Chhapra: छपरा शहर में विकास के नाम पर सिर्फ बदहाली नजर आ रही है. शहर के कई इलाकों में जलजमाव की स्थिति जस की तस बनी हुई है. बारिश होते ही सड़कों पर बाढ़ जैसे हालात हो जा रहे हैं. छपरा शहर के अधिकांश इलाके महीनों से जलमग्न है. ‘विकास’ के कार्य और दावे तो खूब हो रहे है पर हकीकत तो आप लोग की बता सकते है. शहर में शायद की कोई ऐसी सड़क होगी जहाँ जलजमाव या कचड़ा नहीं लगा होगा. कुल मिलकर शहर अपनी बदहाली पर रो रहा है.
कई जगह स्थिति बदतर ही नजर आ रही है. छपरा में पिछले 5 सालों में क्या बदला इसका अंदाजा आपको जलजमाव से प्रभावित प्रभुनाथ नगर, भगवान बाजार थाना रोड, गुदरी बाजार, सरकारी बाजार, मौना मुहल्ले को देख के खुद समझ आ जायेगा.
जनप्रतिनिधि अपने फायदे भर ‘विकास’ कर रहे है चाहे वो धरातल पर दिखे या ना दिखे उससे उन्हें कोई मतलब नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार के तमाम योजनाओं के बावजूद छपरा शहर में विकास नजर नहीं आ रहा है. आज जलजमाव छपरा में सबसे बड़ी समस्या बन गई है. शहर के कई मुहल्ले नाले के पानी में डूबे हुए हैं. लेकिन किसी जनप्रतिनिधि को फर्क नहीं पड़ता है.
लोगों का मनाना है की इसका सबसे बड़ा कारण बिना किसी मास्टर प्लान के विकास कार्यों का होना है. शहर में आलम यह है कि हाल में बनी सड़कों पर जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जा रही है. शहर में जल निकासी के लिए जगह जगह नालियों का निर्माण कराया गया है पर जिन जगहों पर पहले जलजमाव नहीं होता था वहां अब होने लगा है. इसका सीधा कारण है मास्टर प्लान की कमी है.
छपरा के प्रभुनाथ नगर, शक्ति नगर, उमा नगर के लोगों ने जलजमाव की समस्या से निजात पाने के लिए कई बार आंदोलन भी किया. लेकिन सब बेकार गया. स्थानीय लोगों ने कहा कि विकास के नाम पर उन्हें बेवकूफ बनाया गया. यही नहीं छपरा के भगवान बाजार थाना रोड की भी स्थिति बुरी है. बारिश के बाद यहां सड़कों पर नदियां बहने लगती हैं. गुदरी बाजार भी बदहाली का दंश झेल रहा है. बरसात में जलजमाव, कीचड़ और गर्मी में धूल झेलने को शहरवासी बरसो से विवस है.
गांधी चौक के दक्षिण का इलाका पिछले साल भर से जलमग्न है. स्थानीय लोग बार-बार प्रयास कर रहे हैं फिर भी इसका निदान नहीं निकल रहा है. जनप्रतिनिधि भी इलाके में निरीक्षण करके लौट जा रहे हैं. फिर भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है. हाल ही में आये स्वच्छता सर्वेक्षण ने भी शहर के विकास और सफाई की पोल खोल कर रख दी है.
विधानसभा चुनाव करीब है ऐसे में जनप्रतिनिधि ‘विकास’ का ढोल पीटते जनता के समक्ष वोट मांगने जरुर पहुंचेंगे पर क्या जनता तक सही मायने में ‘विकास’ पहुंचा है यह तो आम जनता ही बता सकती है .