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इप्टा के सदस्यों ने किया नवनिर्वाचित विधान पार्षद का अभिनन्दन

छपरा: किसी संस्था या संगठन के 75 साल उसकी जीवंतता का ऐकांतिक प्रमाण होता है और गर्व इस बात कि 25 मई को भारतीय जननाटय संघ राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थापना के 74 वर्ष पूरे कर 75 वें वर्ष में प्रवेश करने जा रही है. आम आदमी को अपनी कला का नायक बनाने वाली इप्टा अपनी शानदार यात्रा के लंबे वर्षों में जन सांस्कतिक आंदोलन बन चुकी है. उक्त बातें विधान पार्षद प्रो वीरेन्द्र नारायण यादव ने शनिवार को इप्टा कर्मियों द्वारा अपने अभिनन्दन के पश्चात बैठक में कहीं.

इप्टा अध्यक्ष प्रो0 यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में तय किया गया कि 25 मई को इप्टा स्थापना दिवस सह जनसंस्कृति दिवस पर छपरा शाखा द्वारा ‘समय संवाद’ का आयोजन किया जाएगा. जिसके तहत जनक यादव पुस्तकालय में समय के साथ संवाद करती कविताओं का पाठ सूबे के नामचीन कवि- शायरों द्वारा किया जाएगा तो वहीं समय की एक बड़ी त्रासदी प्राकृतिक असंतुलन के मद्देनज़र लोगों को वृक्षों के संरक्षण हेतु प्रेरित करते हुए पेड़ लगाने की शपथ भी दिलाई जाएगी और पौधे वितरित किए जाएंगे. साथ ही इप्टा बैंड द्वारा जनगीतों/ इप्टा गीतों की प्रस्तुति भी की जाएगी.

बिहार इप्टा सचिव मंडल सदस्य सह छपरा सचिव अमित रंजन ने बताया कि इप्टा की स्थापना के 75 वें वर्ष पर चार दिवसीय इप्टा प्लैटिनम जुबली राष्टीय समारोह का आयोजन राजधानी पटना में किया जाएगा. जिसमें देश भर से रंगकर्मी शिरकत करेंगे और अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे तो वहीं सभी शाखायें प्लैटिनम वर्ष पर विभिन्न कार्यक्रमों का पूरे साल आयोजन करेंगी.

बैठक में कवि सम्मेलन सह मुशायरा का संयोजक शायर सुहैल अहमद हाशमी और संयुक्त सचिव सह राष्टीय चित्रकार मेंहदी शा, जनगीतों के लिए संगीतकार जवाहर राय और कंचन बाला को तथा पूरे स्थापना दिवस समारोह के सफल समंवयन के लिए राजेन्द्र प्रसाद राय और विनोद सिंह को संयोजन का जिम्मा सौंपा गया. बिहार इप्टा सह छपरा अध्यक्ष प्रो0 वीरेन्द नारायण यादव ने कहा कि बंगाल के आकाल के गर्भ से निकली कलाकारों की संगठित शक्ति जिसका नामकरण प्रख्यात वैज्ञानिक डा होमी जहांगीर भाभा ने किया था आज विश्व का एक चर्चित जनसांस्कृतिक आंदोलन बन चुका है. जिससे समय के अंतराल पर बलराज साहनी, हेमांगो विश्वास, कैफी आजमी, ए के हंगल, जैसे सैकडों कलाकार जुड़ते रहे हैं तो वहीं सारे जहां से अच्छा, दमादम मस्त कलंदर, तू जिंदा है तो जिन्दगी की जीत पर यकीं कर जैसे सैकडों अमर गीतों की सुर रचना इप्टा ने की तो इधर भिखारी ठाकुर से ले कर देश के तमाम नामचीन नाटककारों के नाटकों तथा अपने द्वारा आम जनता को केन्द्र में रखकर नाटकों की रचना और प्रस्तुतियां करती रही है. कला जीवन के लिए के सिद्धांत और नुक्कड़ नाटक इप्टा की ही देन हैं.

कार्यकारी अध्यक्ष श्याम सानू ने बताया कि कवि सम्मेलन में बिहार के नामचीन कवि-शायर समीर परिमल, डा0 नीलम श्रीवास्तव, जौहर सफियाबादी, शकील अनवर, दक्ष निरंजन शंभु, रिपुंजय निशांत आदि समय के साथ संवाद स्थापित करेंगे. बैठक में दिनेश पर्वत, श्याम सानू, विनोद सिंह, कंचन बाला, आरती सहनी, पूनम सिंह, मेंहदी शा, राजेन्द्र राय, रंजीत गिरि, राजू कुमार महतो, जीतेन्द्र कुमार, गोविन्द कुमार, शिवांगी सिंह आदि मौजूद रहे. संचालन अमित रंजन ने किया.

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