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Special Report: सबके श्रीराम: श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की कहानी

सनातन धर्मावलंबियों के लिए अयोध्या में राममंदिर का निर्माण तथा भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा एक गौरवशाली क्षण है. वर्तमान पीढ़ी बेहद भाग्यशाली है जो, इन ऐतिहासिक क्षणों की साक्षी बनने जा रही है । वर्षों से प्रभु श्रीराम जन्मभूमि का विवाद न्यायालय के समक्ष लंबित था जिसमें प्रभु श्रीराम एक वादी के रूप में थे। दीर्घकाल के वनवास के पश्चात प्रभु श्रीराम को अयोध्या में उनका अपना स्थान प्राप्त हुआ है।

अयोध्या श्रीराम की थी, श्रीराम की है और श्रीराम की ही रहेगी। श्रीराम कण-कण में हैं। हमारे भाव की हर हिलोर में श्रीराम हैं। राम यत्र-तत्र, सर्वत्र हैं। जिसमें रम गए, वहीं राम हैं। यहां सबके राम हैं।

हम सब अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी बनने वाले हैं। सभी अपनी ओर से प्रभु श्रीराम का उनके मंदिर में स्वागत करने के लिए आह्लादित हैं। सम्पूर्ण सनातन समाज मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के धुन में रमा हैं। इस बड़े संकल्प को पूरा होते देखने को लोग अपना सौभाग्य मान रहे हैं।

ऐसे में एक दौर ऐसा भी था, जब श्रीराम जन्मभूमि के आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ा। इस आंदोलन में कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी।

संकल्प को सिद्ध होते हुए वे लोग तो नहीं देख सके, लेकिन आज जो लोग अपने आराध्य को उनके मंदिर में विराजित होते देख रहे हैं, वे उन सभी लोगों को याद कर रहे हैं।

सबके श्रीराम इस विशेष डॉक्युमेंटरी के माध्यम से हमने आप तक श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े सारण के लोगों के संस्मरण पहुंचाने की कोशिश की है।

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