को रियूज करके अपने मनपसंद के पौट्स बनाएं और उसमें पौधे लगाएं तथा पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने मे सहयोग करें।

जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष नीना मंदिलवार ने कहा आज धरती त्राहिमाम के कगार पर पहुँच गई है। हम आज तक प्रकृति से लेते ही तो आये है,सूर्य की रौशनी, बारिश का पानी, सबसे जरूरी आक्सीजन, जो हमे पेड़-पौधों से मिलता रहा। अब हमारी बारी है,इन्हें शुक्रिया कहने की,संरक्षण करने की। गो ग्रीन अभियान के तहत सभी को अपनी भागीदारी पूरी आस्था के साथ निभानी होगी।

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