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फिर से गूंजेगी बच्चों की किलकारी, 15 नवंबर से खुलेंगे आंगनबाड़ी केंद्र

• आंगनबाड़ी केंद्रों और केंद्र के आसपास की सफाई रखने का निर्देश

Chhapra: कोरोना वायरस को देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों को लंबे समय तक बंद कर दिया गया था। अब आईसीडीएस के निदेशक ने पत्र जारी कर सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एवं बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को निर्देश दिया है कि आगामी छठ पूजा के बाद 15 नवंबर से जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पूर्व की भांति सभी गतिविधियों का संचालन प्रारंभ किया जाएगा। केंद्र संचालन अवधि 15 नवंबर से 31 मार्च 2022 तक पूर्वाहन दस बजे से अपराह्न दो बजे तक निर्धारित की गई है। कोविड संक्रमण के दौर में आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने पर बच्चों को पोषक तत्व घर पर ही उपलब्ध कराया गया। साथ ही पौष्टिक गर्म खाना या उपर्युक्त पोषण की राशि उनके घर तक पहुचांई गई।

आंगनबाड़ी केंद्रों को साफ सुथरा रखने का निर्देश
जिला में आंगनबाड़ी केंद्रों और केंद्र के आसपास की सफाई रखने का निर्देश दिया गया है। कोरोना काल में सभी आंगनबाड़ी केंद्र केवल केंद्र आने वाले शिशुओं के लिए ही बंद था। सभी सेविकाएं अपने केंद्र और पोषक क्षेत्र का नियमित निरीक्षण करती रही हैं। केंद्रों में पोषण वाटिका के द्वारा समुदाय में पोषण का संदेश पहुंचाने में मदद मिली है और लाभार्थी इनका लाभ उठा रहे हैं।
बच्चों की पूरी उपस्थिति होगी दर्ज
प्रत्येक दिवस को ऑगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की उपस्थिति इस तरह से सुनिश्चित की जाएगी कि सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को 3 से 5 वर्ष के बच्चे तथा मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को 5 से 6 वर्ष के बच्चे ऑगनबाड़ी केन्द्र पर उपस्थित रहेंगे। किसी भी ऑगनबाड़ी केन्द्र पर कुल क्षमता की 50 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति नहीं होगी।

क्या है आंगनबाड़ी योजना
ग्रामीण क्षेत्रों में तीन से छह वर्ष के बच्चों और उनकी मां को कुपोषण से बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा एकीकृत बाल विकास सेवा कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनबाड़ी योजना को आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत गांवों और कस्बों में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में एक आंगनबाड़ी केंद्र खोला गया है। इस केंद्र में सरकार द्वारा प्रदान की गई अत्याधुनिक सुविधाएं मिलती हैं, जो बच्चों और उनकी मां को कुपोषण से बचाते हैं। इन सुविधाओं के रूप में उन्हें पोषित भोजन, स्वास्थ्य सेवाएं, खेल सामग्री, बच्चों की पुस्तकें, धातृ महिलाओं की सही समय पर जांच और परामर्श, बच्चों को बुनियादी ज्ञान से शिक्षित करना इत्यादि है।

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