Chhapra: खैरा थाना क्षेत्र अंतर्गत खैरा बाजार स्थित दुर्गा पूजा समिति के द्वारा इस बार पंडाल ताजमहल के तर्ज पर निर्मित किया जा रहा है. पंडाल के निर्माण में बेत, बॉस व रस्सी, कपड़ा के द्वारा ताजमहल का निर्माण किया जा रहा है.

इस बार पूजा पंडाल का बजट डेढ़ लाख के लगभग है. इस वाबत पूजा समिति के अध्यक्ष अवकाश प्राप्त सबइंस्पेक्टर मोती चंद राम ने बताया कि हमलोगों का उद्देश्य है, कम खर्च पर अच्छी थीम को दर्शकों के समक्ष लाना है. इस बार इसी ताजमहल रुपी पंडाल अंदर दुर्गा की प्रतिमा के साथ साथ विभिन्न देवी देवताओं को स्थापित किया जाएगा.

पूजा समितियों के लोगो से प्राप्त जानकारी अनुसार 1950 के दशक से खैरा में नवरात्रि के समय में दुर्गा पूजा का कार्यक्रम शुरू किया गया और यह सिलसिला आज भी जारी है. पहले की पूजा और इस बार की पूजा में थोड़ा सा परिवर्तन हुआ है, वैसे भी हर जगह दिनों दिन पूजा के सिस्टम में परिवर्तन होते जा रहा है. पहले पूजा मूर्ति सजावट साधारण तरीके से करके एक टेंट गिराकर हो जाया करती थी. धार्मिक गीत गानों के साथ संपन्न हो जाता था. समय के साथ समाज में परिवर्तन आए.लेकिन अब मूर्तियां बड़ी बड़ी बननी शुरू हो गई और भव्य पंडाल बनने शुरू हो गए. जिसमें लाखों रुपए के खर्चे आ रहे हैं.

खैरा के पंडाल निर्माण में सांप्रदायिक सौहार्द भी देखने को मिल रहा है क्योंकि पंडाल निर्माण जिस टेंट हाउस कंपनी के मालिक द्वारा किया जा रहा है. राजा टेंट हाउस पटेढा मालिक नवी हुसैन ने बताया कि हेड मिस्त्री अजीत लादेन है जो दूसरे सम्प्रदाय से आते है फिर भी तन्मयता से पंडाल निर्माण में लगे है. करीब इस पंडाल के निर्माण से लेकर पूर्ण रूप देने तक 100 से 150 मजदूर लगेंगे. ताजमहल निर्माण में 15 दिन का समय लगने की संभावना व्यक्त कारीगरों के द्वारा व्यक्त की गई, जिसमें करीब अंतिम चरण में है. जल्द ही पंडाल बन कर पूर्ण रूप से तैयार हो जाएगा.

पूजा समितियों द्वारा बताया गया कि ताजमहल में करीब 7000 मीटर कपड़े तथा 700 के आसपास बांस लग रहा है. 900 स्क्वायर फीट लकड़ी का बीट लग रहा है. अभी पंडाल का आवरण तैयार हो रहा है. पूजा समिति के अध्यक्ष व सदस्यों का कहना है कि यह पंडाल भव्य पंडाल होगा इस क्षेत्र का. वहीं इस कार्य को लेकर पूजा समितियों के लोग शत्रुधन भक्त, इमाम हुसैन, पप्पू साह, बंधु कुमार चौरसिया, रागोवेन्द्र सिंह, दिलीप कुमार, दीपक बाबा, मंटू मिश्रा पुरोहित, बलिराम साह,जितेंद्र कुमार, विकास कुमार, अनूप कुमार, फुलेना चौरसिया, अजय कुमार, पिंटू कुमार, सितेंद्र कुमार, शैलेश सिंह, जितेंद्र राम, दीपू कुमार सहित अन्य लोग तैयारी में जुटे है लोग.

Delhi: ताजमहल पर मालिकाना हक जताने वाले सुन्नी वक्फ बोर्ड के तेवर अब ढीले पड़ गए हैं. बोर्ड मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में शाहजहां के दस्तखत वाला वक्फनामा पेश नहीं कर पाया. इस पर, चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि बोर्ड कोर्ट का वक्त बर्बाद कर रहा है.

वक्फ बोर्ड ने पिछली सुनवाई में दावा किया था कि मुगल बादशाह शाहजहां ने बोर्ड के पक्ष में ताजमहल का वक्फनामा किया था. इस पर कोर्ट ने सबूत मांगे थे। यह विवाद सुन्नी वक्फ बोर्ड और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के बीच चल रहा है.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने कहा हथियार डालते हुए बोर्ड ने कहा कि ताजमहल की देखरेख एएसआई करे, इसमें उसे आपत्ति नहीं है. लेकिन ताजमहल में नमाज पढ़ने और उर्स जारी रखने का उसका अधिकार बरकरार रहे.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड से कहा कि उसे एएसआई से बात करनी चाहिए. इस पर एएसआई ने विचार करने के लिए वक्त मांगा. केस की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी.

पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस ने वक्फ बोर्ड के वकील से पूछा था, “शाहजहां ने वक्फनामे पर दस्तखत कैसे किए? वह तो जेल में बंद थे. वह हिरासत से ही ताजमहल देखते थे.

“कोर्ट ने शाहजहां के दस्तखत वाला हलफनामा पेश करने को कहा तो बोर्ड के वकील ने एक हफ्ते की मोहलत मांगी थी. लेकिन आज वह शाहजहां का आदेश कोर्ट में पेश नहीं कर सका.

ताजमहल के मालिकाना हक़ को लेकर यह विवाद 2005 में शुरू हुआ था. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जुलाई 2005 में आदेश जारी कर ताजमहल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था. एएसआई ने इसके खिलाफ 2010 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था.

एएसआई की ओर से पेश एडवोकेट एडीएन राव ने कहा कि वक्फ बोर्ड ने जैसा दावा किया है, वैसा कोई वक्फनामा नहीं है. 1858 की घोषणा के मुताबिक, आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से ली गई संपत्तियों का स्वामित्व ब्रिटिश महारानी के पास चला गया था. वहीं, 1948 के कानून के तहत यह इमारतें अब भारत सरकार के पास हैं.

श्रोत: प्रवीण बागी