नयी दिल्ली: हाल के दिनों में केंद्र सरकार ने दो सौ से अधिक सरकारी सेवाओं के लिए ‘उमंग’ ऐप  शुरू किया है. इसके जरिए सिर्फ एक क्लिक कर आधार से लेकर गैस बुकिंग, बिजली बिल, फ़ोन बिल, भविष्य निधि, जन्म प्रमाण पत्र जैसी सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है. इस ऐप से बिजली बिल फोन बिल से लेकर गैस तक का भुगतान भी कर सकते हैं.

वर्तमान में इस ऐप पर केंद्र और राज्य सरकार की कुल 163 सेवायें उपलब्ध हैं. इसकी सबसे अच्छी बात है यह है कि आने वाले दिनों में यह  बिना इंटरनेट के भी चलेगा. साथ ही साथ यह एप्प 13 भारतीय भाषाओं में काम कर सकता है.

उमंग यानी की ‘यूनिफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस’. इसे गूगलप्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. इसके अलावा विंडोज का इस्तेमाल करने वाले लोग भी इसकी सेवा का फायदा उठा सकते हैं.

इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको अपनी पहचान दर्ज करनी होगी इसके बाद मोबाइल पर वन टाइम पासवर्ड आएगा आपको कुछ सवालों के जवाब देने होंगे जो बाद में पासवर्ड भूलने की स्थिति में अकाउंट रिकवर कर पाएंगे. एक बार पंजीकरण के बाद ऐप आपसे एक एमपिन सेट करने को कहेगा. जो ऐप एक्सेस करने में मोबाइल नंबर के साथ काम आएगा.

 

CT Desk से प्रभात किरण हिमांशु की रिपोर्ट

छपरा: गर्मी में सर्दी की चाह रखने वाले लोग ज्यादातर कुल्लू मनाली या शिमला की बर्फीली वादियों की सैर करने जाते हैं वहीँ शांति और ध्यान की चाह लिए लोग अक्सर धार्मिक स्थलों पर जाते हुए देखे जाते हैं, पर बिहार में इन दिनों चर्चा का केंद्र बने छपरा शहर के लोग आजकल एक खास चीज़ की तलाश में बिहार-यूपी बॉर्डर का चक्कर लगाते देखे जा रहे हैं, और उस ख़ास तलाश का नाम है ‘इंटरनेट’.

जी हाँ बात सुनने में जरूर अटपटी लगती हो पर है सोलह आने सच. आज कल छपरा जिले के लोग इंटरनेट की खोज में छपरा से सटे बिहार-यूपी बॉर्डर या अन्य सीमावर्ती जिलों का भ्रमण कर रहे हैं.

छपरा में पिछले 5 अगस्त की मध्यरात्री से ही इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद है,कारण सर्वविदित है. वायरल हुए वीडियो के बाद हंगामे की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने जिले में धारा 144 लगाते हुए इंटरनेट सेवा को ठप कर दिया है. हालांकि इस दौरान हंगामा भी खूब हुआ,पर हंगामों से इतर इंटरनेट के जरिये फेसबुक और व्हाट्सऐप इस्तेमाल करने वाले लोग इंटरनेट की तालाश में काफी परेशान दिख रहे हैं.
छत की मीनार से लेकर खुले मैदान में लोगों को इंटरनेट की खोज करते देखना इन दिनों आम बात हो गई है.

बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद जिले के लोगों का शराब की तलाश में सीमावर्ती राज्यों में भटकने की ख़बरें तो अक्सर सुनने को मिल रही थीं पर 21वीं सदी में संचार क्रांति के इस सुनहरे दौर में इंटरनेट का बंद होना क्षेत्र के लोगों को इमरजेंसी के दौर की याद दिलाती है.

डिजिटल इंड़िया से लेकर स्किल इंडिया की बात आज भले ही पूरे देश में जोर-शोर से हो रही हो पर पर देश में युवा शक्ति को आधार बनाकर सोशल नेटवर्किंग के जरिये राजनीतिक सफ़र तय करने वाले राजनेताओं और उनके रहनुमाओं की विफलता का ही परिणाम है की देशरत्न और लोकनायक जैसे पुराधाओं की धरती फिर से विषमता के उस कठिन राह पर आकर खड़ी हो चुकी है.

