Chhapra: चांद का दीदार होते ही मुस्लिम समुदाय का एक महीना तक चलने वाला पवित्र रोजा का आगाज हो गया. चेतना और जागरूकता के महापर्व को लेकर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उल्लास और उमंग का वातावरण है. चांद दिखते ही तरावीह भी शुरू हो गई है. शहर के सभी मस्जिदों के अलावा कुछ अन्य स्थानों पर भी तरावीह की नमाज हो रही है.
दो साल के बाद यह पहला मौका है, जब लोग मस्जिदों में बगैर किसी बंदिश का नमाज व तराहवी पढ़ रहे हैं. कोरोना की वजह से दो साल तक सीमित लोगों को ही नमाज पढ़ने की इजाजत थी. रोजा की अहमियत बहुत बड़ी है. रोजा सीधे तौर पर अल्लाह के साथ बंदों के रिश्तों को न सिर्फ जोड़ता है, बल्कि और मजबूत भी करता है. इसलिए रोजा की पाबंदी करनी चाहिए. हर बालिग मुस्लिम पुरुष और महिला को इसका एहतेराम करना चाहिए.
साल के सभी महीनों में सबसे अफजल रमजान का महीना है. रमजान के महीना में अल्ला ताआला रहमतों और बरकतों की बरसात करते हैं.