Site icon | छपरा टुडे डॉट कॉम | #ChhapraToday.com

शोक सभा का हुआ आयोजन, लोगों ने कहा- ‘राहत’ का जाना साहित्य के किले का ढह जाना है

Chhapra: आख़िरकार यह कहते हुए वो चला ही गया जिसे अदब की दुनिया राहत इंदौरी के नाम से जानती है. राहत इंदौरी का जाना साहित्य व अदब के क़िले का ढह जाना है. उनके निधन से जिले के साहित्य व संस्कृति से जुड़े लोगों में शोक की लहर दौड़ गयी.

बिहार विधान परिषद के पूर्व उपसभापति सह ऑल इंडिया मुशायरा के आयोजक सलीम परवेज ने कहा कि भारत ही नहीं एशिया का एक बेबाक शायर चला गया. उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को सच बोलने को प्रेरित किया. सत्ता के विरोध में भी बोलने से वे कभी नहीं झिझके. साहित्य ने अपना एक नगीना खोया तो देश ने एक सच्चा देशभक्त. उनके जाने से हुई रिक्तता को भरना सम्भव नहीं. दूसरी तरफ पूर्व प्राचार्य प्रो. (डॉ.) देवेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में उनके दहियावा स्थित निवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.

शहर के अधिकतर साहित्य प्रेमी ने शिरकत कर राहत इंदौरी के प्रति ख़िराजे अक़ीदत पेश किया. सबों ने राहत साहब की शायरी पर चर्चा की और अपने उदगार प्रकट किये। सबका यही कहना था कि अदब का ख़ज़ाना ख़ुदा ने लूट लिया, साहित्यकार निर्धन हो गए। कइयों की तो आँखें भर आयीं. सबके सब सदमे में डूबे हुए थें. डॉ. प्रभुनाथ सिंह डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य श्री नागेश्वर सिंह विद्यार्थी ने रो-रो कर अपनी बात रखी। श्रद्धांजलि सभा में उपस्थित डॉ. मोअज़्ज़म अज़्म, दक्ष निरंजन शम्भूू, रिपुंजय निशांत, शमीम परवेज़, डॉ. यूएस. विश्वकर्मा, ऐनुल बरौलवी, कृष्ण मेनन, रविभूषण हँसमुख, शकील अनवर, कवींद्र कुमार, सुहैल अहमद हाशमी आदि जैसे शायरों, कवियों और समाज सेवियों ने राहत इंदौरी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

Exit mobile version