ये खबर पढ़ने में आपको जरूर थोड़ी अटपटी सी लग रही होगी पर बिहार में बाहर और बदलते देश की परिकल्पना को साकार करने वाले नेताओं के लिए छपरा की घटना एक बड़ा सबक है. इंटरनेट सेवा फिर से बहाल कर दी जाएगी, स्थिति दिन-प्रतिदिन सामान्य होते जाएगी पर रोजमर्रा के जरूरतों में शामिल बिजली, पानी और उससे भी जरूरी बन चुके संचार माध्यमों को बंद करना समस्या का निदान नहीं होगा. आत्ममंथन और आत्मचिंतन के साथ खोखली  राजनीति से परे गंगा-यमुना तहजीब को बरक़रार रखने की जरूरत है.

प्रभात किरण हिमांशु

छपरा: छपरा के इतिहास में शनिवार 6 अगस्त के दिन  जो भी हुआ उसे लंबे समय तक याद किया जाएगा. आगजनी, तोड़फोड़, हंगामा, रोड़ेबाजी और पुलिसिया कारवाई के बीच लोगों ने खौफ का जो मंजर देखा और अपने दिलों में महसूस किया उसने भूलना छपरा के लोगों के लिए संभव नहीं है.

प्रदर्शनकारियों के हंगामे को अफवाहों ने भले चाहे जो भी दिशा देने की कोशिश की हो पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का डर उम्रदराजों से लेकर छोटे बच्चों को भी सताता रहा.
‘पापा शहर को क्या हुआ है’, बाजार क्यों बंद है, सड़क पर क्यों न खेलें’. ऐसे मासूम सवालों ने अभिभावकों के अंतरआत्मा पर ऐसी गहरी चोट पहुंचाई है जिसके जख्म को भरना इतनी जल्दी सम्भव नहीं है.

वायरल वीडियो को लेकर शुरू हुए हंगामे की चिंगारी इतना उग्र रूप ले लेगी ऐसा सोंचा भी नहीं गया था. 5 अगस्त को मकेर में हुआ हंगामा पुलिस ने जैसे-तैसे शांत तो करा दिया पर विरोध का स्वर छपरा बंद के रूप में फूट पड़ा. बंद के दौरान जो कुछ हुआ उससे सभी वाकिफ है. दुकाने जलीं, तोड़फोड़ हुआ और जवाबी कारवाई में पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. शाम तक शहर में कर्फ्यू से हालात पैदा हो गए और छपरा पूरी तरह छावनी में तब्दील हो गया.

पुलिस दो दिनों तक हालात पर काबू पाने के दावे करती रही पर दावे और वादों के बीच आम लोगों ने जो झेला वो छपरा के लिए काला दिन साबित हुआ. अफवाहों पर बंदिश लगे इसके लिए इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद कर दी गई. बामुश्किल मोबाइल फोन ही अपनों का हाल जानने का एक मात्र जरिया बना. हर कोई परिचितों का हाल जानने के लिए परेशान दिखा.

हालाँकि गंगा-यमुना तहजीब को बरकरार रखने की जो सफल कोशिश की गई वो पुलिस के सजगता का ही परिणाम है वहीं आम लोगों ने भी सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने के हर संभव प्रयास किये हैं. कुछ शरारती तत्वों ने भले ही माहौल बिगाड़ने का काम किया हो पर छपरावासियों ने धैर्य और संयम का सर्वश्रेष्ठ उद्धाहरण प्रस्तुत किया है.

फिलहाल जिला प्रशासन के हवाले से छपरा में पूरी तरह से शांति बहाल है. सुरक्षा कारणों से अगले आदेश तक धारा 144 लागू है और इंटरनेट सेवा पर भी पाबंदी जारी है. इन सब के बीच लोग आम जिंदगी में वापस लौट रहे हैं, पर छपरा में जो स्थिति बनी उसने आम से लेकर खास सबके बीच एक कठिन सवाल छोड़ दिया है.