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सही तरीके से फसल अवशेष प्रबंधन करने से बढ़ेगी खेतों की पैदावार: जिलाधिकारी

Chhapra: समाहरणालय सभागार में आयोजित कृषि विभाग की फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित जिला स्तरीय अंतर्विभागीय कार्य समूह की बैठक को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी राजेश मीणा के द्वारा कहा गया कि फसल अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान की जानकारी व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाकर किसानों को दें. इसके अलावा प्रशिक्षण एवं किसान चैपाल के माध्यम से किसानों को जागरूक करे. ताकि किसान फसल अवशेषों का समायोजन सही तरीके से कर सके और उसका फायदा किसानों को हो और उससे खेतों की उपज बढायी जा सके.

जिला कृषि पदाधिकारी सारण के द्वारा प्रजेंटेशन के माध्यम से किसानों की ज्ञानवर्द्धन के लिए चलाई जा रही कार्यक्रमों की जानकारी दी गयी. जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि जिला में 25 अक्टूबर से 09 नवम्बर 2021 तक प्रखंड स्तरीय रबी कर्मशाला-सह-प्रशिक्षण एवं किसान चैपाल का आयोजन निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चलाई जा रही है. इस कार्यशाला से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन, रबी की जुताई बुआई एवं खेती से संबंधित अन्य जानकारी प्राप्त हो रही है जिससे जिला के किसान लाभान्वित भी हो रहे है. किसानों के बीच ऐसी मान्यता है कि फसल अवशेष जैसे पुआल, भूसा, खुँटी आदि को खेतो में जलाने से खरपतवार एवं कीड़ों को खत्म किया जा सकता है लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर सच तो यह है कि इस क्रिया से नुकसान ज्यादा होता है. फसल अवशेष जलाने से मिट्टी के पोषक तत्वों की क्षति होती है. मिट्टी की कार्बनिक पदार्थ की क्षति होती है. जमीन में पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणुओं का सफाया होता है. फसल अवशेष जलाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है एवं एरोसाॅल के कण निकलते हैं जो वायू को भी प्रदूषित करते है. एक टन पुआल जलाने से 3 किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड, 2 किलोग्राम सल्फर डाइऑक्साइड, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोआक्साइड एवं 199 किलोग्राम राख निकलता है जो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है जिससे इंसान को सांस लेने में समस्या, आँखों में जलन, नाक की समस्या और गले की समस्या हो सकती है.

जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि पुआल को खेतों में जलाने के बजाय अगर उसे मिट्टी में मिलान किया जाय तो किसानों को लाभ प्राप्त होगा. उनके द्वारा बताया गया कि अगर एक टन पुआल जमीन में मिलाया जाता है तो 10 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 से 40 किलोग्राम पोटाश, 5 से 7 किलोग्राम सल्फर एवं 600 से 800 किलोग्राम आर्गेनिक कार्बन प्राप्त होता है जो खेतों को और उपजाऊ बनाता है. उन्होंने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन हेतु रीपर-कम-बाईडर, स्ट्राॅ बेलर, हैप्पी सीडर एवं रोटरी मल्चर आदि कई मशीनों को उपयोग किया जाता है.

जिलाधिकारी के द्वारा जिला कृषि पदाधिकारी को प्रशिक्षण एवं किसान चौपाल के माध्यम से किसानों की बीच फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी देने के साथ-साथ किसानों को नई मशीनरी के उपयोग के विषय में भी जानकारी देने का निर्देश दिया गया.जिलाधिकारी के द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी जीविका दीदी, मनरेगा कार्यकत्ताओं के माध्यम से, समय-समय पर समाचार पत्रों के माध्यम से, लघु वृत चित्र बनाकर किसानों की बीच दिखाने एवं विभिन्न प्रचार-प्रसार तंत्र के माध्यम से प्रचार-प्रसार करने का निदेष जिला कृषि पदाधिकारी को दिया गया.

जिलाधिकारी के द्वारा बताया गया कि खेतों में फसल अवशेष को जलाने वाले कृषकों के विरुद्ध कृषि विभाग के द्वारा कड़े दण्ड को देने का प्रावधान किया गया है. वैसे सभी किसान परिवार जिनके किसी भी सदस्य द्वारा यदि फसल अवशेष जलाया जाता है तो उस किसान के सभी सदस्यों की कृषि विभाग की योजनाओं से वंचित करने का निर्णय लेते हुए किसान के पंजीकरण को 3 वर्ष तक बाधित किया जायगा और ऐसे किसान जिनका पंजीकरण डीबीटी पोर्टल पर नही है और उनके द्वारा फसल अवशेष जलाया जाता है ऐसे किसानों को कृषि विभाग के सभी योजनाओं से वंचित रखते हुए उनके विरुद्ध विशेष परिस्थिति में प्राथमिकी दर्ज कराया जायगा.

बैठक में जिलाधिकारी के साथ उप विकास आयुक्त अमित कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला जन-सम्पर्क पदाधिकारी एवं जिला स्तरीय अंतर्विभागीय कार्य समूह से संबंधित विभागों के पदाधिकारी उपस्थित थे.

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