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सरकार के साथ अवाम को भी उर्दू की तरक्की में आगे आना होगा

सरकार के साथ अवाम को भी उर्दू की तरक्की में आगे आना होगा

जिला स्तरीय उर्दू सेमिनार, कार्यशाला व मुशायरा आयोजित

Chhapra: उर्दू अदब की खूबसूरत जबान है. इंग्लिश और हिंदी भाषा की तरह उर्दू जबान की नियमित तालीम आवश्यक है. तभी सही मायने में उर्दू भाषा का विकास संभव हो पाएगा. उक्त बातें मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग उर्दू निदेशालय के तत्वाधान में पेक्षा गृह में आयोजित फरोग-ए-उर्दू सेमिनार सह मुशायरा एवं कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एडीएम मो मुमताज आलम ने कहीं. इससे पूर्व कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया.

कार्यशाला को संबोधित करते हुए एडीएम श्री आलम ने कहा कि उर्दू भाषा की तरक्की के लिए सरकार द्वारा हर साल इस तरह का आयोजन किया जाता है. ताकि आम लोगों द्वारा अन्य भाषाओं की तरह उर्दू को भी बढ़ावा मिल सके.

उन्होंने कहा कि इसको मजहब में बांधकर व लिमिट में रखना किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है. उन्होंने आम लोगों से रोजमर्रा की जिंदगी में उर्दू को शामिल करने की आवश्यकता जताई.

जिला आपूर्ति पदाधिकारी मो कमर आलम ने कहा कि उर्दू के बल पर भी मुकाम हासिल कर सकते हैं. उन्होंने आम लोगों से प्रतियोगिता परीक्षाओं में उर्दू विषय को चयन करने की जरूरत जताया. उन्होंने ने कहा कि अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में भी उर्दू भाषा को तवज्जो नहीं दी जा रही है. उन्होंने भाषा की तरक्की के लिए आम बोल-चाल में इसके अधिक से अधिक उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया.

कार्यशाला को संबोधित करते हुए उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद एकबाल ने कहा कि उर्दू मोहब्बत की मुकम्मल जबान है. उर्दू पढ़ने लिखने वालों में कमी है. इंटरनेट पर सैकड़ो रुपए खर्च किया जा रहा है. लेकिन इस भाषा पर खर्च करने से लोग कतराते हैं. आज के परिवेश में जरूरत है इस जबान को बढ़ावा देने की. उन्होंने कहा कि उर्दू मादरी जबान होते हुए भी आम इंसान में उर्दू के प्रति मोहब्बत में कमी है. उन्होंने कहा कि सरकार तो प्रयास कर रही है. समाज को भी इसके लिए आगे आना होगा. तभी उर्दू भाषा की तरक्की होगी. उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम से आम लोगों को सीख लेने की आवश्यकता है.

डीआरडीए निदेशक कयूम अंसारी ने कहा कि उर्दू 800 साल पुरानी जबान है. द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद भी उर्दू की तरक्की जितनी होनी चाहिए थी नहीं हो पायी है. उन्होंने कहा कि मदरसा और मुदर्रिसन की देन है कि उर्दू अब तक जिंदा है. शायरों और फिल्मों का भी इस भाषा को जीवित रखने में अहम योगदान है. उन्होंने कहा कि आम लोग आज उर्दू जबान को अहमियत नहीं दे पा रहे हैं. यही कारण है कि दीन और दुनिया दोनों से महरूम हो रहे हैं.

इस अवसर पर नव पदस्थापित डीएमडब्लूओ रवि प्रकाश ने आगत अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि उर्दू जबान गंगा-जमुनी तहजीब की भाषा है. इस भाषा की तरक्की को लेकर हम सबों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जब तक मेरा इस जिला में कार्यकाल रहेगा. उर्दू की तरक्की के लेकर हर संभव प्रयास किया जाएगा. पूर्व में उन्होंने अतिथियों को गुलदस्ता, अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया. कार्यक्रम में डेलीगेट के रूप में संबोधित करते हुए डॉ लालबाबू यादव उर्दू जबान के उद्भव पर विस्तार से प्रकाश डाला. अन्य डेलीगेट में डॉक्टर इरशाद अहमद एवं वालीउल्लाह कादरी ने भी विचार व्यक्त किया.

इस अवसर पर मुशायरा का भी आयोजन किया गया. जिसमें निर्भय नीर, नूर आलम शिवानी, तबस्सुम आरा, समी अहमद समर, बैतुल्लाह बैत छपरवी, नजीमुल्ला नज्म, प्रो शमीम परवेज, प्रो शकील अनवर, मोईज बहमन बरवी, रमजान अली रौशन, ऐनुल बरेलवी तथा नसीमुल हक आदि ने कलाम पेश कर लोगों का मनोरंजन किया. कार्यक्रम में एडीएम पीजीआरओ संजय कुमार, एसडीएम संजय कुमार राय, ओएसडी मनीष कुमार, एसडीसी रश्मि कुमारी समाजसेवी जिलानी मोबीन, गुड्डू खान, अमजद अली, नियाजउद्दीन, अल्पसंख्यक छात्रावास अधीक्षक इसहाक खां, डॉ सैयद महमूद गर्ल्स स्कूल के प्रिंसिपल मो आशिक, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के वरीय सहायक मदन ठाकुर, नाजीर अबूल जैश, मो रियाजुद्दीन अहमद, रेशमा तबस्सुम, रिजवाना जफर एवं मो शमीम सहित बड़ी संख्या में उर्दू के प्रेमी मौजूद थे.

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