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बेरोजगारी को दूर करने के लिए सार्थक पहल की जरूरत

(कबीर अहमद) स्वामी विवेकानंद ने कहा था की बेरोजगारी किसी भी राष्ट्र के लिए बहुत बड़ा अभिशाप है. आज हमारे देश में भी बेरोजगारी एक बहुत विकट समस्या बन चुकी है.

देश की आजादी के बाद कई सरकारें आई और गईँ, लेकिन बेरोजगारी की समस्या यथावत बनी हुई है. हालाँकि कुछ सरकारों ने इस दिशा में  सार्थक पहल जरूर किये पर रोजगार को समाज के अंतिम पावदान तक ले जाने में ज्यादातर विफलता ही मिली है.

देश में रोजगार का स्वरुप आसानी से हर व्यक्ति को उपलब्ध होने जैसा नहीं है. पैसा और पैरवी का आभाव आज भी जरूरतमंदों को रोजगार दिलाने में बाधक है. देश में रोजगार का आवंटन पारदर्शी ना होना भी बेरोजगारों के लिए एक कठिन चुनौती है.

आज हमारे देश में एक पूर्ण बहुमत की सरकार है. देश के युवाओं को इस सरकार से काफी उम्मीदें हैं. सरकार को बेरोजगारी के इस विकट समस्या को समाप्त करने हेतु कुछ सार्थक पहल करने की आवश्यकता है.

बढ़ते बेरोजगारी से युवाओं में जो निराशा की भावना उत्पन्न हो रही है वो निश्चित ही देश के लिए चिंता का विषय है. सरकार को जल्द ही इस विषय में सोंचने की जरूरत है.

युवाओं का भविष्य बेरोजगारी के संकट में अंधकारमय ना हो इसके लिए बेरोजगारी उन्मूलन  योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ उसके क्रियान्वयन की भी आवश्यकता है.

किसी भी देश को ये कभी नहीं भूलना चाहिए की राष्ट्र का विकास तभी संभव है जब वहां के जनता के पास रोजगार होगा. हर हाथ में काम होगा तभी राष्ट्र तरक्की के पथ पर अग्रसर हो पाएगा.

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