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स्कूलों में राष्ट्रपिता को किया गया याद और लाल बहादुर शास्त्री को भूल गए

Chhapra: 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती बेशक यही सबकी जुबान पर रहता है कि आज राष्ट्रपिता की जयंती है. शहर से लेकर गांव तक शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा विभाग के प्रशासनिक निर्देशो को पालन करते हुए छूट्टी में भी विद्यालय खोलकर महात्मा गांधी की जयन्ती मनाई गई. लेकिन यह अफसोस है राष्ट्रपिता के जन्मदिन के दिन यानी 2 अक्टूबर को ही जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को लोग भूल गए.

किताबो में भले ही लाल बहादुर शास्त्री की जीवन कथा उनकी बहादुरी की पढ़ाई विद्यालयों में की जाती हो, बच्चो को उनके जीवन आदर्श पर चलने की बात भी बताई जाती हो लेकिन जयंती पर उन्हें एक फूल भी उसी विद्यालयों में नसीब नही हुआ.

हालांकि यह गलती विद्यालय की नही है बल्कि वहाँ रहने वाले शिक्षको की हो सकती है पर दोष हम उनको भी नही दे सकते है. उन्होंने तो प्रशासनिक पत्र के निर्देश का पालन किया. वह भी सिर्फ राष्ट्रपिता को याद कर अपनी ड्यूटी बजाते हुए चले गए.

शिक्षा विभाग ने विगत दिनों एक पत्र जारी करते हुए सूबे के सभी विद्यालयों में राष्ट्रपिता की जयन्ती मनाने का निर्देश दिया था. बच्चो में महात्मा गांधी के विचार, जीवन दर्शन और किये कार्यो को लेकर विद्यालयों में बताने का निर्देश था, लेकिन उसी पत्र में लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन मनाने का जिक्र करना भूल गए.

आलम यह हुआ कि गांधी जयंती ओर महात्मा गांधी पर चर्चा परिचर्चा का आयोजन किया गया. बतौर कार्यक्रम का आयोजन कर सभी विद्यालयों में शत-प्रतिशत शिक्षको और बच्चो की उपस्थिति भी छुट्टी में हुई, तस्वीर पर फूल-माला भी चढ़ा. लेकिन उसी दिन जन्मे लाल बहादुर शास्त्री को ना याद किया गया ना एक पुष्प अर्पित किया गया.

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