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नाइट कर्फ्यू से नहीं रुकेगी संक्रमितों की रफ्तार, महाराष्ट्र से भी बदतर हो जाएंगे हालात: संजय जयसवाल

पटना: कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने बिहार में शासन-प्रशासन को हलकान कर दिया है, वहीं सत्तारुढ़ सरकार में शामिल भाजपा के सुर भी अलग-अलग राग अलाप रहे हैं।

राज्यपाल की अध्यक्षता में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में बात नहीं मानने से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष संजय जायसवाल नाराज हो गए हैं। सरकार के नाइट कर्फ्यू के फैसले को लेकर मुख्यमंत्री के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्री को अपने निशाने पर ले लिया है। जबकि, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे खुद भाजपा के नेता हैं। संजय जायसवाल ने कहा कि नाइट कर्फ्यू बिहार के लिए काफी नहीं और अगर शुक्रवार शाम से लेकर सोमवार सुबह तक के कर्फ्यू को बिहार में लागू नहीं किया गया तो बिहार का हाल महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसा हो सकता है।

प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने अपनी नाराजगी सोशल मीडिया के फेसबुक पर लिखकर दिखायी। उन्होंने कहा कि ‘बिहार सरकार ने बहुत सारे फैसले लिए हैं, जो आज की परिस्थिति में बहुत अनिवार्य हैं। मैं कोई विशेषज्ञ तो नहीं हूं फिर भी सभी अच्छे निर्णयों में इस एक निर्णय को समझने में असमर्थ हूं कि रात का कर्फ्यू लगाने से कोरोना वायरस का प्रसार कैसे बंद होगा। अगर कोरोना वायरस के प्रसार को वाकई रोकना है तो हमें हर हालत में शुक्रवार शाम से सोमवार सुबह तक की बंदी करनी ही होगी। घरों में बंद इन 62 घंटों में लोगों को अपनी बीमारी का पता चल सकेगा और उनके बाहर नहीं निकलने के कारण बीमारी के प्रसार को रोकने में कुछ मदद अवश्य मिलेगी। वैसे करोना प्रसार रोकने की महाराष्ट्र में सर्वोत्तम स्थिति यही रहती कि चार दिन रोजगार और तीन दिन की बंदी। बिहार में अभी इसकी जरूरत नहीं है ,पर अगर हम हफ्ते में दो दिन कड़ाई से कर्फ्यू नहीं लगा पाए तो हमारी स्थिति भी महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जैसी हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि शनिवार को राज्यपाल भागू चौहान की अध्यक्षता में कोरोना को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में सभी पार्टियों के प्रदेश प्रमुख ने ऑनलाइन बैठक में शामिल होकर अपने-अपने सुझाव सरकार के सामने कोरोना की रोकथाम के लिए रखे थे। भाजपा की तरफ से बैठक में शामिल हुए संजय जायसवाल ने शु्क्रवार शाम से सोमवार सुबह तक साप्ताहिक लॉकडाउन का प्रस्ताव रखा था, लेकिन सरकार ने बिहार में केवल नाइट कर्फ्यू को लागू किया है। ऐसे में सरकार का निर्णय सामने आने के करीब चार घंटे बाद सोशल मीडिया पर सरकार के फैसले पर अपनी नाराजगी जता दी।

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