Chhapra: देश में विमुद्रीकरण को 1 साल पूरे हो रहे हैं. आज से 1 वर्ष पूर्व 8 नवंबर 2016 को जिस प्रकार 500 और 1000 के नोट को बंद करने की घोषणा हुई थी. उसके बाद के व्यापारिक उथल-पुथल एवं आम जनता को हुई परेशानियों के बाद अब स्थिति सामान्य हो चुकी है.
विमुद्रीकरण के 1 साल पूरे होने पर छपरा टुडे की टीम ने शहर के व्यवसायिक एवं आम जनमानस से इसके संदर्भ में बातचीत की.
विमुद्रीकरण के 1 साल पूरे होने के बाद वर्तमान व्यापारी की स्थिति को लेकर पृथ्वी चंद्र ज्वेलर्स के राजेश नाथ प्रसाद का कहना है कि विमुद्रीकरण एक बढ़िया प्रयास था. प्रधानमंत्री मोदी ने जिस प्रकार से लागू किया उसमें व्यवसाई वर्ग से लेकर आम जनता को थोड़ी बहुत परेशानी हुई लेकिन कुछ दिनों बाद स्थिति सामान्य हो गई. विमुद्रीकरण के बाद इकनोमिक ग्रोथ में बढ़ावा मिल रहा है. भ्रष्टाचार में कमी है, जिससे यह एक बेहतर प्रयास प्रयास कहा जा सकता है.
कपड़ा व्यवसाई श्याम बिहारी अग्रवाल ने बताया कि विमुद्रीकरण से देश में एक नई क्रांति की शुरुआत हुई. PM मोदी की इस पहल के बाद कैशलेस स्कीम को पूरा लाभ मिला. वर्तमान में हर जगह लोग कैशलेस को बढ़ावा दे रहे हैं जो काफी सुरक्षित है. नोटबंदी काली कमाई और हेराफेरी करने वाले के लिए सबक है. सही तरीके से काम करने वाले को इसका कोई प्रभाव नहीं दिखा.
चूड़ी व्यवसाय रवि कुमार बताते हैं कि नोटबंदी से 4 माह तक व्यापार ठप्प रहा. सामानों की खरीदारी पूरी तरह से बंद रहे. लेकिन काला धन एवं राशि जमा कर रखने वालों पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ा. लोग कैशलेस होने लगे है जिससे भारत को डिजिटल इंडिया बनाने की जो कवायद शुरू हुई है उसको लाभ मिला.
स्वर्ण व्यवसायी राजकुमार ने बताया कि विमुद्रीकरण से जो लोगों को अपेक्षा थी वह शत-प्रतिशत पूरी नहीं हो सकी. इसको लागू करने के लिए जो बातें कही गई वह धरातल तक नहीं दिख रही है. उनका कहना है कि विमुद्रीकरण को लागू करने के लिए पूर्व में एक बेहतर योजना का निर्माण हो जिससे यह अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतर सके.
सुशील सिंह और कन्हैया सिंह का कहना है कि विमुद्रीकरण को 1 साल पूरे हो चुके हैं. सरकार ने जिस उद्देश्य नोटबंदी का कार्य किया वह सही था. लेकिन उस नोटबंदी के दौरान जिस तरह से बैंक कर्मियों ने लापरवाही बरती उसने इसे जनविरोधी बना दिया. तीन माह तक जनता परेशान रही. विमुद्रीकरण के पूर्व अगर इससे आने वाली परेशानियों को समाप्त करने की योजना बनाई गई होती और उसे प्रबल तरीके से लागू किया गया होता. तो यह जनता के लिए परेशानी का कारण नहीं बनता हालांकि यह कार्य राशि को जमा करने वाले लोगों के लिए घातक था और इससे उन्हें सीख मिली है.