प्रभात किरण हिमांशु
सृजन का नियमन ही पंचांग है. सम्पूर्ण ब्रम्हांड की दिनचर्या सुगमता से जनमानस तक उपलब्ध हो जाए,इसके लिए पंचांग अति आवश्यक है. ‘तिथि वारं च नक्षत्रं योगम् करण मेव च’ अर्थात पंचांग के माध्यम से सम्पूर्ण ग्रह-गोचर दृष्टि गोचर होने लगता है.
हमारे यहाँ कई प्रकार के पंचांग हैं. जिस कारण कई बार तिथियों और काल गणना को लेकर बुद्धिजीवीयों की बौद्धिक अहंता आपस में जोर-आजमाइश करने लगती है और व्रतोत्सव एवं पर्व त्यौहार की तिथि बंटने लगती है. वैदिक और दैविक ब्राम्हणों में देव-दर्शन करने वाली आँखे दोष-दर्शन करने को विवश हो जाती हैं.
दोष दर्शन की इस विवशता को दूर करने के लिए छपरा (सारण) जिला के 51 सिद्ध आचार्यगणों के परामर्श से ‘श्री महेन्द्रनाथ पंचांग’ का प्रकाशन किया गया है. इस पंचांग को देखना आम व्यक्ति के लिए काफी सरल है. पंचांग में व्रत-त्यौहार एवं विवाह आदि तिथियों को लेकर कोई मतभेद नहीं है. यह पंचांग हर व्यक्ति के लिए काफी सहज और सरल है.
इस पंचांग के प्रकाशन हेतु सारण के प्रसिद्ध महेन्द्रनाथ मंदिर (मेहदार) के प्रांगण में प्रबुद्ध आचार्यों की एक बैठक की गई जिसमे सबने अपने विचार रखे. सभी सिद्ध पंडितों के मतानुसार इस पंचांग का प्रकाशन किया गया है.
महेन्द्रनाथ पंचांग के प्रकाशक अविनाश चंद्र उपाध्याय ने पंचांग को तैयार और प्रकाशित कराने में अहम भूमिका निभाई है. इन्होंने सारण प्रमंडल के सभी आचार्यगणों को एकत्रित कर पंचांग का स्वरुप तैयार कराने का आग्रह किया. अविनाश चंद्र के पहल से ही इस सहज पंचांग का प्रकाशन संभव हो पाया है. अविनाश चंद्र उपाध्याय महेंद्र नाथ मंदिर से 2 किलोमीटर पूर्व पकवाइनार (रसूलपुर) के निवासी हैं. इसके पूर्व भी इन्होंने कई सामजिक और धार्मिक कार्यों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.