Chhapra: प्रत्याशी और उनके समर्थक इन दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से मतदाताओं को गोलबंद करने में जुट गए है. इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में में सोशल साइट्स प्रचार का व्यापक माध्यम साबित हुआ है.

कोरोना काल में चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स को देखते हुए कम समय में ज्यादा लोगों तक अपनी बातों को पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया व्यापक और सर्वप्रिय माध्यम बन गया है. प्रत्याशियों के द्वारा लगातार अपने फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से वोटरों को गोलबंद किया जा रहा है. मौजूदा जनप्रतिनिधि अपने किये गए कार्यों को लोगों को याद दिला रहे है. वही जनता से चुनाव जिताने की अपनी करने वाले निर्दलीय प्रत्याशी अपनी भावी रणनीति और विजन को प्रस्तुत कर रहें है. प्रत्याशियों के द्वारा बैनर और वीडियो के द्वारा लगातार मतदाताओं को गोलबंद किया जा रहा है.

प्रत्याशियों के द्वारा सोशल साइट्स पोस्ट के इतर बल्क मैसेजिंग, Voice Calling का भी सहारा लिया जा रहा है. बिहार विधासभा चुनाव 2020 में डिजिटल का जोर चल रहा है. सभी प्रत्याशियों के द्वारा अपनी आईटी टीम को प्रचार प्रसार का जिम्मा दिया गया है. बात अगर बड़ी पार्टियों की करें तो उनके द्वारा आईटी सेल की स्थापना कर वार रूम के माध्यम से चुनाव प्रचार किया जा रहा है . वीडियो, फोटो के माध्यम से एक दल-दूसरे दल के प्रत्याशियों की पोल भी खोल रहे है.

इस बार का चुनाव ग्राउंड से ज्यादा डिजिटली लड़ा जा रहा है. रैलियों में भीड़ और Covid19 के मद्देनजर बड़े बड़े स्क्रीन, फेसबुक, ट्विटर और यू टयूब लाइव के माध्यम से जनता तक नेता पहुँच रहें है. नेता जी भाषण देना शुरू करते है और फेसबुक में नोटिफिकेशन आने शुरू हो जाते है. यूजर्स सर्फिंग करते हुए नेताजी का भाषण भी सुनते चल रहें है. साथ ही पार्टियों के द्वारा थीम सॉंग, वीडियो के माध्यम से मतदाताओं तक अपनी बातें और वादें पहुंचाई जा रही है.

विधान सभा चुनाव में 28 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान होगा. सारण में दूसरे चरण में 3 नवम्बर को मतदान होगा. जिसे लेकर पार्टियों और निर्दलीय प्रत्याशियों ने कमर कस ली है. चुनाव प्रचार अब चरम पर है.

Chhapra: बिहार विधानसभा चुनाव की तिथि निर्धारित होने के बाद नेताजी पूरी तरह से चुनावी नदी पार करने के मूड में है. निवर्तमान से लेकर भावी तक सभी अपने अपने तरीके से जनता को अपनी ओर रिझाने के प्रयास में है. हालांकि चुनाव को लेकर निवर्तमान विधायक जनता के लिए क्षेत्र में अपने किये गए कार्यो की बदौलत वोट मांग रहे है. वही भावी प्रत्याशी क्षेत्र के पिछड़ेपन, जन समस्याओं को गिनाकर वोट मांग रहे है.

इन सब के बीच चुनावी रण में प्रयोग किये जा रहे रथ ( वाहन) काफी चर्चा में है. चुनाव को देखते हुए इनदिनों लग्ज़री गाड़ियां नेताओ के लिए आम बात है. एक से बढ़कर एक गाड़ियां गांव की सड़कों पर दिखाई दे रही है.

विगत चुनाव में प्रचार के लिए स्कार्पियो और सफारी तक ही मामला सीमित था लेकिन इसबार फॉरच्यूनर और फोर्ड की बड़ी बड़ी गाड़ियां और खुली क्लासिक जीप चुनावी रथ बनी है.

चुनाव में अब वो दिन लगभग समाप्त हो चुके है जब नेताजी पैदल और बाइक पर सवार होकर जनता के बीच वोट मांगने जाते थे. अब चुनाव का ट्रेंड बदल चुका है. बड़ी गाड़ियां, सैकडों की संख्या में समर्थक, युवा और महिलाओं की भीड़ नेताजी की लोकप्रियता का बखान करती है.

बहरहाल कोरोना काल में हो रहे इस चुनाव में फिलहाल निर्वाचन आयोग के नए दिशा निर्देश है. जहाँ नामांकन से लेकर जनता के बीच प्रचार प्रसार तक सभी मे संख्या निर्धारित है. जिसके आधार पर ही चुनाव में नेताजी आने पक्ष में वोट मांगने जा सकेंगे.