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शिल्पी पोखरा : महीनों से ठप्प है जीर्णोधार कार्य, कोई सुधि लेने वाला नही

Chhapra: छपरा शहर के सबसे पुराने शिल्पी पोखरा जीर्णोद्धार की खबर ने आसपास सहित शहर के लोगो मे एक अलग ही जिज्ञासा को जागृत किया था. लंबे अर्से बाद शिल्पी पोखरा के जीर्णोद्धार का काम प्रारंभ भी हुआ लोगो को लगा कि अब विकास की बयार बहेगी. शहर के लोगो को एक नया स्थल मिलेगा जहाँ वह अपने परिवार बच्चों के साथ कुछ समय बिताने का प्रयास करेंगे. काम भी तेजी से होने लगा. लेकिन अचानक जीर्णोधार के लिए चयनित कंपनी के ढुल मूल रवैये से शहरवासियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. आलम यह है कि अब शिल्पी पोखरा के जीर्णोद्धार का कार्य विगत करीब एक महीने से बंद पड़ा है. इसकी सुधि लेने वाला कोई नही है.

जल जीवन हरियाली के तहत हो रहा है शिल्पी पोखरा का जीर्णोद्धार

सूबे में जल जीवन हरियाली योजना चलाई जा रही है जिसमे पुराने जलाशयों का जीर्णोद्धार कर जल संचय किया जाना है. शिल्पी पोखरा का जीर्णोद्धार भी इसी तर्ज पर किया जा रहा है. जिसमे जल संचय किया जा सके लेकिन इसके साथ साथ शहरवासियों के लिए शिल्पी पोखरा के चारो तरफ टहलने के लिए ट्रैक, बैठने की कुर्सी सहित पूरे पोखरा का शौन्दर्यीकरण किया जाना है. विगत दिनों जिलाधिकारी के प्रयास के बाद इसके जीर्णोद्धार का कार्य तेजी से प्रारंभ हुआ. जिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आगमन था तो कार्य और भी तेजी से चल रहा था. आलम यह था कि अतिक्रमण हटाया गया, प्रतिदिन पोखरा की सफाई की जा रही थी और नाला का निर्माण हुआ. बुडको द्वारा किये गए इस काम को देखकर शहरवासियों को उम्मीद थी कि यह काम तेजी से और अच्छे ढंग से हो रहा है. लेकिन कुछ ही दिन में इसकी हवा निकल गयी.पोखर के आसपास बनाई गई नाली निर्माण के एक महीने बाद टूट चुकी है. निर्माण कंपनी कहा है किसी को पता नही. काम पूरी तरह से ठप्प है. धीरे धीरे एक बार फिर शिल्पी पोखरा के समीप अतिक्रमण पैर जमा रहा है. पूर्व की तरह गाडियों का जमावड़ा भी शुरू हो गया है. लोगों ने यह मान लिया है कि शहर में विकास सिर्फ दिखावे के लिए शुरू हुआ था.आसपास के लोगो का कहना है कि निर्माण कंपनी का कहना है कि पानी निकासी की व्यवस्था नही होने से काम को बंद कर दिया गया है. जब तक पोखर से पानी नही निकलता है तबतक काम बंद रहेगा. लोगो का कहना है कि जब जीर्णोधार की जिम्मेवारी मिली तो पोखरा से पानी भी कंपनी को ही निकालना है लेकिन कंपनी का यह जवाब लूटखसोट को दर्शाता है.बहरहाल जिला प्रशासन की नजर इस तरफ़ नही पड़ रही है. विकास की रफ्तार की ना समीक्षा हो रही है और ना ही गुणवत्ता का मूल्यांकन.

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